चेन्नई: राज्य के मायलापुर बाज़ार में विक्रेताओं और आस-पड़ोस के लोगों के साथ अचानक बातचीत करने और एलपीजी की कीमतों पर कांचीपुरम में ग्रामीण परिवारों की महिलाओं के सवालों का जवाब देने से लेकर लोकसभा में तमिल में बोलने तक, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक चेहरे के रूप में उभर रही हैं. एक ऐसा राज्य जहां पार्टी अभी भी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपनी “तमिल विरोधी पार्टी” छवि को बदलने की कोशिश कर रही है.
10 अगस्त को संसद में मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के संदर्भ में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) सांसद कनिमोझी के द्रौपदी (महाकाव्य महाभारत में) के चीरहरण के संदर्भ का विरोध करते हुए, सीतारमण ने विपक्षी दल को घेरने के लिए तमिल में बात की. केंद्रीय वित्त मंत्री ने 1989 के तमिलनाडु राज्य विधानसभा हंगामे का ज़िक्र किया, जहां AIADMK नेता जे. जयललिता पर कथित तौर पर हमला किया गया था, जैसा कि डीएमके नेताओं ने कथित तौर पर देखा था, बाद में इस आरोप से इनकार किया गया था.
बीजेपी की राज्य इकाई ने कहा, इस साल सीतारमण पहले ही छह बार तमिलनाडु की यात्रा कर चुकी हैं, उनकी नवीनतम यात्रा 5 अगस्त को थूथुकुडी में एक संग्रहालय का उद्घाटन करने के लिए थी.
वे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के वॉल-टू-वॉल अभियान की शुरुआत करने के लिए 4 अप्रैल को राज्य में थीं और 25 मई को नई संसद में रखे जाने वाले सेंगोल के महत्व के बारे में बात करने के लिए भी थीं. 30 जून को, उन्होंने वहां आयोजित रोज़गार मेले के तहत नौकरी के प्रस्ताव दिए.
दिप्रिंट से बात करते हुए राज्य भाजपा उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने कहा कि सीतारमण राज्य के विकास से अवगत हैं और स्थानीय लोग उन पर भरोसा करने में अधिक सहज हैं क्योंकि वह तमिल में उनके साथ जुड़ सकती हैं.
उन्होंने कहा, “तमिलनाडु की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने पटाखा उद्योग, माचिस उद्योग, नीलगिरी में चाय बागान श्रमिकों, तिरुपुर के कपड़ा उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की हैं. उन्होंने मंत्री के साथ अपनी चिंताओं और मुद्दों को साझा किया है और वे (सीतारमण) उनकी शिकायतों को दूर करने की दिशा में काम कर रही हैं.”
तिरुपति ने कहा, “उन्हें तमिलनाडु की राजनीति और यहां क्या हो रहा है, इसकी स्पष्ट समझ है.”
राजनीतिक विश्लेषक सुमंत सी. रमन के अनुसार, हालांकि, जब राज्य की राजनीति की बात आती है, तो सीतारमण एक “जन नेता” नहीं हैं, लेकिन उन्हें संसद में तमिलनाडु से भाजपा की आवाज़ के रूप में देखा जा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में तीन तमिल भाषी मंत्री हैं — सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (एमओएस) डॉ एल मुरुगन जो कि 2020 और 2021 के बीच तमिलनाडु के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं.
चेन्नई की रोजा मुथैया रिसर्च लाइब्रेरी के लेखक और फेलो ए.एस. पन्नीरसेल्वन ने कहा, उनमें से कोई भी संसद का निर्वाचित सदस्य नहीं है, लेकिन उन्हें वहां नामांकित किया गया था. हालांकि, एक राज्य मंत्री के रूप में मुरुगन को संसद में ज्यादा बोलने का अधिकार नहीं है.
पन्नीरसेल्वन ने दिप्रिंट को आगे बताया, “जयशंकर तमिल में बोलने में बहुत सहज नहीं हैं. वे उन अंग्रेज़ी विशेषज्ञों में से एक हैं और तमिल में बहुत अधिक स्पष्ट नहीं हैं. यह देखते हुए संसद में भाजपा को निर्मला की अभिव्यक्ति पर निर्भर रहना पड़ता है.”
दिप्रिंट ने कॉल और टेक्स्ट मैसेज पर निर्मला सीतारमण से संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई उनसे जवाब नहीं मिल पाया. जवाब आने के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
एक सरकारी वेबसाइट पर वित्त मंत्री की जीवनी के विवरण के अनुसार, सीतारमण का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और ग्रेजुएशन की पढ़ाई तिरुचिरापल्ली में की, इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से की.
भाजपा की तमिलनाडु इकाई के सदस्यों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद केंद्र सरकार में वित्त विभाग संभालने वाली देश की केवल दूसरी महिला, सीतारमण “राज्य का गौरव” हैं.
दिप्रिंट ने राज्य में सीतारमण के जुड़ाव पर टिप्पणी के लिए सहयोगी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) खेमे और प्रतिद्वंद्वी डीएमके के सदस्यों से भी संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के छापे जाने तक उनसे भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई.
