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Tuesday, 23 April, 2024
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हिमाचल के CM जयराम ठाकुर ने कहा- राज्य में समान नागरिक संहिता लाने की संभावना पर कर रहे विचार

एक इंटरव्यू में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार पड़ताल में लगी है कि हिमाचल को समान नागरिक संहिता से क्या फायदा मिल सकता है. बीजेपी नेतृत्व वाले उत्तराखंड और यूपी भी सिविल कोड लागू करने पर विचार कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाने की संभावना पर विचार कर रही है.

सीएम की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भाजपा शासित दो अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड भी सिविल कोड लागू करने पर विचार कर रहे हैं. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक, गोद लेने, जमीन जायदाद के हिस्से, उत्तराधिकार जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून लागू किया जाता है. फिर चाहे वह व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, समुदाय से संबंधित क्यों न हो.

दिप्रिंट ने ठाकुर से सोमवार को जब एक साक्षात्कार के दौरान उनसे पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के मसौदा कोड तैयार करने के प्रयासों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है, यूसीसी एक अच्छा निर्णय है, हम पड़ताल कर रहे हैं कि इसे हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में कैसे लागू किया जा सकता है. भविष्य में ही इस पर कोई फैसला किया जा सकेगा.’

उत्तराखंड में इस साल चुनावों में भाजपा दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई है. दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने संबंधी विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाने का फैसला किया. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यूसीसी लाने की इच्छा जताई है.

शनिवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि भाजपा सरकार राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की दिशा में ‘गंभीरता से विचार’ कर रही है.

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ठाकुर ने बताया कि ‘फिलहाल इस संबंध में पड़ताल चल रही है, उसके बाद ही हम कोई फैसला ले पाएंगे’.

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यूसीसी लागू करने से पहले इस बारे में एक स्टडी और मुद्दे की जांच करना उचित रहेगा.’ वह आगे कहते हैं, ‘हमें यह समझने की जरूरत है कि हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में यूसीसी की क्या प्रासंगिकता और औचित्य है. इससे राज्य को क्या फायदा हो सकता है और क्या इसे उसी तरीके से लागू करना है या कुछ बदलावों की जरूरत है. इन सभी मुद्दों की जांच के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा.’

यह पूछे जाने पर कि क्या इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की संहिता लागू की जा सकती है, ठाकुर ने कहा: ‘ हम यूसीसी को खारिज नहीं कर रहे हैं. अभी पड़ताल चल रही है कि इसे कैसे लागू किया जाएगा या यह कैसे बेहतर हो सकता है. हालांकि इस मुद्दे की जांच के लिए अभी कोई कमेटी नहीं बनाई गई है लेकिन अधिकारियों से कोड को अध्ययन करने और यह जानने के लिए कहा गया है कि इसे कैसे लागू किया जा सकता है. उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.’

हिमाचल के सीएम ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भले ही सत्ता में रहने वाली पार्टी को दूसरे कार्यकाल के लिए वोट नहीं मिले हों लेकिन इस प्रवृत्ति को उलटते हुए पार्टी एक बार फिर से राज्य में सत्ता में वापस आएगी. ऐसा उन्हें पूरा भरोसा है.

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 68 सीटों में से 44 पर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.


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उपचुनाव बने ‘समय पर मिली चेतावनी’

पिछले साल के उपचुनावों में पार्टी तीन विधानसभा और एक संसदीय सीट हार गई थी. इन परिणामों को ठाकुर ने ‘समय पर मिली चेतावनी’ बताया और कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौट कर आएगी.

वह बताते हैं, ‘हम बहुत ही कम वोटों के अंतर से हारे थे. स्थिति को सुधारने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.’

भाजपा पहले ही साफ कर चुकी है कि वह ठाकुर की अगुवाई में हिमाचल के आगामी चुनाव लड़ेगी. पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 11 अप्रैल को राज्य के दौरे के दौरान यह घोषणा की थी.

पहाड़ी राज्य में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी पर भी उन्होंने निशाना साधा. ठाकुर ने आप पार्टी के कई नेताओं द्वारा हाल ही में किए ‘दलबदल’ का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पूरे नेतृत्व का सफाया हो चुका है.

वह बताते हैं, ‘यहां राज्य में उनके पास नेतृत्व के नाम पर कुछ नहीं बचा है. आप की प्रदेश अध्यक्ष और उसकी महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष भाजपा में शामिल हो गईं. उन्हें यह समझना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश ने कभी तीसरा विकल्प स्वीकार नहीं किया है.’ उन्होंने कहा, ‘इस चुनाव में भी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और हमें फिर से सत्ता में आने का पूरा भरोसा है.’

राज्य में नेतृत्व के अभाव को लेकर ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा, ‘आप पंजाब और दिल्ली से नेताओं को लेकर आ रही है’.

वह बताते हैं, ‘उन्होंने राज्य के किसी भी नेता को केजरीवाल के रोड शो में वाहन साझा करने की अनुमति नहीं देकर हिमाचल प्रदेश के लोगों का अपमान किया है. उनकी पूरी राज्य इकाई का सफाया हो गया है और वे अभी तक फिर से राज्य इकाई नहीं बना पाए हैं’.

हिमाचल प्रदेश के सीएम ने कहा, ‘प्रदेश में मामलों को संभालने और देख-रेख के लिए दिल्ली व पंजाब के नेताओं को भेजने में व्यस्त हैं. कांगड़ा के मंडी में रोड शो के दौरान आप के किसी भी नेता को केजरीवाल के साथ रथ साझा करने की इजाजत नहीं दी गई. हिमाचल भले ही एक छोटा राज्य है लेकिन लोगों में स्वाभिमान है. वे दूसरों से मिले अपमान को कभी नहीं सहेंगे.’

पिछले तीन दशकों में हिमाचल में कोई भी दल एक बार सत्ता में रहने के बाद दोबारा नहीं जीत पाया है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा इसकी भाजपा को पूरी उम्मीद है. उनके अनुसार इस बार ये ट्रेंड बदलेगा.

ठाकुर ने कहा, ‘रिवाज़ बदल गया है और हिमाचल प्रदेश में इस बार भी सरकार भाजपा की ही बनेगी.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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