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Friday, 22 November, 2024
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क्या ओसामा बिन लादेन की जगह ले पाएगा आबू हमज़ा

हमज़ा बिन लादेन ने लिखा है कि 'मैं खुद को लोहे की तरह मजबूत समझता हूं. खुदा की खातिर जेहाद की राह मुझे जीने का मकसद देती है.

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अमेरिका ने अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवादी संगठन अलकायदा के सरगना रहे ओसामा बिन लादेन के बेटे हमज़ा बिन लादेन का पता बताने वाले को 10 लाख डॉलर पुरस्‍कार देने का ऐलान किया है. अमेरिका ने कहा कि हमज़ा अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए उस पर हमले की साजिश रच रहा है. इसी को देखते हुए इतने बड़े पुरस्‍कार का ऐलान किया गया है.

नौ सितंबर 2001 को न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले ने सारी दुनिया को दहला दिया था. महाबली अमेरिका पर आतंकी हमले को अंजाम देनेवाले अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन से सारी दुनिया ख़ौफ़ खाने लगी थी. इस घटना को हाल ही में अठारह साल पूरे हो गए लेकिन उसके बाद अल कायदा 11सितंबर जैसे किसी थर्रा देनेवाली किसी वारदात को अंजाम नहीं दे पाई और उसके बाद पैदा हुआ खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस आतंक की दुनिया पर इस कदर छा गया कि लोगों को लग रहा है कि वह अल कायदा को निगल गया.

अल कायदा अब इतिहास की वस्तु बन गई है. कभी-कभी अल कायदा नेताओं जवाहिरी आदि के बयानों के अलावा अल कायदा का कोई अस्तित्व ही नजर नहीं आता. वैसे उसके कुछ सहयोगी संगठन जरूर चर्चा में है जैसे सोमालिया का अल शबाब. पिछले दिनों अल कायदा कश्मीर के सिलसिले में चर्चा में आया. कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भले ही सक्रिय रहे हो मगर वैश्विक आतंकी संगठन कभी यहां पैठ नहीं बना पाए. बीच में घाटी में आईएसआईएस के झंडे लहराते रहे मगर वह सनसनी फैलाने की कोशिश ही ज्यादा थी. वह असल में कश्मीर में कभी पांव नहीं जमा पाई. लेकिन सुरक्षा एजेंसियां तब चौकन्ना हो गईं . क्योंकि पहली बार वैश्विक आतंकवादी संगठन अलकायदा कश्मीर में अपने पांव फैलाने की कोशिश कर रहा है. वह पहले कमांडर के तौर पर जाकिर मूसा का नाम सामने लाया. उसने कश्मीर के अपने ‘अंसार गजवा-उल-हिंद’ संगठन का प्रमुख बनाया.

पाकिस्तान के आतंकीकरण में अल कायदा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है. आतंकवादियों के हाथों मारे गए पाकिस्तानी पत्रकार सईद सलीम . शाहजाद ने अपनी पुस्तक `इनसाइड अल कायदा एंड तालिबान` में इसका बहुत विस्तार से वर्णन किया है . 2004-2005 में अल कायदा ज्यादा गंभीरता से पाकिस्तान के बारे में सोचने लगा. उसने आम पाकिस्तानी जनता के लिए अल कायदा के दरवाजे खुले रखने के लिए चंदुल्ला संगठन शुरू किया. था. इसके पीछे सोच यह थी कि अफगानिस्तान के बाद पाकिस्तान में वहां की गतिविधियों पर नजर रखनेवाले जिहादी तैयार हों.

