वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के उनके समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच मंगलवार को होने वाली वार्ता में यूक्रेन से सटी सीमा पर रूस का सैन्य निर्माण बातचीत का मुख्य केंद्र बिंदु होगा, लेकिन साइबर हमले, मानवाधिकार और अमेरिका-रूस संबंध समेत ऐसे कई अन्य मुद्दे भी हैं जिन पर बातचीत होने की संभावना है.
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के एक प्रवक्ता का कहना है कि अमेरिका-रूस संबंध ‘गंभीर स्थिति’ में हैं. मास्को स्थित एक प्रमुख विदेश नीति विशेषज्ञ फ्योदोर लुक्यानोव ने सुझाव दिया कि जिनेवा में शिखर सम्मेलन के बाद से परमाणु हथियार नियंत्रण और साइबर सुरक्षा मामले में प्रगति पर चर्चा की जाएगी और सीरिया, अफगानिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे क्षेत्रीय विषयों का भी जिक्र हो सकता है, लेकिन बातचीत का केंद्र यूक्रेन को लेकर तनाव होगा.
व्हाइट हाउस और क्रेमलिन दोनों ने बातचीत को लेकर कम उम्मीदें जतायी हैं और दोनों पक्षों ने कहा है कि वे यूक्रेन या अन्य मुद्दों पर चर्चा में किसी भी सफलता की उम्मीद नहीं करते हैं. लेकिन दोनों देशों का कहना है कि यह बातचीत अपने आप में प्रगति है.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बातचीत केवल यूक्रेन मुद्दे तक ही सीमित नहीं होगी क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘महत्वपूर्ण’ अन्य मुद्दों पर चर्चा करने की भी आवश्यकता है.
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यूक्रेन को लेकर बढ़ा तनाव
यूक्रेन की सीमा पर रूसी बलों की मौजूदगी बढ़ने के कारण अमेरिका और रूस के बीच बढ़े तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज वीडियो कॉल से बातचीत करेंगे.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बताया कि बाइडन सीमा पर रूसी सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका की चिंता व्यक्त करेंगे और ‘यूक्रेन की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के लिए अमेरिकी सहयोग की पुन: पुष्टि’ करेंगे.
वहीं, पुतिन इस बातचीत के दौरान अपनी चिंताएं व्यक्त करेंगे और उनका नाटो सैन्य गठबंधन में यूक्रेन को शामिल करने के हर प्रकार के कदम को लेकर विरोध प्रकट करने का इरादा है.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि दोनों देशों के राष्ट्रपति ‘स्वयं फैसला करेंगे’ कि वार्ता कितनी लंबी चलेगी.
इससे पहले, दोनों नेताओं के बीच वार्ता जुलाई में हुई थी. उस समय बाइडन ने अमेरिका के खिलाफ रैनसमवेयर हमले करने वाले रूसी आपराधिक हैकिंग गिरोहों पर लगाम लगाने के लिए पुतिन पर दबाव डाला था.
रूस इस बात का दबाव बना रहा है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किए जाने की गारंटी दे, लेकिन नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने पिछले सप्ताह कहा था कि यदि अन्य देश या गठबंधन विस्तार करना चाहते हैं, तो रूस का इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए.
बाडइन प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पता लगाया है कि रूस ने यूक्रेन के साथ लगती सीमा पर करीब 70 हजार सैनिकों की तैनाती की है और अगले वर्ष की शुरुआत में उसने संभावित आक्रमण की योजना बनाई है.
अमेरिका के अधिकारियों और पूर्व अमेरिकी राजनयिकों का कहना है कि रूस के राष्ट्रपति जहां संभावित आक्रमण की तैयारियां कर रहे हैं, वहीं यूक्रेन की सेना पहले की तुलना में ज्यादा हथियारबंद एवं तैयार है और पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से रूस की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचेगा.
यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि रूस अगले महीने आक्रमण कर सकता है. यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने कहा कि यूक्रेन और क्रीमिया के पास रूस के सैनिकों की अनुमानित संख्या 94,300 है और उन्होंने चेतावनी दी कि जनवरी में युद्ध भड़क सकता है.
क्रेमलिन ने शुक्रवार को कहा कि बाइडन के साथ फोन पर बातचीत में पुतिन इस बात की गारंटी चाहेंगे कि यूक्रेन को नाटो के विस्तार में शामिल नहीं किया जाए.
यदि रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो बाइडन प्रशासन के पास रूस को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के अपने संकल्प को पूरा करने के कई विकल्प हैं, जिनमें पुतिन के सहयोगियों को लक्ष्य बनाने वाले प्रतिबंध लागू करने से लेकर दुनियाभर में धन प्रवाहित करने वाली वित्तीय प्रणाली से रूस को काटना शामिल है.
अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने यूक्रेन पर रूसी हमले की स्थिति में कोई सैन्य कदम उठाने की घोषणा नहीं की है, लेकिन वे उसे वित्तीय नुकसान पहुंचा सकते हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस सप्ताह कहा था, ‘हम अत्यधिक प्रभावित करने वाले वे वित्तीय कदम उठाएंगे, जिन्हें हम अतीत में उठाने से बचते रहे हैं.’
बाइडन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई को “बेहद कठिन” बनाने का शुक्रवार को संकल्प लिया था और कहा था कि उनका प्रशासन रूस के आक्रमण को रोकने के लिए व्यापक कदम उठा रहा है. बाइडन ने कहा था कि वह व्यापक और सार्थक कदम उठा रहे हैं जिससे पुतिन के लिए आगे बढ़ना और लोगों को चिंतित करने वाले कदम उठाना बहुत मुश्किल हो.
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