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Sunday, 3 November, 2024
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मोदी के नेतृत्व के लिए तैयार है दुनिया, भारत के लिए काफी अहम हैं अगले 25 साल: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

सिंह ने कहा कि आगामी गुजरात चुनावों में भाजपा की जीत एक 'पहले से ही ज्ञात निष्कर्ष' है और साथ ही उनका यह भी कहना था कि केंद्र सरकार तो जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कटिबद्ध है, लेकिन कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग इसके खिलाफ हैं.

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अहमदाबाद: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि दुनिया नरेंद्र मोदी और भारत के ‘नेतृत्व के लिए तैयार’ है.

दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने टिप्पणी की कि संकट के इस काल में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी- जिन्हें सिंह ने ‘सर्वश्रेष्ठ’ और ‘सबसे लोकप्रिय नेता’ बताया- से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.

सिंह, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ पृथ्वी विज्ञान (अर्थ साइंसेज) मंत्रालय के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं, ने कहा, ‘ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था सुन्न पड़ी है … इंग्लैंड में इतनी अधिक ग़ुरबत (गरीबी) है की वहां डकैती होने लगी है- ऐसी पृष्ठभूमि में, कोविड के बाद, जिस तरह से मोदी जी ने 135 करोड़ आबादी वाले देश का प्रबंधन किया, वह सारी दुनिया के लिए एक उदाहरण बन गया.’

उन्होंने आगे कहा कि भारत के लिए अगले 25 साल काफी अहम हैं. सिंह ने कहा, ‘दुनिया (मोदी और भारत द्वारा) नेतृत्व किये जाने के लिए तैयार है. हमें इसका नेतृत्व करने के लिए खुद को तैयार करना होगा. मोदी जी को छोड़कर, वे (विश्व के नेता) नहीं सोचते कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कोई अन्य विकल्प मौजूद है. लेकिन हमारे पास उस तरह के क्षमता निर्माण को बढ़ाने का एक कार्यक्रम है.’

भाजपा नेता ने गुजरात में अपनी पार्टी की ‘गौरव यात्रा‘- जो शुक्रवार को समाप्त हुई- के बारे में भी विस्तार से बातें की और उनका मानना है कि इस चुनावी राज्य में मतदाता मोदी के प्रति वफादार बने रहेंगे.

एक ऐसे राज्य में जहां भाजपा पिछले 27 साल से सत्ता में है किसी तरह की सत्ता विरोधी लहर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘गुजरात के इस चुनाव में कोई दूसरा खिलाड़ी है ही नहीं. यह एक पूर्व ज्ञात निष्कर्ष है. जनता मोदी को ही वोट देगी. हमारा लक्ष्य सिर्फ वोट हासिल करना नहीं है, बल्कि जनता के साथ अपना संबंध बनाए रखना है.’

65 वर्षीय सिंह का कहना था कि जहां केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ‘कटिबद्ध’ है, वहीं कुछ ‘निहित स्वार्थ’ वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं.


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गुजरात में हुई गौरव यात्रा पर

चुनावी राज्य गुजरात में भाजपा द्वारा आयोजित पांच चरणों वाली गौरव यात्रा के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘यह सिर्फ आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में नहीं थी. यह हमारी (भाजपा की) संस्कृति है. हमारी पार्टी 24/7-365 (दिन) की पार्टी है. हमारे कार्यकर्ता इतने प्रशिक्षित हैं कि अगर आप हमारे कार्यकर्ताओं को नींद से जगाते हैं और उन्हें प्रचार के लिए जाने के लिए कहते हैं, तो वे तुरंत झंडा उठाकर वहां तक पहुंच जायेंगे.’

उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता- निचले स्तर के कैडर से लेकर पीएम तक- किसी भी अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं, चाहे वह स्थानीय निकाय चुनाव हो या विधानसभा या संसदीय चुनाव.

सिंह ने कहा कि गौरव यात्रा का उद्देश्य गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल (2001-2014) के दौरान इस राज्य द्वारा देखे गए विकास को उजागर करना था. उन्होंने कहा, ‘हर राज्य गुजरात मॉडल का अनुसरण करता है. यह सिर्फ गुजरात के गौरव के बारे में नहीं है बल्कि पूरे देश के बारे में है.’

