नई दिल्ली: मानहानि मामले में राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है. उसके बाद एक ओर जहां विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोल दिया है वहीं राहुल गांधी भी बार बार कह रहे हैं मैं डरता नहीं हूं. लेकिन इस बीच उन्होंने यह भी कहा है कि ‘मेरा सरनेम सावरकर नहीं हैं, मैं नहीं डरने वाला हूं.’
राहुल द्वारा बार बार सावरकर का नाम लिए जाने पर शिवसेना यू.के मुखपत्र सामना में आज संपादकीय लिखा है. सामना ने राहुल को बताने की कोशिश की है कि, ‘राहुल गांधी नहीं डर रहे हैं और अडाणी-मोदी के रिश्ते पर लगातार सवाल पूछ रहे हैं. राहुल खुद के साथ पूरी पार्टी और देश को निडर बनाने में जुड़े हैं लेकिन ‘मेरा सरनेम सावरकर नहीं’ ऐसा बयान बार-बार देने से निडरता पैदा नहीं होगी और वीर सावरकर के प्रति जनता का विश्वास नहीं टूटेगा. वीर सावरकर अपने स्थान पर महान हैं.’
सावरकर पर बेवजह ‘माफीवीर’ जैसे दोष मढ़कर लड़ने का बल किसी को नहीं मिलेगा. ‘वीर सावरकर’ के नाम में तेज है. अन्याय व गुलामी के विरुद्ध लड़ने की ताकत है. वीर सावरकर ने अंग्रेजों की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए इंग्लैंड और अपने देश में भी योद्धा तैयार किए, उन योद्धाओं ने जुल्मी शासकों पर ‘धाड़धाड़’ गोलियां चलाई व सावरकर को उस कृत्य पर कभी पछतावा नहीं हुआ.
हालांकि, सामना ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को निरस्त किए जाने को अन्याय कहा है और यह भी कहा है कि इससे उनकी (भाजपा) जीत नहीं होगी. सामना ने लिखा है कि राहुल गांधी का जन्म शहीदों के परिवार में हुआ है और यह सच है. स्वतंत्रता संग्राम में मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू ने अपने पूर्वजों से विरासत में मिली हर चीज को दांव पर लगा दिया. उन्होंने अपना काला धन किसी अडाणी में निवेश करके उसका व्यापार नहीं किया. उनका जीवन देश के लिए था. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने भी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और उनके बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा, लेकिन वीर सावरकर, उनके भाई बाबाराव सावरकर और उनके पूरे परिवार ने देश के लिए उतना ही महान बलिदान दिया है.
सामना ने लिखा है कि राहुल गांधी का सांसद पद छीन लिया गया है अंग्रेजो ने सावरकर के ‘बैरिस्टर’ की उपाधि छीन ली थी, वीर सावरकर का जीवन प्रेरणादायी था और रहेगा. सावरकर अंग्रेजों से कभी नहीं डरे. पचास साल के काले पानी की सजा सुनाए जाने के बाद भी उन्होंने हंसते-हंसते हुए कहा, ‘लेकिन क्या मेरे देश पर पचास साल तक अंग्रेजों का राज रहेगा? इससे पहले, हम इसे उखाड़ फेंकेंगे.’
वीर सावरकर को समझने के लिए एक बड़े मन और बाघ का कलेजा चाहिए.
सामना ने लिखा है कि ‘वीर सावरकर को समझने के लिए एक बड़े मन और बाघ का कलेजा चाहिए. उनका अपमान करने या उन पर कीचड़ उछालने से पहले उनकी महानता को समझ लिया जाए, तो कोई भी स्वातंत्र्यवीर की बेअदबी या उपहास करने की हिम्मत नहीं करेगा.’
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कौन थे सावरकर
सामना ने यह भी बताया है कि, ‘सावरकर दुनिया के एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्हें आजीवन कारावास की दो-दो बार सजा सुनाई गई.’
अपने संपादकीय में सामना ने सावरकर को दुनिया का पहला लेखक बताया है जिनकी किताब ‘1857 का स्वतंत्रता संग्राम’ पर प्रकाशन से पहले ही दो देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था.
संपादकीय में वीर सावरकर की उन बातों को भी बताया गया है कि किस तरह से सावरकर ने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ लेने से इनकार कर दिया था और वह ऐसा करने वाले पहले हिंदुस्तानी विद्यार्थी थे.
सामना में राहुल के बहाने ये बताने की कोशिश की गई है कि सावरकर दुनिया के एकमात्र कवि हैं जिन्होंने अंडमान जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखकर उसे कंठस्थ किया और जेल से छूटने के बाद कंठस्थ की हुई कविताओं की 10 हजार पंक्तियां फिर से लिखीं. विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले हिंदुस्थान के किसी राजनेता के रूप में भी कोई नाम सामने आता है, तो वह सावरकर का. वीर सावरकर की गाथा कितनी सुनाई जाए?
सावरकर को न घसीटें, कांग्रेसियों को दिक्कत होगी
सामना ने लिखा है कि मौजूदा राजनीति में जिसतरह से सावरकर का नाम घसीटकर, उन्हें छोटा साबित करने की कोशिश की जा रही है वो दर्दनाक है. राहुल गांधी वीर सावरकर के बारे में जो अपमानजनक बयान दे रहे हैं, इससे उनके प्रति सहानुभूति कम होगी. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा दिक्कत कांग्रेसियों को होगी.
सामना ने लगभग धमकी देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र के गांव-गांव में सावरकर अनेक रूपों में खड़े हैं और वे सीना तानकर खड़े हैं.
संपादकीय में सामना ने आगे लिखा है कि मोदी-अडाणी की मिलीभगत से देश को लूटा जा रहा है. उस लूट पर सवाल पूछने वालों को अपराधी करार दिया गया. देश में दो भयानक कानून आज विपक्षियों को खत्म कर रहे हैं और ये दोनों भयानक कानून कांग्रेस के दौर में आए थे. ‘ईडी’ के लिए जो विशेष मनी लॉन्ड्रिंग कानून का ‘भस्मासुर’ तैयार किया गया, उस भस्मासुर के जन्मदाता तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम हैं.
राहुल को यह भी याद दिलाया है कि कैसे उन्हें विधायक और सांसद पद के संरक्षण के लिए एक अध्यादेश पारित किया था. राहुल गांधी ने ही उस अध्यादेश के टुकड़े टुकड़े किए थे. आज उसी के कारण राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता संकट में आई है. अब उस धारा को ही चुनौती देने की तैयारी राहुल गांधी कर रहे हैं.
राहुल गांधी पर शत-प्रतिशत गलत कार्रवाई हुई है और इतना सब कुछ होने के बावजूद भी राहुल गांधी नहीं डगमगाए, लेकिन जब इंदिरा गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द की गई थी तो देश में भारी आक्रोश पैदा हो गया था. ‘पीएमएलए’ कानून का बिंदास दुरुपयोग करके विपक्ष का बंदोबस्त किया जा रहा है. दूसरा कानून यानी जनप्रतिनिधियों को कोर्ट द्वारा दो साल से ज्यादा की सजा सुनाए जाने के बाद विधायक और सांसद पद को रद्द करने का कानून है. उन जनप्रतिनिधियों को अपील करने का मौका मिले, तब तक उनके विधायक-सांसद पद को संरक्षण मिले, ऐसा एक अध्यादेश पारित किया गया था और वह सही था.
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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