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Friday, 22 November, 2024
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‘इफ्तार में नीतीश की मौजूदगी के नहीं निकाले मायने’, तेजस्वी बोले- BJP सहयोगियों के खिलाफ जंग जारी

लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन की वकालत की और सुझाव दिया कि कांग्रेस को 200 से अधिक उन सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से बुलाई गई इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी के बाद बिहार में नए राजनीतिक समीकरणों को लेकर जारी कयासों के बीच विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को कहा कि इसके राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राजद उन सभी ताकतों के खिलाफ अपना जंग जारी रखेगा, जिनका झुकाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर होगा.

तेजस्वी ने न्यूज एजेंसी भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा कि राजद का कभी भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आरएसएस, भाजपा और उसके सहयोगियों के प्रति झुकाव नहीं रहा और ‘सुविधा की विचारधारा’ से प्रेरित होकर कभी उसने राय नहीं बनाई.

उन्होंने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन की वकालत की और सुझाव दिया कि कांग्रेस को 200 से अधिक उन सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से है.

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा विरोधी पार्टियां एक मजबूत ताकत हैं, वहां कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के सामने ‘पीछे हटने’ को भी तैयार रहना चाहिए.

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच पार्टी को पुन: खड़ा करने को लेकर जारी मंथनों के दौर पर 32-वर्षीय राजद नेता ने कहा कि यदि पेशेवरों और मार्केटिंग एजेंसियों की सेवा लेने से कोई चुनाव जीत सकता है तो अमीर लोग पार्टियां बनाकर देश पर राज करते.

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के विवेक पर निर्भर करता है कि वह कैसे पार्टी के भीतर किशोर की भूमिका तय करती है?


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नीतीश कुमार के दावत-ए-इफ्तार में शामिल

नीतीश कुमार के दावत-ए-इफ्तार में शामिल होने के बाद जारी सियासी अटकलों और राजद के जनता दल (यूनाइटेड) से फिर जुड़ने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर तेजस्वी ने कहा, ‘हमारी पार्टी दो से भी अधिक दशकों से इफ्तार और मकर संक्रांति यानी दही चूड़ा का आयोजन करती रही है और हम हमेशा सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं को आमंत्रित करते रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से एक पारंपरिक आयोजन था और इसका एकमात्र संदेश शांति, सद्भाव, भाईचारा और सौहार्द्र से निकाला जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हनमे शुरु से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि इसके बारे में राजनीतिक मायने निकालना उस खास अवसर की महत्ता को कमतर करना होगा.’

यह पूछे जाने पर राज्य में सरकार बदलने की कहीं कोई कवायद तो नहीं चल रही है क्योंकि पूर्व में आपने भी कई अवसरों पर कहा है कि नीतीश कुमार भरोसेमंद नहीं है, इसके जवाब में तेजस्वी ने कहा कि राजद ही एक ऐसी क्षेत्रीय पार्टी है जिसने कभी अपनी विचारधारा, मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘हमने कभी आरएसस, भाजपा और उनके सहयोगियों से प्रत्यक्ष का परोक्ष रूप से हाथ नहीं मिलाया. अल्पकालिक फायदे के लिए सुविधा की विचारधारा के आधार पर हम राय नहीं बनाते. हमने भाजपा, आरएसएस और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कुनबे से हाथ मिलाने वाले फासीवादी और संविधान-विरोधी ताकतों के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ते रहेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए विचारधारा में बदलाव का कोई सवाल ही नहीं होता.’

नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए तेजस्वी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग और जातिगत जनगणना पर उनकी चुप्पी को पढ़ने के लिए किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं है.

उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार की दावत में शामिल हुए थे. इस मौके पर नीतीश कुमार, तेज प्रताप यादव, तेजस्वी और राबड़ी देवी साथ बैठे ओर चर्चा करते नजर आए थे.

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी की भावी रणनीति क्या होना चाहिए और क्या भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को विपक्ष की धुरी होनी चाहिए, तेजस्वी ने कहा कि वह वर्ष 2019 से कहते आ रहे हैं कि 200 के करीब सीटों पर सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है, लिहाजा उसे इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत सीटें जीतना सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘मेरे हमेशा से मानना रहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक और संयुक्त विपक्ष होना चाहिए और कांग्रेस को भी व्यवहारिक होना चाहिए. जिन राज्यों में विपक्षी दल मजबूत ताकत हैं, वहां उसे पीछे हटना चाहिए ताकि उनकी जीत की संभावना बढ़े.’

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मंच हो जिसमें सभी को समाहित किया जाना चाहिए और उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता संविधान की प्रस्तावना पर आधारित होनी चाहिए.


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