अल कायदा अब जान गया था कि आतंकवादी तैयार करने के लिए पाकिस्तान अत्यंत उपजाऊ जमीन है. 1979 के बाद अफगानिस्तान और कश्मीर में लड़ने के लिए छह लाख युवा पाकिस्तान में प्रशिक्षित किए गए. इनमें से कम से कम क लाख किसी न किसी आतंकी समूह के सदस्य हैं. और दस लाख युवाओं ने अलग-अलग धार्मिक उग्रवादी शिक्षा संस्थाओं में अपने अपने नाम दर्ज कराए हुए थे. पाकिस्तान के धार्मिक राजनीतिक दलों के सैंकड़ों और हजारों समर्थक थे. फिर सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में जिहादियों का इस्तेमाल करनेवाली सेना थी जिसे धार्मिक उग्रवाद से जरा भी परहेज नहीं था. 1979 से 2001 के बीच में पाकिस्तानी सेना में धार्मिक उग्रवादी ताकते गहरे तक पैठ कर चुकी थीं. अल कायदा ऐसी शक्तियों को अपनी तरफ मोड़ने के लिए जंदुल्ला का इस्तेमाल करना चाहती थी.


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अल कायदा के जाल में सबसे पहले ‘लश्कर-ए- झंगवी ‘ संगठन फंसा. यह कट्टर शिया विरोधी आतंकवादी संगठन था. यह सिपह-ए-सहाबा जैसी प्रतिबंधित राजनीतिक पार्टी से निकला संगठन था जिसने न जाने कितने शिया मौलवियों और शिया न्यापारियों की हत्या की.

वर्ष 2008 में अल कायदा ने पाकिस्तान की सारी तालिबानी ताकतों को ‘तहरीक ए तालिबान’ पाकिस्तान के परचम तले इकट्ठा किया. तहरीके तालिबान ऐसा पाकिस्तान आतंकी संगठन भी है जो पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है. वह अबतक कई दिल दहला देने वाला आतंकी हमले कर चुका है . इसमें कई दर्जन आतंकी संगठन शामिल हैं. उसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था लागू करना है.

मगर हकीकत यह है कि 11 सितंबर का दुस्साहस अल कायदा को बहुत भारी नुक्सान उठाना पड़ा. उसके बाद अमेरिका ने अगले छह माह में संगठन के अफगानिस्तान स्थित बुनियादी ढांचे को खत्म कर दिया . उसका नेतृत्व या तो मारा गया या गिरफ्तार हो गया. ओसामा बिन लादेन को भी छुप कर ही अपने आखिरी दिन गुजारने पड़े. आखिरकार वह भी पाकिस्तान में मारे गया.

आतंकी संगठन अलकायदा का सरगना बिन लादेन के .पाकिस्तान में मारे जाने के बाद . अल कायदा का नया सरगना अयमान अल जवाहिरी बना .मगर वह आतंक की दुनिया कोई कमाल नहीं दिखा पाया. मगर पिछले सालों में खबर आई कि ओसामा बिन लादेन का बेटा हमज़ा बिन लादेन भी पाकिस्तान में है और उसे भी आईएसआई ने संरक्षण दे रखा है. न्यूजवीक ने जिन सूत्रों के हवाले से ये दावा किया है उसे बहुत ही विश्वसनीय बताया.


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अमेरिका को भी शायद अल जवाहिरी के पाकिस्तान में होने और यहां तक कि उसके ठिकाने के बारे में भी पता है क्योंकि बराक ओबामा प्रशासन ने जवाहिरी को टारगेट कर ड्रोन हमला किया था लेकिन वह बाल-बाल बच गया था. एक ‘सीनियर’ चरमपंथी ने न्यूजवीक को बताया, ‘जिस कमरे में जवाहिरी ठहरा था उस कमरे के ठीक बगल वाले कमरे पर ड्रोन हमला हुआ था. इससे दोनों कमरों की साझा दीवार ध्वस्त हो गई थी और विस्फोट की वजह से कुछ मलबा भी जवाहिरी पर गिरा था. इससे उसका चश्मा टूट गया था लेकिन वह बच गया.’

अफगान तालिबान के एक नेता ने न्यूजवीक को बताया कि अल जवाहिरी पर 2001 से ही कई ड्रोन हमले हो चुके हैं लेकिन हर हमले में वह बच गया. पाकिस्तान के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने न्यूजवीक को बताया कि उसे 100 प्रतिशत यकीन है कि ओसामा बिन लादेन का 26 साल का बेटा हमज़ा भी आईएसआई के संरक्षण में पाकिस्तान में रह रहा है. .

