नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के छठे चरण के 59 सीटों के लिए रविवार को मतदान शुरू हो गया है. इनमें मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और दिल्ली की सीटों पर खड़े उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीटों पर असली मुकाबला भाजपा और महागठबंधन के बीच है. यूपी का यह क्षेत्र सभी दलों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.
वहीं मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. दिल्ली में भाजपा,कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. हरियाणा में भाजपा के सामने कांग्रेस और क्षेत्रीय दल अपनी खोई हुई जगह तलाश रहे है. पश्चिम बंगाल की सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को भाजपा चुनौती दे रही है. वहीं बिहार और झारखंड मेंं सभी दल अपने गढ़ बचाने में जुटे हुए हैं.
छठे चरण में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, शीला दीक्षित,विजयेंद्र सिंह, दीपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, गौतम गंभीर, मनोज तिवारी,आप नेात राघव चड्ढा,राजद नेता राघुवंश प्रसाद, और सपा नेता अखिलेश यादव कि किस्मत ईवीएम में कैद होगी.
मप्र में दिग्विजय, सिंधिया, तोमर, साध्वी प्रज्ञा है मैदान में
छठे चरण के तहत मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के राजनीतिक भाग्य का फैसला होगा. इस चरण में राज्य की आठ सीटों पर मतदान होना है. इनमें सात सीटें फिलहाल भाजपा के कब्जे में हैं.प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं. इनमें से 13 सीटों पर दो चरणों में मतदान हो चुका है. रविवार को भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, राजगढ़, सागर, भोपाल और विदिशा में मतदान हो रहा है. इनमें सिर्फ गुना संसदीय क्षेत्र ऐसा है, जिस पर कांग्रेस का कब्जा है. बाकी सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार पिछले चुनाव में जीते थे.
सबसे रोचक मुकाबला भोपाल संसदीय सीट पर है. जहां भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उम्मीदवार हैं. यहां चुनाव में ध्रुवीकरण की हर संभव केाशिश हो रही है. दोनों ओर से धर्म का सहारा लिया जा रहा है. वर्ष 1984 के बाद से भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर साधु-संत दोनों उम्मीदवारों के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं. भोपाल संसदीय क्षेत्र में 19.50 लाख मतदाता हैं. इसमें चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं.
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गुना संसदीय क्षेत्र कांग्रेस और खासकर ग्वालियर के सिंधिया राजघराने का गढ़ माना जाता है. यहां से चार बार से सांसद और कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. इस बार उनका मुकाबला भाजपा के प्रत्यशी के. पी. यादव से है. यादव कभी सिंधिया के करीबी हुआ करते थे और उनके सांसद प्रतिनिधि रहे हैं. इस लोकसभा क्षेत्र से सिंधिया राजघराने के सदस्यों ने 14 बार प्रतिनिधित्व किया है.
वहीं ग्वालियर संसदीय क्षेत्र को भी सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाला माना जाता है. यहां से बीते तीन चुनावों से भाजपा उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं. इस बार मुकाबला कांग्रेस के अशोक सिंह और भाजपा के विवेक शेजवलकर के बीच है. अशोक सिंह बीते दो चुनावों से हारते आ रहे हैं. इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अटल बिहारी वाजपेयी, विजया राजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर कर चुके हैं.
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की चर्चित सीटों में से एक मुरैना भी है. जहां से इस बार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे हैं. तोमर ने पिछला चुनाव ग्वालियर से जीता था. तोमर का यहां मुकाबला कांग्रेस के राम निवास रावत से है. रावत अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे थे.रावत की गिनती सिंधिया के करीबियों में होती है. इस सीट पर 1996 से भाजपा का कब्जा है.
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राजगढ़ संसदीय क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. यही कारण है कि स्वयं सिंह इस सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, मगर पार्टी ने उन्हें भोपाल भेज दिया. कांग्रेस ने मोना सुस्तानी को उम्मीदवार बनाया है, तो दूसरी ओर पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद रोडमल नागर को दोबारा मैदान में उतारा है.
