मिशिगन (यूएस): इलेक्ट्रिक विमान फिलहाल तो दूर की कौड़ी लग सकते हैं, लेकिन कम से कम छोटे विमानों के लिए वे बहुत दूर की बात नहीं हैं.
टू-सीटर वेलिस इलेक्ट्रोस पहले से ही यूरोप के चारों ओर चुपचाप उड़ान भर रहा है, ब्रिटिश कोलंबिया में इलेक्ट्रिक सीप्लेंस का परीक्षण किया जा रहा है, और बड़े विमान आ रहे हैं.
एयर कनाडा ने 15 सितंबर को घोषणा की कि वह स्वीडन के हार्ट एयरोस्पेस से 30 इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड क्षेत्रीय विमान खरीदेगा, जो 2028 तक अपने 30-सीट वाले विमान को सेवा में रखने की उम्मीद करता है.
यूएस नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लैब के विश्लेषकों का कहना है कि उसके बाद 50 से 70 सीटों वाला पहला हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कम्यूटर प्लेन तैयार करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. उनके अनुसार 2030 के दशक में, विद्युत उड्डयन वास्तव में उड़ान भर सकता है.
यह जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन के लिए मायने रखता है. वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 3 प्रतिशत आज उड्डयन से आता है, और अधिक यात्रियों और उड़ानों के साथ जनसंख्या के विस्तार की उम्मीद के साथ, विमानन कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में 2050 तक तीन से पांच गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का कारण बन सकता है.
एयरोस्पेस इंजीनियर और सहायक प्रोफेसर गोकिन सिनार मिशिगन विश्वविद्यालय में हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक विमानों और हाइड्रोजन ईंधन विकल्पों सहित स्थायी विमानन अवधारणाओं को विकसित करते हैं.
हमने उनसे आज उड्डयन उत्सर्जन में कटौती के प्रमुख तरीकों के बारे में पूछा और विद्युतीकरण और हाइड्रोजन जैसी तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल की.
विमानन का विद्युतीकरण करना इतना कठिन क्यों है? विमान सबसे जटिल वाहन प्रणालियों में से एक हैं, लेकिन उनके विद्युतीकरण के लिए सबसे बड़ी समस्या बैटरी का वजन है.
यदि आपने आज की बैटरी के साथ 737 को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने का प्रयास किया है, तो आपको सभी यात्रियों और कार्गो को बाहर निकालना होगा और उस स्थान को बैटरी से भरना होगा ताकि वह एक घंटे से भी कम समय तक उड़ान भर सके.
जेट ईंधन प्रति यूनिट द्रव्यमान की बैटरी की तुलना में लगभग 50 गुना अधिक ऊर्जा धारण कर सकता है. तो, आपके पास 1 पाउंड जेट ईंधन के बदले 50 पाउंड बैटरी हो सकती है.
उस अंतर को पाटने के लिए, हमें या तो लिथियम-आयन बैटरी को हल्का बनाना होगा या नई बैटरी विकसित करनी होगी जो अधिक ऊर्जा धारण करती हैं. नई बैटरी विकसित की जा रही हैं, लेकिन वे अभी तक विमान के लिए तैयार नहीं हैं.
हाइब्रिड विद्युत विकल्प
भले ही हम 737 को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने में सक्षम न हों, हम हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग करके बड़े जेट में बैटरी से कुछ ईंधन जलाने के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
हम छोटे क्षेत्रीय विमानों के लिए 2030-2035 के लक्ष्य के साथ अल्पावधि में ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं. उड़ान के दौरान जितना कम ईंधन जलता है, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन उतना ही कम होता है.
उत्सर्जन में कटौती के लिए हाइब्रिड एविएशन कैसे काम करता है?
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक विमान हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कारों के समान हैं, जिसमें वे बैटरी और विमानन ईंधन के संयोजन का उपयोग करते हैं. समस्या यह है कि किसी अन्य उद्योग में उतनी भार सीमाएँ नहीं हैं, जितनी हम एयरोस्पेस उद्योग में देख्रते हैं.
इसलिए हमें इस बारे में बहुत होशियार रहना होगा कि हम प्रणोदन प्रणाली को कैसे और कितना बेहतर कर रहे हैं.
टेकऑफ़ और उतरने के दौरान पावर असिस्ट के रूप में बैटरियों का उपयोग करना बहुत ही आशाजनक विकल्प हैं. विद्युत शक्ति का उपयोग करके रनवे पर टैक्सी करने से भी महत्वपूर्ण मात्रा में ईंधन की बचत हो सकती है और हवाई अड्डों पर स्थानीय उत्सर्जन कम हो सकता है.
हाइब्रिड अभी भी उड़ान के दौरान ईंधन जलाएंगे, लेकिन यह पूरी तरह से जेट ईंधन पर निर्भर होने से काफी कम हो सकता है.