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संसद में बीजेपी की तमिल आवाज़
थूथुकुडी में एक म्यूज़िम की आधारशिला रखने के लिए अगस्त में तमिलनाडु की अपनी यात्रा के दौरान, सीतारमण ने मणिपुर मुद्दे पर सवालों का जवाब देते हुए तमिल में विपक्ष पर हमला बोला.
संसद के मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भाजपा को सिलप्पाधिकरम (तमिल महाकाव्य) पढ़ने के लिए कहने वाली द्रमुक सांसद कनिमोझी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए, सीतारमण ने कहा, “तमिलनाडु में जो लोग हैं वे पीएम मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को समझते हैं, लेकिन यहां वे राजनीति करना चाहते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “सिलप्पाधिकरम के अनुसार, सांस्कृतिक आदतों और प्रथाओं के रूप में थोड़ा अंतर हो सकता है लेकिन वे (द्रविड़ और गैर-द्रविड़) एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं. एकता है, भारत की एकता जैसा कि सिलप्पाधिकारम में बताया गया है.”
वित्त मंत्री ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब मणिपुर में ऐसी घटनाएं हुई हैं. यह दुखद है लेकिन जब वे (विपक्ष) संसद में राजनीति कर रहे हैं, तो मैं भी राजनीति बोल रही हूं…यूपीए (कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) शासन के दौरान (2013 में मंत्री ने उस घटना के बारे में विस्तार से नहीं बताया जिसका वह ज़िक्र कर रही थीं), तत्कालीन गृह मंत्री मणिपुर भी नहीं गए, लेकिन अमित शाह वहां तीन दिन तक रहे. विपक्ष यह सुनने के लिए तैयार नहीं है कि उन्हें क्या कहना है, लेकिन वे केवल चाहते हैं कि पीएम बोलें.”
इस साल मई में सेंगोल पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जिसे नई संसद में स्थापित किया जाना था, सीतारमण तमिलनाडु में लोगों को विकास के बारे में जानकारी देने के लिए चेन्नई पहुंचीं और कहा, “सेंगोल एक राष्ट्रीय खजाना है जिसका तमिलनाडु और भारत की आज़ादी से गहरा संबंध है. यह धार्मिक शासन की चोल परंपरा है. सेंगोल उचित और निष्पक्ष रूप से शासन करने के लिए “आदेश” (तमिल में “अनाई”) प्रदान करता है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक जे.वी.सी. श्रीराम ने बताया कि सीतारमण के मानसून सत्र के भाषण ने राज्य में हलचल पैदा कर दी. “निश्चित रूप से यह एक चर्चा का विषय बन गया, श्रीराम ने कहा, इसने लोगों को द्रमुक (वर्तमान में राज्य में सत्ता में पार्टी) के रवैये की याद दिला दी, जब जयललिता को कथित तौर पर परेशान किया गया था.”
2021 के राज्य चुनावों में डीएमके के अभियानों में से एक मदुरै में एम्स शुरू करने में कथित देरी को लेकर था.
10 अगस्त को अपने संसद भाषण के दौरान द्रमुक पर पलटवार करते हुए, सीतारमण ने इसका दोष तमिलनाडु सरकार पर मढ़ा. उन्होंने कहा, “बजट (एम्स मदुरै के लिए) 1,200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,900 करोड़ रुपये कर दिया गया क्योंकि राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण में देरी की. अगर परियोजना में अभी भी देरी हो रही है, तो यह राज्य सरकार के कारण है, न कि केंद्र सरकार के कारण.”
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सीतारमण और चुनावी राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीतारमण, जो कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करने वाली राज्यसभा की मनोनीत सदस्य हैं, तमिलनाडु के लोगों को भाजपा को “आक्रामक रूप से बेच” रही हैं.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा, जिसे राज्य में 2021 के विधानसभा चुनावों में सिर्फ 2.6 प्रतिशत वोट और 2019 के लोकसभा चुनावों में 3.66 प्रतिशत वोट मिले थे, द्रविड़ पार्टियों के प्रभुत्व वाले राज्य में पैठ बनाने की दिशा में काम कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनकी जैसी आवाज़ें भाजपा की हिंदी पार्टी या तमिल विरोधी पार्टी की छवि को बदलने में महत्वपूर्ण हैं.
पन्नीरसेल्वन ने कहा, लोकसभा में सीतारमण का भाषण केवल बहस के मुख्य मुद्दों — अविश्वास प्रस्ताव और मणिपुर मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने का एक तरीका हो सकता है.
रमन ने कहा कि ब्राह्मण होना सीतारमण को राज्य की राजनीति में किसी भी तरह की गुंजाइश से वंचित करता है.
उन्होंने कहा, “द्रविड़ पार्टियों ने विशेषकर द्रमुक ने बहुत दृढ़ता से ब्राह्मण विरोधी भावना पैदा की है. किसी भी ब्राह्मण के लिए राजनीतिक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करना लगभग असंभव है. तीन फीसदी आबादी होने के बावजूद तमिलनाडु विधानसभा में एक भी ब्राह्मण नहीं है. बीजेपी ब्राह्मण पार्टी के टैग से दूर जाने की कोशिश कर रही है. उनके समुदाय के कारण, मुझे राज्य की राजनीति में उन्हें कोई बड़ी भूमिका मिलने की संभावना नहीं दिखती.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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