डेनवर (अमेरिका), 23 जुलाई (द कन्वरसेशन) अमेरिका में वर्ष 2022 में 3,000 वयस्कों पर किए गए एक सर्वेक्षण में एक-तिहाई से ज्यादा लोगों ने बताया कि ज्यादातर दिन वे तनाव से ‘‘पूरी तरह थकान’’ महसूस करते हैं। साथ ही, बढ़ते शोध उच्च तनाव के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का भी प्रमाण दे रहे हैं, जिनमें कैंसर, हृदय रोग, आटो इम्यून बीमारियां और यहां तक कि मनोभ्रंश की दर में वृद्धि भी शामिल है।
यह मानते हुए कि निकट भविष्य में लोगों के दैनिक जीवन से तनाव कम होने की कोई संभावना नहीं है, इसके प्रभाव को कम करने के लिए सरल और परिणामकारी तरीकों की आवश्यकता है।
यहीं पर कुत्ते मदद कर सकते हैं।
डेनवर विश्वविद्यालय के मानव-पशु संबंध संस्थान के शोधकर्ताओं के रूप में हम पशु साथियों का मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करते हैं।
पिछले 40 वर्षों में हुए दर्जनों अध्ययनों ने इस बात की पुष्टि की है कि पालतू कुत्ते इंसानों को ज्यादा सुकून का एहसास दिलाते हैं। यह इस बात की व्याख्या करता है कि रोजमर्रा की जिंदगी में मदद के लिए लोग भावनात्मक सहारा देने वाले कुत्तों पर ज्यादा निर्भर क्यों हो रहे हैं। यह भी पाया गया है कि कुत्ते के मालिकों में हृदयाघात के बाद मृत्यु का जोखिम 24 प्रतिशत कम होता है तथा कम से कम एक वर्ष तक जीवित रहने की संभावना चार गुना अधिक होती है।
अब, हमारे सहयोगियों की एक टीम के साथ किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कुत्तों का मनुष्यों पर वैज्ञानिकों के पहले के अनुमान से कहीं अधिक गहरा और जैविक रूप से जटिल प्रभाव हो सकता है और इस जटिलता के मानव स्वास्थ्य पर गहरे प्रभाव पड़ सकते हैं।
तनाव कैसे काम करता है
तनाव के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया एक सुव्यवस्थित और समन्वित भौतिक व्यवस्था है। मानवीय तनाव पर कुत्तों के प्रभाव के पिछले अध्ययनों में एक समय में केवल एक ही प्रकार पर ध्यान केंद्रित किया गया था। हमारे अध्ययन के लिए हमने थोड़े बड़े परिप्रेक्ष्य में शरीर के दोनों प्रमुख तनाव मार्गों से शरीर की स्थिति के कई जैविक संकेतकों, या ‘बायोमार्कर’ को मापा। इससे हमें इस बात की अधिक विस्तृत समझ मिली कि कुत्ते की उपस्थिति मानव शरीर में तनाव को कैसे प्रभावित करती है।
हमने जिन तनाव मार्गों को मापा वे हैं ‘हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रिनल’ या एचपीए अक्ष और ‘सिम्पैथोएड्रिनल मेडुलरी’ या एसएएम अक्ष हैं।
जब कोई व्यक्ति किसी तनावपूर्ण घटना का अनुभव करता है, तो एसएएम अक्ष तेजी से कार्य करता है, जिससे ‘लड़ो या भागो’ प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है जिसमें एड्रेनालाईन का प्रवाह शामिल होता है, जिससे ऊर्जा का एक विस्फोट होता है जो हमें खतरों का सामना करने में मदद करता है। इस प्रतिक्रिया को अल्फा-एमिलेज नामक एक एंजाइम के माध्यम से मापा जा सकता है।
साथ ही, लेकिन थोड़ी धीमी गति से एचपीए अक्ष एड्रिनल ग्रंथियों को कोर्टिसोल हार्मोन का उत्पादन करने के लिए सक्रिय करता है। यह किसी व्यक्ति को उन खतरों का सामना करने में मदद कर सकता है जो घंटों या दिनों तक चल सकते हैं। यदि सब कुछ ठीक रहा तो खतरा समाप्त होने पर दोनों अक्ष स्थिर हो जाते हैं और शरीर अपनी शांत अवस्था में वापस आ जाता है।
तनाव एक असहज एहसास हो सकता है, लेकिन यह मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। हमारे शिकारी-संग्राहक पूर्वजों को जानवरों के हमले जैसी गंभीर तनावपूर्ण घटनाओं का प्रभावी ढंग से सामना करना पड़ता था, ऐसे मामलों में अति-प्रतिक्रिया उतनी ही प्रभावी हो सकती है जितनी कि अल्प-प्रतिक्रिया। श्रेष्ठतम तनाव प्रतिक्रिया क्षेत्र में रहने से मनुष्य के जीवित रहने की संभावना अधिकतम हो जाती है।
कहानी में और भी बहुत कुछ
‘एड्रिनल’ ग्रंथियों द्वारा कोर्टिसोल का स्राव होने के बाद यह अंततः आपकी लार में पहुंच जाता है, जिससे यह प्रतिक्रियाओं को ट्रैक करने के लिए आसानी से सुलभ ‘बायोमार्कर’ बन जाता है। इसी वजह से कुत्तों और तनाव पर ज्यादातर शोध केवल लार में मौजूद कोर्टिसोल पर ही केंद्रित रहे हैं।
उदाहरण के लिए कई अध्ययनों में पाया गया है कि तनावपूर्ण स्थिति का सामना करने वाले लोगों में कुत्ते के साथ रहने पर कोर्टिसोल की प्रतिक्रिया अकेले रहने की तुलना में कम होती है, यहां तक कि किसी दोस्त के साथ रहने की तुलना में भी कम।
हालांकि इन अध्ययनों से पता चला है कि तनावपूर्ण स्थिति के दौरान पास में कुत्ता होने से कोर्टिसोल का स्तर कम हो सकता है, जिससे पता चलता है कि व्यक्ति शांत रहता है, लेकिन हमें संदेह था कि यह कहानी का केवल एक हिस्सा है।
हमारे अध्ययन से क्या पता चला?