मैं हाइब्रिडाइजेशन को बड़े जेट के लिए मध्यावधि विकल्प के रूप में देखता हूं, लेकिन क्षेत्रीय विमानों के लिए निकट-अवधि के समाधान के रूप में देखता हूं.
2030 से 2035 के बीच, हम हाइब्रिड टर्बोप्रॉप पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो आमतौर पर 50-80 यात्रियों के साथ क्षेत्रीय विमान या माल ढुलाई के लिए उपयोग किया जा सकता है. ये हाइब्रिड ईंधन के उपयोग में लगभग 10 प्रतिशत की कटौती कर सकते हैं.
इलेक्ट्रिक हाइब्रिड के साथ, एयरलाइंस क्षेत्रीय हवाई अड्डों का अधिक उपयोग कर सकती हैं और भीड़भाड़ को कम कर सकती हैं. इससे बड़े रनवे पर बेकार में खर्च होने वाले ईंधन को बचाया जा सकता है.
दूसरा विकल्प सिंथेटिक टिकाऊ विमानन ईंधन का उपयोग करना है, जिसमें हवा या अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं से कार्बन को कैप्चर करना और इसे हाइड्रोजन के साथ संश्लेषित करना शामिल है. लेकिन यह एक जटिल और महंगी प्रक्रिया है और अभी तक इसका उच्च उत्पादन पैमाना नहीं है.
एयरलाइंस अल्पावधि में अपने संचालन को भी अनुकूलित कर सकती हैं, जैसे कि लगभग खाली विमानों को उड़ाने से बचने के लिए रूट प्लानिंग. इससे उत्सर्जन भी कम हो सकता है.
क्या हाइड्रोजन उड्डयन के लिए एक विकल्प है?
एक हवाई जहाज में हाइड्रोजन का उपयोग करने के दो तरीके हैं: या तो एक इंजन में नियमित जेट ईंधन के स्थान पर, या ऑक्सीजन के साथ मिलकर हाइड्रोजन ईंधन सैल को शक्ति प्रदान करता है, जो तब विमान को देने के लिए बिजली उत्पन्न करता है.
समस्या मात्रा है – हाइड्रोजन गैस बहुत अधिक जगह लेती है. इसलिए इंजीनियर इसे बहुत ठंडा रखने जैसे तरीकों पर विचार कर रहे हैं ताकि इसे गैस के रूप में जलने तक तरल रूप में संग्रहीत किया जा सके.
यह अभी भी जेट ईंधन की तुलना में अधिक जगह लेता है, और भंडारण टैंक भारी हैं, इसलिए इसे विमान पर कैसे स्टोर, संभालना या वितरित किया जाए, इसपर अभी भी काम किया जा रहा है.
एयरबस ए 380 प्लेटफॉर्म के साथ संशोधित गैस टरबाइन इंजन का उपयोग करके हाइड्रोजन दहन पर बहुत अधिक शोध कर रहा है, और 2025 तक इसका परिपक्व तकनीक का लक्ष्य है.
ऑस्ट्रेलिया की रेक्स एयरलाइन को अगले कुछ वर्षों में शॉर्ट हॉप्स के लिए 34-सीट, हाइड्रोजन-इलेक्ट्रिक हवाई जहाज का परीक्षण शुरू करने की उम्मीद है.
विकल्पों की विविधता के कारण, मैं टिकाऊ विमानन के लिए हाइड्रोजन को प्रमुख प्रौद्योगिकियों में से एक के रूप में देखता हूं.
क्या ये प्रौद्योगिकियां उत्सर्जन को कम करने के लिए विमानन उद्योग के लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम होंगी?
विमानन उत्सर्जन के साथ समस्या उनके मौजूदा स्तर की नहीं है – यह डर है कि मांग बढ़ने पर उनका उत्सर्जन तेजी से बढ़ेगा.
2050 तक, हम महामारी से पहले की तुलना में विमानन से तीन से पांच गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन देख सकते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन, एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, आम तौर पर उद्योग के लक्ष्यों को परिभाषित करती है, यह देखते हुए कि क्या संभव है और विमानन कैसे सीमाओं को आगे बढ़ा सकता है.
इसका दीर्घकालिक लक्ष्य 2005 के स्तर की तुलना में 2050 तक शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की कटौती करना है. वहां पहुंचने के लिए विभिन्न तकनीकों और अनुकूलन के मिश्रण की आवश्यकता होगी.
मुझे नहीं पता कि हम 2050 तक इस तक पहुंच पाएंगे या नहीं, लेकिन मेरा मानना है कि हमें भविष्य के उड्डयन को पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.
(गोकिन सिनार, मिशिगन विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर)
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