scorecardresearch
Tuesday, 16 April, 2024
होमदेशगोटाबाया के इस्तीफा देने पर कौन लेगा उनकी जगह? श्रीलंका में अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए गेम ऑफ थ्रोन्स शुरू

गोटाबाया के इस्तीफा देने पर कौन लेगा उनकी जगह? श्रीलंका में अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए गेम ऑफ थ्रोन्स शुरू

कमरतोड़ महंगाई और भोजन एवं ईंधन की कमी को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद राजपक्षे ने घोषणा की है कि वह 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. वहीं प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने भी इस्तीफे की घोषणा कर दी है.

Text Size:

कोलंबो/नई दिल्ली: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे बुधवार को इस्तीफा देने वाले हैं और इसके साथ ही एक जटिल सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर उनकी जगह लेगा कौन?

कमरतोड़ महंगाई और भोजन एवं ईंधन की कमी को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद राजपक्षे ने घोषणा की है कि वह 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. इससे किसी नए नेता के लिए रास्ता साफ हो जाएगा जो बाकी बचे पांच साल राष्ट्रपति का पद संभालेगा और जिस पर देश को पूरी तरह बर्बाद कर देने वाले आर्थिक संकट से बाहर निकालने की एक बड़ी जिम्मेदारी होगी.

श्रीलंकाई संविधान के तहत संसद को 30 दिनों के भीतर राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी का चुनाव करना होगा. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन को मंजूरी मिलने के बाद 20 जुलाई को मतदान होगा.

संविधान यह भी कहता है कि राष्ट्रपति के इस्तीफे और उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति की अवधि के बीच प्रधानमंत्री कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे. स्थितियों को और जटिल बनाते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वह भी इस्तीफा दे देंगे. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह कब इस्तीफा देंगे.

बहरहाल, राजपक्षे और विक्रमसिंघे दोनों ने केवल मौखिक तौर पर ही अपने इस्तीफे की घोषणा की है और अभी तक स्पीकर को कोई लिखित पत्र नहीं सौंपा है. सोमवार देर रात स्थिति तब और गंभीर हो गई जब राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने देश से भागने की कोशिश की. लेकिन इमिग्रेशन स्टाफ ने दोनों को एयरपोर्ट पर ही रोक लिया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कई श्रीलंकाई लोगों ने दिप्रिंट से बात करते के दौरान ऐसे किसी विशिष्ट राजनेता का नाम लेने से परहेज किया, जिसे वे अपने अगले नेता के तौर पर पसंद करेंगे, लेकिन उम्मीद जताई कि यह ‘महात्मा गांधी या नेल्सन मंडेला जैसा कोई व्यक्ति’ हो जो अपने देश से ‘प्यार’ करता हो.


यह भी पढ़ें: श्रीलंका: न्यायालय में राजपक्षे बंधुओं, अन्य पर यात्रा प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका दायर


क्या कहता है संविधान?

श्रीलंका के संविधान के अनुच्छेद 40 के मुताबिक, यदि कोई राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे देता है, तो संसद को उसके स्थान पर अपने सदस्यों में से किसी एक का चुनना होगा. ये नियुक्ति पद खाली होने के एक महीने के भीतर गोपनीय और पूर्ण बहुमत के साथ होनी चाहिए.

तब तक प्रधानमंत्री कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते रहेंगे. हालांकि, अगर विक्रमसिंघे 20 जुलाई से पहले पद छोड़ देते हैं, तो स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने उस भूमिका को संभाल सकते हैं.

संविधान में कहा गया है, ‘अध्यक्ष राष्ट्रपति कार्यालय का कार्य संभाल सकता है, बशर्ते प्रधानमंत्री का पद रिक्त हो या प्रधानमंत्री कार्य करने में असमर्थ हो.’

गोटबाया राजपक्षे नवंबर 2019 में राष्ट्रपति चुने गए थे और उनका कार्यकाल 2024 में पूरा होने वाला था, जब अगले राष्ट्रपति का चुनाव होना था. 20 जुलाई को संसद जिसे भी राष्ट्रपति चुनेगी वह 2024 तक इस पद पर काम करेगा, जिसके बाद नया चुनाव होगा.

श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा और जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के तेजतर्रार युवा राजनेता अनुरा कुमारा दिसानायके को राजपक्षे के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है.

राजपक्षे से संबंधित पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने अभी तक कोई नाम प्रस्तावित नहीं किया है.

2019 में राष्ट्रपति चुनाव हारने वाले प्रेमदासा ने मंगलवार को बीबीसी को बताया कि गोटबाया राजपक्षे के पद छोड़ने के बाद उनका फिर चुनाव लड़ने का इरादा है. विपक्षी नेता ने यह भी कहा कि वह एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं.

दिसानायके को कई छात्र संघों और जेवीपी की युवा शाखा का समर्थन हासिल है, जो विरोध-प्रदर्शनों के दौरान सक्रिय और काफी आक्रामक रहे हैं. हालांकि, जेवीपी नेता सार्वजनिक संपत्ति को लूटने और उसे नष्ट करने के खिलाफ रहे हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि यह ‘शांति से हासिल जीत को पलट देगी.’

इस बीच, सिंहली भाषी राजनेताओं ने मुख्य तौर पर जाफना और त्रिंकोमाली जैसे तमिल जिलों में राजनीतिक भाषण देना शुरू कर दिया है जिसे तमिल क्षेत्रों में पहुंच बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

स्थानीय मीडिया ने एक रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि सोमवार को एक सर्वदलीय चर्चा हुई जिसमें एसएलपीपी, एसजेबी और संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य सभी दलों ने हिस्सा लिया. बैठक में कथित तौर पर तय किया गया कि देश में प्रस्तावित सर्वदलीय सरकार में ‘सांसद दुल्लास अल्हाप्परुमा और विपक्ष के नेता (प्रेमदासा) का नाम अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाया जाए.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: श्रीलंका के पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे को देश छोड़ने से रोका गया


 

share & View comments