नर्मदा परियोजना के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा: ‘आम तौर पर, एक राजनेता किसी भी परियोजना के बारे में तभी आश्वस्त होता है जब लोग उसकी मांग करते हैं, लेकिन उन्होंने (मोदी ने) नीति निर्माताओं की एक नई संस्कृति शुरू की, एक मुद्दे का अध्ययन किया और लोगों की मांग से पहले ही नीति तैयार कर ली.’

यह पूछे जाने पर कि क्या ‘हिंदुत्व’ के बाद गुजरात अब ‘मोदीत्व’ की भी प्रयोगशाला बन गया है, सिंह ने टिप्पणी की ‘गुजरात ने हमेशा राष्ट्रवाद के माहौल में ही विकास देखा है.

उन्होंने कहा कि यह राज्य ‘व्यावसायिक घरानों का पसंदीदा गंतव्य’ भी है.

सिंह ने कहा, ‘मोदी जी ने गुजरात में एक नई कार्य संस्कृति की स्थापना की. कोई भी इतिहासकार जो यह देखने का प्रयास कर रहा हो कि गुजरात निवेश के लिए पसंदीदा स्थान क्यों है, यही देखेगा कि मोदी जी ने विनियमन की संस्कृति, जहां एक एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्राप्त करना किसी के लिए पूरी जिंदगी लग जाने वाला काम हो जाता था, को एकदम से बदल दिया है.‘

इन केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘केंद्र में सत्ता में आने के बाद से पिछले 7-8 वर्षों के दौरान मोदी जी ने 1,500 से अधिक ऐसे पुराने नियम-कानूनों को खत्म कर दिया, जो व्यापारिक समुदाय के लिए बाधाओं के रूप में काम कर रहे थे.’


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जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर

इस महीने की शुरुआत में शोपियां में एक 48 वर्षीय कश्मीरी पंडित की हत्या के बारे याद दिलाते हुए यह पूछे जाने पर कि क्या यह इस केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले चुनावों को पटरी से उतारने का प्रयास था, सिंह, जो जम्मू के रहने वाले हैं, ने कहा कि ‘कश्मीर में कुछ ऐसे तत्व हैं जो शांति नहीं चाहते.’

सिंह ने कहा, ‘उन्होंने पिछले 20-30 वर्षों में हिंसा की आड़ में चुनाव लड़े, जब मतदान केवल 10-12 प्रतिशत था. वे 10 फीसदी वोट से सांसद और विधायक बने. मैंने एक बार संसद में कहा था कि हमें मतदान प्रतिशत की न्यूनतम सीमा तय करने के लिए एक विधेयक लाना होगा. यह काफी बेतुकी बात है कि 20 लाख मतदाताओं वाले लोकसभा क्षेत्र में कोई सिर्फ 10 फीसदी वोट के साथ सांसद बन जाता है. इसका मतलब है कि लोगों को उनका सही प्रतिनिधित्व नहीं मिला.’

उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक परिवारों की ‘तीन पीढ़ियों’ ने दशकों तक जम्मू-कश्मीर पर शासन किया है, और वे सोचते हैं कि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं, तो लोग सामूहिक रूप से मतदान करेंगे और अन्य नेता मतदाताओं पर उनकी पकड़ को चुनौती देंगे.

बिलकिस बानो मामले के दोषियों की माफी पर

साल 2002 के बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई के संदर्भ में उनकी माफ़ी से जुड़े कानूनों के बारे में पूछे जाने पर, सिंह ने इस बहस में पड़ने से इनकार करते हुए कहा कि ‘इस ‘विषय का कोई विशेषज्ञ’ ही इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति होगा. उन्होंने कहा, ‘जो कुछ भी आवश्यक है, उसका विश्लेषण करने और इस विषय पर एक दृष्टिकोण तैयार करने के प्रयास चल रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय गुजरात सरकार के इस विचार से सहमत थी कि उम्रकैद की सजा काट रहे इन 11 दोषियों को ‘सभी तरह के आकलनों पर विचार करने के बाद’ जल्द रिहाई दी जाए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें) 


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