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Saturday, 16 November, 2024
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‘गो रानिल गो’: विक्रमसिंघे के श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने जाने पर प्रदर्शनकारियों ने जताई ‘नाराजगी’

श्रीलंकाई संसद ने पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के बचे हुए कार्यकाल को पूरा करने के लिए चुना है. 225 सदस्यीय संसद में उन्हें 134 सासंदों का समर्थन मिला जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 82 वोट मिले.

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कोलंबो: श्रीलंका के सांसदों ने रानिल विक्रमसिंघे को देश के सर्वोच्च पद के लिए चुना है. इसके बाद से कोलंबो में ‘गो, रानिल, गो’ के नारे सुने गए और प्रदर्शनकारियों ने अपना गुस्सा जाहिर किया.

अब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री रहे विक्रमसिंघे को देश की संसद में बुधवार को सांसदों ने पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कार्यकाल (2024 तक) को पूरा करने के लिए चुना है. कोलंबो में दोपहर एक बजे तक नतीजे आ गए थे.

एक पूर्व मंत्री और पूर्व राष्ट्रपति और पीएम महिंदा राजपक्षे के बेटे सांसद नमल राजपक्षे विक्रमसिंघे को बधाई देने वालों में से सबसे पहले थे. इनके राजपक्षे के साथ कथित निकटता के चलते प्रदर्शनकारियों ने पीएम के रूप में उनके इस्तीफे की मांग की थी, उनके कार्यालय और उनके घर पर हमला किया था.

गॉल फेस में राष्ट्रपति सचिवालय के सामने एक विशाल स्क्रीन पर मतदान देखने वाले प्रदर्शनकारी काफी हद तक निराश नजर आए. जब यह सामने आया कि विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति चुनाव में 134 वोट हासिल किए हैं तो उन्होंने अपने आंदोलन को जारी रखने की कसम खाई. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एमपी दुल्लेस अलहप्परुमा को जहां 82 मिले, वहीं अन्य उम्मीदवार, कम्युनिस्ट पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) की सांसद अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट से संतुष्ट होना पड़ा.

राजपक्षे के नेतृत्व वाली श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) के पास संसद में 225 में से 100 सीटें हैं. उम्मीद की जा रही थी कि वह विक्रमसिंघे का समर्थन करेगी और ऐसा लगता है कि पार्टी के एक विद्रोही उम्मीदवार अलहप्परुमा की उम्मीदवारी के बावजूद उसने ऐसा किया भी है. जहां मुख्य विपक्ष सहित अन्य दलों, समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने अलहप्परुमा के लिए अपने समर्थन की घोषणा की थी, वहीं एसजेबी नेता साजिथ प्रेमदासा ने अलहप्परुमा का समर्थन करने के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी.

कोलंबो के आस-पास सुरक्षा कई गुना बढ़ा दी गई है. इसके चलते नतीजों के जवाब में प्रदर्शनकारी संसद के पास अपना आंदोलन नहीं कर पाए. गॉल फेस में संसद से राष्ट्रपति सचिवालय तक सेना के जवान और पुलिस लाइन में लगे दिखे.

इस बीच कोलंबो की एक अदालत द्वारा बुधवार को जारी एक आदेश के बाद गाले फेस में विरोध के मुख्य केंद्र गोटागो गांव को भंग करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. यह आदेश किसी को भी पूर्व पीएम एस.डब्ल्यू.आर.डी भंडारनायके की मूर्ति के 50 मीटर के दायरे में इकट्ठा होने से रोकता है. इस प्रतिमा के चारों ओर ‘गांव’ बनाने वाले तंबू लगाए गए हैं. साइट पर प्रदर्शनकारियों ने पहले कहा था कि वे राष्ट्रपति के रूप में विक्रमसिंघे का समर्थन नहीं करेंगे.

225 में से 223 सांसदों ने बुधवार को मतदान किया, जबकि दो मतदान से बाहर रहे. चार मतपत्र अवैध माने जाने पर कुल 219 मतों की गिनती हुई.


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‘क्रोध और निराशा’

गोटागो गांव से कुछ सौ मीटर की दूरी पर गॉल फेस में राष्ट्रपति सचिवालय में प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे की जीत पर ‘गुस्सा’ और ‘निराशा’ व्यक्त की.

अभिनेता शांति बनुशा ने कहा, ‘मेरे पास शब्द नहीं हैं. हमें कुछ उम्मीद थी कि सांसद अलहप्परुमा राष्ट्रपति बनेंगे. यह परिणाम ‘सौदेबाजी की राजनीति’ की वजह से आया है. विरोध आंदोलन गोटाबाया को हटाने में सफल रहा, लेकिन हमें और काम करना था, जिसे करने में हम असफल रहे. हम तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे जब तक हम सफल नहीं हो जाते.’

गाले फेस में विरोध स्थल पर लगातार आने वाली एक और अभिनेत्री दमिथा अबेरत्ने साफ तौर पर परेशान और आंसू बहाती नजर आईं. उन्होंने कहा, ‘हम इस भ्रष्ट सरकार के खिलाफ अपना संघर्ष शुरू करने जा रहे हैं. हम सब निराश हैं. हम हारे – मतलब पूरा देश हार गया.’

जब दिप्रिंट ने अबेरत्ने से पूछा कि क्या उन्हें अब किसी हिंसा की आशंका है, तो उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता. यह संघर्ष उनके लिए (सरकार के लिए) सिरदर्द है. नहीं पता कि वे हमें कैसे रोकेंगे. कुछ भी हो सकता है…. हमें देश के लिए जान गंवाने पर हिचकिचाएंगे नहीं.’

जलवायु कार्यकर्ता और मानसिक स्वास्थ्य की पेरोकार कासुमी रणसिंघे ने अपनी प्रतिक्रिया को ‘क्रोध, निराशा, गुस्से’ के रूप में अभिव्यक्त किया.

नतीजों से सिविल इंजीनियर नुजली हमीम भी काफी ‘निराश’ दिखे. उन्होंने कहा, लेकिन यह ‘अपेक्षित’ भी था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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