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Thursday, 19 December, 2024
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सबसे बड़ा डॉन, कातिल या कुश्ती सुधारक: WFI प्रमुख और सांसद बृजभूषण की रंगीन दुनिया

बीजेपी सांसद और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगा है. कुछ उन्हें खेल के लिए सच्चे सुधारक कहते हैं, कुछ का कहना है कि वे केवल राजनीति करते हैं.

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नई दिल्ली: कैसरगंज से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद बृजभूषण शरण सिंह का MyNeta.info पर ‘क्राइम-ओ-मीटर’ रेड कलर में है. उन्होंने वीडियो पर एक हत्या की बात स्वीकार की है और अतीत में खुद को शक्तिशाली पहलवान बताया है.

दिप्रिंट से बातचीत में, कुछ ने उन्हें ‘बाहुबली’ और कुछ ने ‘सबसे बड़ा गुंडा’ करार दिया है.

कल तक, इंडियन रेसलिंग चैंपियनशिप (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष, सिंह को देश में खेल के लिए सच्चा सुधारक और मजबूत व्यक्ति के रूप में जाना जाता था.

ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक समेत शीर्ष पहलवानों ने उन्हें ‘शिकारी’ करार दिया है और उन पर ‘यौन उत्पीड़न’ और महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है.


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एक हिस्ट्रीशीटर

विवादों के लिए सिंह नए नहीं हैं. गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों की कथित रूप से मदद करने के लिए उन्हें 1990 के दशक में टाडा के तहत गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान उन्होंने तिहाड़ जेल में कई महीने बिताए थे.

उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ चार मामले लंबित हैं. उनके खिलाफ आरोपों में लोक सेवक को नुकसान पहुंचाना और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-332, डकैती, धारा 392- हत्या का प्रयास, धारा 307 और चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान के लिए धारा 171 एच शामिल हैं.

2004 में, बलरामपुर में ट्रांसफर होने के बाद, बीजेपी ने गोंडा से पार्टी के उम्मीदवार के तौर सिंह को घनश्याम शुक्ला से बदल दिया था. दरअसल, शुक्ला की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसे कुछ लोगों ने “हत्या” करार दिया था. स्क्रॉल.इन को दिए एक इंटरव्यू में, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फोन किया था और कहा था “मरवा दिया”.

उत्तर प्रदेश में गोंडा, कैसरगंज और बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्रों से छह बार सांसद रहे सिंह वर्तमान में कैसरगंज से सांसद हैं.

जवानी के दिनों में वह कथित तौर पर एक मोटरसाइकिल चोर रहे और 1980 के दशक में एक शराब माफिया से भी उनके संबंध थे.

वह 1993 में एक मुठभेड़ में भी शामिल रहे और इस मामले में पिछले साल दिसंबर में गोंडा की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था. सिंह पर, विनोद कुमार सिंह की हत्या के प्रयास का आरोप लगा था, जिन्हें पूर्व मंत्री पंडित सिंह के नाम से भी जाना जाता है.

सिंह ने 1985 में फैजाबाद के डॉ आरएमएल अवध विश्वविद्यालय से एलएलबी में ग्रेजुएशन की और वर्तमान में उनका पूरा परिवार राजनीति में शामिल है. उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह गोंडा जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं और उनके बेटे प्रतीक भूषण सिंह गोंडा सदर सीट से विधायक हैं.

2004 में, बृजभूषण के 22-वर्षीय बेटे शक्ति सिंह ने नवाबगंज में अपने पैतृक घर में कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी.

सुसाइड नोट में, उसने कथित तौर पर अपने पिता पर स्वार्थी होने और उनकी या भाई-बहनों की देखभाल नहीं करने का आरोप लगाया था- “आप कभी भी एक अच्छे पिता नहीं थे. आपने कभी भी अपने बच्चों की परवाह नहीं की और केवल अपनी ही परवाह की. हमारा भविष्य उज्जवल नहीं दिखता. मेरे जीवित रहने का कोई कारण नहीं है.”