अमेरिकी सुरक्षाबलों को आतंकवादी संगठन अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन की हत्या के मकसद से की गई कार्रवाई के दौरान कुछ निजी चिट्ठियां हाथ लगी थीं. इन चिट्ठियों से खुलासा हुआ कि आतंकी ओसामा बिन लादेन का बेटा हमज़ा अपने पिता की विचारधारा को आगे ले जाना चाहता है. यही नहीं वो अपने पिता की मौत का बदला भी लेना चाहता है. .

अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकवादी हमले की जांच कर चुके अली सौफान के मुताबिक इस वक्त हमज़ा की उम्र करीब 33 साल हुई होगी और जिस वक्त उसने पत्र लिखा था, उस वक्त वह 22 साल का था. उसने काफी सालों से अपने पिता को नहीं देखा था. हमज़ा ने यह भी लिखा है, ‘मैं खुद को लोहे की तरह मजबूत समझता हूं. खुदा की खातिर जेहाद की राह मुझे जीने का मकसद देती है.’बीते सालों में ओसामा के बेटे हमज़ा ने चार ऑडियो जारी किए हैं. उसमें वह उसी तरह बोल रहा है, जैसे उसका पिता बोलता था.. लाइनों और शब्दों का इस्तेमाल वह ओसामा बिन लादेन की ही तरह करता है.सौफान का मानना है कि हमज़ा जेहादी आंदोलन को उत्साहित और एकजुट कर सकता है.


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. इसतरह लादेन ने अपने पुत्र हमज़ा को अपने राजनीतिक वारिस के तौर पर तैयार किया था. अल कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी कमांडोज ने 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया था. ओसामा के ठिकाने से मिले दस्तावेजों से पता चला था कि उसके सहयोगी हमज़ा के साथ मिलकर संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे. जिनके मुताबिक हमज़ा 9/11 हमले से पहले अफगानिस्तान में पिता की तरफ से लड़ रहा था. हमज़ा पिता से मिलने पाकिस्तान भी जाता था. अल कायदा के नए चीफ अल-जवाहिरी ने कुछ साल पहले दुनिया को हमज़ा से रूबरू कराया था.
. कुछ साल पहले हमज़ा बिन लादेन का 21 मिनट की यह भाषण ‘वी आर ऑल ओसामा’ शीर्षक से सामने आया है. इसमें हमज़ा ने कहा है- ‘हम तुम पर (अमेरिका) हमले करना जारी रखेंगे. दरअसल जिसतरह से हमज़ा को संगठन में महत्व दिया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि देर-सबेर उसके ही हाथों में संगठन की कमान होगी. अल कायदा को उम्मीद है कि उसका नेतृत्व संगठन में नई जान फूंकेगा.

हममा का अल कायदा में उभरना इस बात का संकेत है कि वंशवाद राजनीति में ही नहीं तो आतंक की दुनिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अल कायदा की विडंबना यह कि 9 सितंबर से बड़ा कोई आतंकी हमला करना चाहती है मगर कर नहीं पा रही.इस कारण आतंक की दुनिया में पहचान खो बैठी है.

हमज़ा ने पिछले दिनों 9/11 हमले में विमान हाइजैक करने वाले मोहम्मद अट्टा की बेटी से शादी की मगर किसी को यह पता नहीं है कि वह कहां है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि वह पाकिस्तान, अफगानिस्तान ,सीरिया में कहीं हो सकते हैं.

(लेखक दैनिक जनसत्ता मुंबई में समाचार संपादक और दिल्ली जनसत्ता में डिप्टी ब्यूरो चीफ रह चुके हैं. पुस्तक आईएसआईएस और इस्लाम में सिविल वॉर के लेखक भी हैं.)

 

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