बेहद ध्रुवीकृत समय में, हाशिये पर धकेले गए अल्पसंख्यक पीछे मुड़कर अपनी उन जड़ों और बुनियादों को बचाने में जुट जाते जो उन्हें बहुत प्रिय होते हैं लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह एक खतरनाक जाल बुन सकता है.
कांग्रेस के वोटर करीब एक दशक से विकल्प की तलाश में हैं और आंध्र से लेकर तेलंगाना और महाराष्ट्र तक एक ही कहानी दोहराई गई है. इधर ‘आप’ इसी का फायदा उठाने में जुटी है.
किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि भाजपा सरकार चुनाव सुधार करने के अपने वादे पूरे करेगी लेकिन असली निराशा सुप्रीम कोर्ट से हुई है जिसने मामले को बहुत गरम मान कर इसे अगली-ज्यादा-बुद्धिमान-पीढ़ी के सुपुर्द करने जैसा फैसला किया
नागरिकों के कर्तव्य पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ज़ोर देने का राजनीतिक अर्थ यह है कि गेंद जनता के पाले में डाल दिया जाए. और यही वे सत्ता में आने के बाद से करते रहे हैं.
आईएनएस-विक्रांत का भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होना जश्न का मौका है लेकिन क्या भारत को विमानवाही युद्धपोतों की जरूरत है? और किस तरह के व कितने विमानवाही युद्धपोतों की?
2004 में सत्ता में वापसी के रूप में काँग्रेस की जो लॉटरी लगी थी उसके कारणों पर यथार्थपरक आत्ममंथन करने की जगह उसने उससे तमाम तरह के गलत राजनीतिक निष्कर्ष निकाल लिये.
पिछले तीन साल कश्मीर एक समस्या के रूप में सुर्खियों में और चिंता के रूप में हम सबके मन पर छाया नहीं रहा, इसे सबसे महत्वपूर्ण और बेहतर बदलाव माना जा सकता है.
भारत को अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ साफ प्रतिरोध क्षमता हासिल करनी होगी. चीन के मामले में ऐसा उसे हमला करने की बड़ी कीमत चुकाने का डर पैदा करके किया जा सकता है, तो पाकिस्तान को दंड का डर पैदा करके किया जा सकता है.