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कुश्ती के नेताजी

भारत की कुश्ती बिरादरी के सदस्यों का कहना है कि सिंह न केवल “माफिया डॉन” हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश में “सभी माफिया डॉन्स के डॉन” हैं.

भारतीय खेल प्राधिकरण के पूर्व कोच अजीत सिंह ने फोन पर दिप्रिंट को बताया, “मुझे माफियाओं से नफरत है. मैं नियमित रूप से गैंगस्टर कल्चर के खिलाफ वीडियो बनाता हूं, लेकिन शरण सिंह वह गुंडा रहे हैं जिसकी कुश्ती को जरूरत है. उनके बिना, पहलवानों को अनुशासित करना या उन्हें लाइन में रखना बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने कुश्ती के लिए जो किया है वह अनोखा है.”

सिंह अपने स्कूल के दिनों से ही पहलवान रहे और अपनी राजनीति के शुरुआती दिनों से ही देश में खेल के मक्का कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में इस खेल को खेल रहे हैं. भारत में खेल पर सिंह की पकड़ मुख्य रूप से पैसे की उदार राशि का उपयोग करके क्षेत्र में दंगल (मुकाबले) आयोजित करने के उनके प्रयासों से आती है.

गोंडा जिले के बीजेपी अध्यक्ष अमर किशोर कश्यप ने कहा, “नेताजी ने कई बार उनकी देखरेख में जूनियर और राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन किया है. मैट कुश्ती के प्रचलन में आने से पहले, वह अपने खर्च पर दंगल आयोजित करते थे.”

द इंडियन एक्सप्रेस की एक प्रोफाइल बताती है कि कैसे बृजभूषण स्थानीय टूर्नामेंटों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे, रेफरी को निलंबित करते थे और खुद ही खेल के निर्णय लिया करते थे. रिपोर्ट के अनुसार, वह अभी भी दंगल में शो चलाते हैं और 2022 में रेलवे के एक कोच को “ओवर एनिमेटेड” होने के कारण निलंबित भी कर दिया था.

खिलाड़ी कथित तौर पर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में मुकाबलों में खेलने से पहले उनके पैर छूते थे और आशीर्वाद लेते थे.

सोमवीर राठी जो एक पहलवान अब सिंह के खिलाफ विरोध में शामिल हो गए हैं. वे सोचते हैं कि राजनेता खेल से प्यार करने से ज्यादा कुश्ती को नुकसान पहुंचाने में लगे रहते है. राठी ने दिप्रिंट से कहा, “जो भी जीवन में एक बार अखाड़े में प्रवेश करता है, वह भी खुद को पहलवान कहने लगता है चाहे वह खेल के बारे में कुछ नहीं जानता है.”

युवा पहलवान का कहना है कि सिंह लगभग डेढ़ दशक तक बिना किसी विरोध के डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में चुने गए साथ ही अपने परिवार के माध्यम से अन्य संघों को भी नियंत्रित किया है. राठी ने आरोप लगाया कि बिहार कुश्ती महासंघ का नेतृत्व उनके दामाद करते हैं, जबकि उनका बेटा उत्तर प्रदेश महासंघ को नियंत्रित करता है.

हालांकि, दिप्रिंट स्वतंत्र रूप से इन दावों की पुष्टि नहीं कर सका.

राठी ने यह भी कहा कि सिंह “बहुत कसमें खाते हैं” और अक्सर बहुत रूड भी होते हैं. वायरल हो रहे पहलवान को थप्पड़ मारने वाले एक वीडियो क्लिप में सिंह का गुस्सैल स्वभाव और खिलाड़ियों के प्रति सम्मान की कमी देखी जा सकती है.

अंत में राठी पूछा, “उनके कार्यों ने पहलवानों को राजनीति में शामिल कर दिया है. हम राजनीति-राजनीति खेलें या कुश्ती?”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: फाल्गुनी शर्मा/अलमिना खातून)


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