scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमविदेशकच्चे तेल के भुगतान के लिए श्रीलंका ने भारत से मांगा 50 करोड़ डॉलर का लोन

कच्चे तेल के भुगतान के लिए श्रीलंका ने भारत से मांगा 50 करोड़ डॉलर का लोन

श्रीलंका की सरकारी तेल कंपनी पर पहले से ही देश के दो प्रमुख सरकारी बैंकों-बैंक ऑफ सीलोन और पीपल्स बैंक का लगभग 3.3 अरब डॉलर का बकाया है.

Text Size:

कोलंबो: विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहे श्रीलंका ने अपने कच्चे तेल की खरीद का भुगतान करने के लिए भारत से 50 करोड़ डॉलर के कर्ज की सुविधा मांगी है.

श्रीलंका की तरफ से यह कदम ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने चेतावनी देते कहा था कि देश में ईंधन की मौजूदा उपलब्धता की गारंटी अगले साल जनवरी तक ही दी जा सकती है.

श्रीलंका की सरकारी तेल कंपनी सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपीसी) पर पहले से देश के दो प्रमुख सरकारी बैंकों-बैंक ऑफ़ सीलोन और पीपल्स बैंक का लगभग 3.3 अरब डॉलर का बकाया है. सीपीसी पश्चिमी एशिया से कच्चे तेल और सिंगापुर समेत अन्य क्षेत्रों से उत्पादों का आयात करती है.


यह भी पढ़ें: केरल में बाढ़ से 11 लोगों की मौत, मृतक के परिवारों को 4 लाख का मुआवजा देगी राज्य सरकार


स्थानीय न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़फर्स्ट.एलके ने सीपीसी के चेयरमैन सुमित विजेसिंघे के हवाले से कहा, ‘हम भारत-श्रीलंका आर्थिक साझेदारी व्यवस्था के तहत 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा हासिल करने के लिए वर्तमान में यहां भारतीय उच्चायोग के साथ बातचीत कर रहे है.’

उन्होंने कहा कि इस ऋण सुविधा का उपयोग पेट्रोल और डीजल आवश्यकताओं की खरीद के लिए किया जाएगा.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

ज़ाहिर है कि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने श्रीलंका को इस साल तेल आयात पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर किया है. पिछले साल की तुलना में इस वर्ष के पहले सात महीनों में देश का तेल बिल 41.5 प्रतिशत बढ़कर दो अरब डॉलर हो गया है.


यह भी पढ़ें: हानिकारक सामग्री हटाने के प्रयास के तहत उत्पीड़न के खिलाफ अपनी नीतियों को विस्तार देगा फेसबुक


 

share & View comments