राज्य की विदिशा संसदीय सीट की अपनी पहचान है. यहां मुकाबला इस बार दो नए चेहरों के बीच है. भाजपा ने जहां रमाकांत भार्गव को मैदान में उतार है तो कांग्रेस ने शैलेंद्र पटेल पर दांव लगाया है. इस सीट पर पिछली बार सुषमा स्वराज ने जीत दर्ज की थी, मगर स्वास्थ्य कारणों से इस बार वह चुनाव नहीं लड़ रही हैं. इस सीट का प्रतिनिधित्व अटल बिहारी वाजपेयी, शिवराज सिंह चौहान जैसे नेता कर चुके हैं.
भिंड और सागर संसदीय सीटों पर मुकाबला नए चेहरों के बीच है. भिंड से भाजपा ने संध्या राय और कांग्रेस ने देवाशीष जरारिया को मैदान में उतारा है. वहीं सागर में भाजपा के राजबहादुर सिंह का मुकाबला कांग्रेस के प्रभु सिंह ठाकुर से है.
उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने महागठबंधन बड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश के छठे चरण में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, योगी सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी जैसे नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इस चरण में भाजपा को महाठबंधन की सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा. इस चरण की 14 सीटों का चुनावी गठित सपा और बसपा के पक्ष में बैठता नजर आ रहा है. भाजपा ने 2014 में इन सीटों में से आजमगढ़ को छोड़कर सभी सीटों पर कब्जा जमाया था.
2018 में फूलपुर उपचुनाव में जहां से महागठबंधन ने अपने प्रयोग की शुरुआत की थी. इसमें भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. अगर सपा और बसपा उम्मीदवारों को 2014 में मिले वोट को देखे और अगर दोनों दलों के पारंपरिक मतदाताओं ने उनका साथ नहीं छोड़ा तो भाजपा संभवत: प्रतापगढ़ को छोड़कर इस चरण की सभी 14 सीटों पर हारने की स्थिति में होगी. पांच चरण के चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की 80 में से 53 सीटों पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है.
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आजमगढ़ से सपा नेता अखिलेश यादव का सामना प्रसिद्ध भोजपुरी कलाकार और भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ से है. इस सीट पर 2014 में मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी.
भाजपा नेता मेनका गांधी इस बार सुलतानपुर से चुनाव लड़ रही है. इस सीट से उनके बेटे वरुण गांधी सांसद है. दोनों मां-बेटे ने अपनी सीट अदला बदली की है. वरुण पीलीभीत से उतरे और मेनका सुलतानपुर से मैदान में है.बसपा के चंद्रभद्र सिंह और कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ.संजय सिंह के उतरे से मुकाबला रोचक बना गया है.
इलाहाबाद सीट से सांसद श्यामाचरण शुक्ल भाजपा से बागवत कर चुके है. उनके जगह योगी सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को मैदान में उतारा है.इस सीट पर महागठबंधन ने पिछड़ा कार्ड चलते हुए सपा के राजेंद्र सिंह को टिकट दिया है. कांग्रेस ने योगेश शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है.
फूलपुर सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. यहां पहली बार 2014 में भाजपा ने जीत हासिल की थी. केशव प्रसाद मौर्य सांसद चुने गए. 2017 के राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद मौर्य उपमुख्यमंत्री बने,इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने यह सीट खो दी. इस बार भाजपा ने केसरी देवी पटेल को उतारा है. वहीं गठबंधन की ओर से पंधारी यादव प्रत्याशी है. कांग्रेस ने पंकज निरंजन को टिकट दिया है.
प्रतापढ़ सीट पर मुकाबला दिलचस्प नजर आ रहा है.अपना दल के सांसद हरिवंश सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने संगल लाल गुप्ता को मैदान में उतारा है.गुप्ता अपना दल के टिकट पर 2017 में विधायक बने थे.कांग्रेस की ओर से तीन की बार की सांसद रही रत्ना सिंह उम्मीदवार है. महागठबंधन ने बसपा के अशोक त्रिपाठी को टिकट दिया है.
