scorecardresearch
Monday, 24 February, 2025
होममत-विमतनेशनल इंट्रेस्ट

नेशनल इंट्रेस्ट

हैबियस पोर्कस: ‘जेल नहीं बेल’ के सिद्धांत का कैसे हमारी न्यायपालिका गला घोंट रही है

हमारी स्वाधीनता की सुरक्षा करना न्यायपालिका की बड़ी ज़िम्मेदारी है और इसके लिए ‘हैबियस कॉर्पस’ की व्यवस्था का सहारा लिया जाता है लेकिन आज मजिस्ट्रेट इस तरह फैसले कर रहे हैं मानो नियम तो ‘जेल देने का ही है, बेल देना तो उनके ओहदे के दायरे से बाहर है’.

भारत के सामने दो सीमा पर युद्ध से बचने की चुनौती, क्या मोदी रणनीतिक हितों के लिए राजनीति को परे रखेंगे

भारत को रणनीति के मामले में चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर बनने वाले त्रिकोण को तोड़कर बाहर निकलना ही होगा लेकिन इससे पहले उसे यह तय करना होगा कि क्या वह घरेलू चुनावी फायदों के चक्कर में अपने रणनीतिक विकल्प सीमित करना चाहता है?

भारतीय राजनीति में विचारधाराओं को लेकर नई मोर्चाबंदी: मोदी का निजी क्षेत्र बनाम राहुल का समाजवाद

कृषि कानूनों के साथ, मोदी सरकार ने श्रम सुधारों को पारित किया है और प्रमुख कंपनियों के निजीकरण का वादा किया है. इसने अर्थिक दक्षिण-वाम को विभाजित किया है, और यह एक अच्छी बात है.

मोदी सरकार कृषि कानून की लड़ाई हार चुकी है, अब सिख अलगाववाद का प्रेत जगाना बड़ी चूक होगी

कृषि क़ानूनों पर जंग तो मोदी सरकार हार ही चुकी है, अब अगर वह किसानों के आंदोलन को लेकर सिख अलगाववाद का राग अलापती रहेगी तो और भी गंभीर भूल करेगी

जैसे जैसे UP गर्त में जा रहा, योगी के सितारें बुलंद हो रहे हैं- इतने कि वो मोदी से लाइमलाइट की होड़ में है

योगी के राज में उत्तर प्रदेश की हालत शायद ही बेहतर हुई है लेकिन उनका अपनी राजनीतिक हैसियत इतनी जरूर बढ़ गई है कि मोदी को उस पर ध्यान देना पड़ रहा है.

वो 7 कारण जिसकी वजह से मोदी सरकार ने कृषि सुधार कानूनों से हाथ खींचे

कृषि सुधार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बन सकते थे मगर समझदारी तथा धैर्य की कमी और अतीत के प्रति नफरत ने इसे एक संकट में बदल दिया है.

न उड़ता, न पढ़ता 2003 के बाद से लुढ़कता ही रहा है पंजाब

एक समय भारत का सबसे समृद्ध राज्य आज नीचे फिसल गया है और पिछड़ गया है, उसे अब गेहूं-चावल-एमएसपी के नशे से बाहर निकलकर अपनी उद्यमशीलता को फिर से जगाने की जरूरत है.

सोनिया से कश्मकश भरे रिश्ते, कांग्रेस से मन भेद -रायसीना हिल्स की राजनीतिक पैंतरेबाजी पर प्रणब दा की चुप्पी खटकती है

प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों की अंतिम किताब में असली राजनीतिक मसलों से किनारा किया गया है, विस्तार से बताने से बचा गया है, किताब बहुत कुछ बताने की जगह बहुत कुछ छिपा लेती है इसलिए बहुत निराश करती है

मोदी लोकप्रिय हैं, भाजपा जीतती रहती है, लेकिन भारत के इंडीकेटर्स और ग्लोबल रैंकिंग चिंताजनक है

सरकार की अपनी NFHS, साथ ही कई वैश्विक गैर-वाम संस्थानों की रैंकिंग ने भारत के विकास संकेतकों में गिरावट दिखाई है. जिसका खामियाजा जल्दी ही भुगतना पड़ सकता है.

जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र होने का भ्रम: बिना राजनीतिक आज़ादी के कोई आर्थिक आज़ादी टिक नहीं सकती

वैसे, एक महत्वपूर्ण सवाल जरूर उभरता है— लोकतंत्र आर्थिक वृद्धि के लिए अच्छा है या बुरा? कितना लोकतंत्र अच्छा है और कब यह जरूरत से ज्यादा हो जाता है? क्या सीमित लोकतंत्र जैसी भी कोई चीज होती है?

मत-विमत

वीडियो

राजनीति

देश

प्रधानमंत्री सोमवार को असम की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचेंगे: हिमंत

गुवाहाटी, 24 फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी असम की दो दिवसीय यात्रा पर सोमवार को यहां पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.