क्या नरेंद्र मोदी को हराया जा सकता है? अगर हां, तो क्या कोई इसकी कोशिश कर रहा है? 2024 में मोदी को हराने की उम्मीद बांधे विपक्षी नेताओं को ऐसे कुछ अहम सवालों के जवाब ढूंढने चाहिए.
भारतीय मुसलमानों को न केवल भाजपा बल्कि अन्य सभी दलों ने भी सत्ता संरचनाओं से पूरी तरह बाहर कर दिया है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी 33 न्यायाधीशों में से मात्र एक मुस्लिम जज हैं.
भारत इस दहशत में न पड़े कि कमजोर पड़ता पाकिस्तान एक नया ‘टेररिस्तान’ बना डालेगा. भारत के लिए यह जमीनी खतरों को भूलकर समुद्री ताकत बनाने पर ज़ोर देने का अच्छा मौका है.
इस बार अमेरिका ने अफगानिस्तान में न केवल युद्ध लड़ा बल्कि उसके नवनिर्माण में जज़्बात के साथ काफी वक़्त और धन भी दिया. लेकिन अंत में उसे एशिया का सीरिया बनने के लिए छोड़कर चल दिया.
ऐसी कोई भारतीय हॉकी टीम बनाना मुश्किल है जो हमारी विविधता, अनेकता में एकता को न प्रतिबिंबित करे और दूसरी टीमों से बेहतर हो. यह साबित करता है कि कोई खेल हो या कोई राष्ट्र, वह तभी तरक्की कर सकता है जब वह सबको साथ लेकर चले.
अपनी अलग-अलग पहचान रखने वाले उत्तर-पूर्वी राज्यों के ‘एकीकरण’ की जो पुरजोर कोशिश भाजपा कर रही है उसने असम और मिज़ोरम के बीच हिंसा को जन्म दिया है और अब तक दबे रहे क्षेत्रीयतावाद को भी उभार दिया है.
भारत तालिबान को सिर्फ इसलिए राजनीतिक दुश्मन न मान बैठे कि वह इस्लामी है या पाकिस्तान का दोस्त है. भाजपा अगर अपने देश में ध्रुवीकरण की राजनीति से बाज आए तो वह मोदी सरकार उसे अपना दोस्त बना सकती है.
राजद्रोह का कानून केवल औपनिवेशिक काल की देन ही नहीं है, यह एक निकम्मी सरकार का वह हथियार है जिसे लहराकर वह खुद को राष्ट्र का पर्याय घोषित करती है और इसका इस्तेमाल अपने विरोधियों के खिलाफ करती है .
भारत को अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ साफ प्रतिरोध क्षमता हासिल करनी होगी. चीन के मामले में ऐसा उसे हमला करने की बड़ी कीमत चुकाने का डर पैदा करके किया जा सकता है, तो पाकिस्तान को दंड का डर पैदा करके किया जा सकता है.