डुमरियागंज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद जगदंबिका पाल को इस बार अपनी सीट कायम रखने के लिए महागठबंधन की ओर से बसपा के आफताब आलम से चुनावी टक्कर मिल रही है.
दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला
दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा,कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है. 2014 के चुनावों में भाजपा को 46.39 फीसद मतदाताओं का साथ मिला था.इसके चलते पार्टी सातों सीटों पर जीतने में सफल रही थी.पार्टी इस बार 51 फीसद के लक्ष्य के साथ मैदान में है.
आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव फिर से साबित करने का मौका है. कई मुद्दों पर पार्टी में अंदरखाने विरोध है. पार्टी के कई संस्थापक सदस्य भी पार्टी छोड़ चुके है. आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव सेमीफाइलन जैसा है. सालभर के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने है.
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राज्य में आप के सत्ता में आने के बाद में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस पार्टी को हुआ है. 2009 में सातों लोकसभा सीटने जीतने वाली कांग्रेस पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 15.2 फीसद ही मतदाताओं का साथ मिला था. कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव करो या मरो की स्थिति जैसा है.
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दिल्ली में सबसे दिलचस्प मुकाबला उत्तर पूर्वी दिल्ली में है. यहां से पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित, भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और आप के दिलीप पांडे है. नई दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद मीनाक्षी लेखी के सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन है. आम आदमी पार्टी से बृजेश गोयल मैदान में है.
चांदनी चौक लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल है. आप से पंकज गुप्ता मैदान में है.दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश बिधुड़ी के सामने कांग्रेस ने मुक्केबाज विजेंदरसिंह को मैदान में उतारा है.वहीं आप के युवा नेता राघव चड्ढा के मैदान में उतरने से यह मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है.
पूर्वी दिल्ली से भाजपा ने पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को टिकट दिया है. इनमे सामने आप की आतिशी और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली मैदान में है.पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा का सामना कांग्रेस के महाबल मिश्रा से है.वहीं उत्तर पश्चिमी दिल्ली से भाजपा ने उदितराज की जगह सूफी गायक हंसराज हंस को टिकट दिया है. आप की ओर से गुग्गन सिंह कांग्रेस से राजेश लिलोठिया मैदान में है.
हरियाणा में कांटे का मुकाबला
छठे चरण में हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. इस चुनाव में भाजपा मिशन 10 लेकर मैदान में उतरी है. राज्य में अभी भाजपा के पास सात सीट, कांग्रेस के पास एक और दो पर इनेलों का कब्जा है. इन चुनाव में इनेलों से सांसद दुष्यंत चौटाला ने खुद की पार्टी (जननायक जनता पार्टी) जजपा बना चुके है. कांग्रेस नौ,इनेलो कम से कम दो और जजपा और आप आदमी पार्टी चार सीटे जीतने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरे है
राज्य में सोनीपत, हिसार, रोहतक, सिरसा लोकसभा सीट पर सबकी नजर है. रोहतक, सिरसा और हिसार इन तीनों सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार देखने को मिली थी.सोनीपत से पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रत्याशी है. जबकि भाजपा से सांसद रमेश कौशिक मैदान में है.जजपा से अजय सिंह चौटाला के बेटे दिग्विजय चौटाला भी ताल ठोक रह है.
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रोहतक में कांग्रेस ने तीन बार के सांसद रहे दीपेंद्र हुड्डा मैदान में उतारा है. उनके सामने भाजपा ने तीन बार के सांसद रहे डॉ.अरविंद शर्मा को टिकट दिया है.शर्मा पहले कांग्रेस पार्टी में रहे चुके है. हिसार सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां कांग्रेस के भव्य बिश्नोई को टिकट दिया है. भाजपा से बृजेंद्र सिंह और जजपा से नेता दुष्यंत चौटाला मैदान में है.खास बात यह है कि इन तीनों उम्मीदवारों की मां विधायक है.दुष्यंत जजपा नेता अजय चौटाला, भाजपा नेता बृजेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और भव्य बिश्नोई कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे है.