हमारे अध्ययन में हमने लगभग 40 कुत्तों के मालिकों को 15 मिनट के मानक प्रयोगशाला तनाव परीक्षण में भाग लेने के लिए बुलाया, इसमें व्यवहार विशेषज्ञों के रूप में प्रस्तुत भावशून्य लोगों के एक पैनल के सामने सार्वजनिक रूप से बोलना और मौखिक गणित करना शामिल है।
प्रतिभागियों में से कुछ को अपने कुत्तों को प्रयोगशाला में अपने साथ लाने या अपने कुत्तों को घर पर छोड़ने के लिए कहा गया था। हमने परीक्षण से पहले, तुरंत बाद और लगभग 45 मिनट बाद लिए गए रक्त के नमूनों में कोर्टिसोल को एचपीए अक्ष गतिविधि के एक ‘बायोमार्कर’ के रूप में मापा और पिछले अध्ययनों के विपरीत हमने उन्हीं रक्त नमूनों में ‘एंजाइम अल्फा-एमिलेज’ को भी एसएएम अक्ष के ‘बायोमार्कर’ के रूप में मापा।
जैसा कि पिछले अध्ययनों से अनुमान लगाया गया था, जिन लोगों के साथ उनका कुत्ता था उनमें कोर्टिसोल का स्तर कम था लेकिन हमने यह भी पाया कि जिन लोगों के साथ उनका कुत्ता था उनमें अल्फा-एमाइलेज का स्तर स्पष्ट रूप से बढ़ा, जबकि जिनके पास कुत्ता नहीं था उनमें लगभग कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी गई।
प्रतिक्रिया न होना अच्छी बात लग सकती है लेकिन वास्तव में अल्फा-एमाइलेज की स्थिर प्रतिक्रिया तनाव के प्रति अनियमित प्रतिक्रिया का संकेत हो सकती है जो अक्सर उच्च तनाव प्रतिक्रियाओं, दीर्घकालिक तनाव या यहां तक कि पीटीएसडी का अनुभव करने वाले लोगों में देखी जाती है। प्रतिक्रिया की यह कमी दीर्घकालिक या अत्यधिक तनाव के कारण होती है जो हमारे तंत्रिका तंत्र की तनावों के प्रति प्रतिक्रिया को बदल सकती है।
इसके विपरीत अपने कुत्तों के साथ रहने वाले प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया अधिक संतुलित थी। उनका कोर्टिसोल स्तर बहुत अधिक नहीं बढ़ा लेकिन उनका अल्फा-एमिलेज अभी भी सक्रिय था। इससे पता चलता है कि वे पूरे परीक्षण के दौरान सतर्क और सक्रिय रहे और फिर 45 मिनट के भीतर सामान्य स्थिति में लौट आए। तनाव से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए यही सबसे उपयुक्त समय है। हमारा शोध बताता है कि हमारे ‘कैनाइन’(कुत्ते) साथी हमें तनाव प्रतिक्रिया के स्वस्थ क्षेत्र में रखने में मददगार हैं ।
कुत्ते और मानव स्वास्थ्य
मानव तनाव प्रतिक्रिया पर कुत्तों के जैविक प्रभावों की यह अधिक सूक्ष्म समझ रोमांचक संभावनाओं के द्वार खोलती है। हमारे अध्ययन के परिणामों के आधार पर, हमारी टीम ने हजारों बायोमार्कर का उपयोग करके एक नया अध्ययन शुरू किया है ताकि इस बात की गहन पड़ताल की जा सके कि मनोरोग सेवा कुत्ते वरिष्ठ सैन्यकर्मियों में पीटीएसडी (पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेट डिस्आर्डर) को कैसे कम करते हैं।
लेकिन एक बात पहले से ही स्पष्ट है: कुत्ते सिर्फ़ अच्छी संगति ही नहीं हैं, वे तनावपूर्ण दुनिया में स्वस्थ रहने के सबसे सुलभ और प्रभावी साधनों में से एक हो सकते हैं।
(द कन्वरसेशन)
नरेश
नरेश
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