सिरसा सीट पर भी रोचक मुकाबला बना हुआ है.यहां भाजपा की सुनीता दुग्गल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर और इनेलो के वर्तमान सांसद चरणजीत सिंह के बीच टक्कर है. अंबाला सीट पर भाजपा व कांग्रेस में सीधी टक्कर है. भाजपा ने अपन सांसद रतनलाल कटारिया और कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा को मैदान में उतारा है.
कुरुक्षेत्र सीट पर भाजपा ने राज्य सरकार में मंत्री नायब सिंह सैनी, इनेलो ने विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन सिंह चौटाला और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री निर्मल सिंह को मैदान में उतारा है.गुरुग्राम लोकसभा सीट पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने लालू यादव के समधि पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव पर दांव खेला है.
पश्चिम बंगाल में दोनों दलों का इम्तिहान
पश्चिम बंगाल में छठे चरण में घाटाल, मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया, कांथी, तामलुक, बाकुंडा, विष्णुपुर संसदीय क्षेत्रों में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे है. इन सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है.वहीं 2014 का प्रदर्शन दोहराने के लिए बंगाल की सीएम ममता बनर्जी एक सप्ताह से इसी क्षेत्र में सभा के साथ पदयात्रा कर रही है.
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जंगलमहल क्षेत्र की तीन सीटे झाडग्राम, पुरुलिया, बांकुडा में आदिवासी वोट बैंक ही विजेता तय करता रहा है.यह क्षेत्र पहले वाममोर्चा का गढ़ रहा है.2014 के बाद से भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी पहचान तेजी से बनाना शुरु की है.वहीं इन सभी क्षेत्रों में आरएसएस भी अपने एकल विद्यालय चला रहा है. इन क्षेत्रों में पंचायत चुनाव में भाजपा को अच्छी सफलता मिली थी.
विष्णुपुर लोकसभा सीट से तृणमूल सांसद सौमित्र खां इस बार भाजपा के टिकट के पर मैदान में है.जबकि तृणमूल ने श्यामल सांत्रा को मैदान में उतारा है.ममता बनर्जी की खास रही आईपीएस अधिकारी भारती घोष भाजपा टिकट पर घाटाल सीट से मैदान में है. उनकों तृणमूल कांग्रेस से वर्तमान सांसद व बांग्ला फिल्मी सितारे दीपक अधिकारी चुनौती दे रहे है.
बिहार और झारखंड में गढ़ बचाने की चुनौती
बिहार में इस चरण में आठ सीटों पर वोटिंग हो रही है. पूर्वी चंपारण से भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को उतारा है. उनके सामने रालोसपा ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह को टिकट दिया है.
पश्चिमी चंपारण में भाजपा के संजय जायसवाल और रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा के बीच मुकाबला है.शिवहर में भाजपा की मौजूदा सांसद सांसद रमा देवी और राजद के फैसल अली के बीच टक्कर है. वहीं वैशाली से राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह का मुकाबला लोजपा के वीणा देवी है.
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झारखंड में छठे चरण के तहत जिन चार सीटों पर मतदान हो रहा है. इन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा ने चार में से एक सीट अपने सहयोगी पार्टी आजसू को दी है. तीनों सीटों पर भाजपा ने पुराने चेहरों पर ही विश्वास जताया है. कांग्रेस ने सिंहभूम और धनबाद में प्रत्याशी उतारे है. झामुमों ने जमशेदपुर और गिरिडोह ने अपने उम्मीदवार खड़े किए है.
सिंहभूम सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चुनाव लड़ रहे है.उनके मुकाबले पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा मैदान में है.
धनबाद में दो बार के सांसद और विधायक रहे पीएन सिंह के सामने कांग्रेस ने पूर्व क्रिकटर कीर्ति आजाद को उतारा है.
जमशेदपुर में भाजपा सांसद विद्युतवरण महतो का मुकाबला झामुमों के विधायक चंपई सोरेन से है. राज्य के सीएम रघुवरदास का क्षेत्र भी इसी क्षेत्र में आता है. इसलिए दोनों दल पूरी ताकत से मैदान में उतरे है.