श्रीनगर: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को केंद्र पर आरोप लगाया कि वह जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों में भाजपा के अलावा अन्य राजनीतिक दलों की हिस्सेदारी को ‘बाधित’ कर रहा है.
नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सहित घाटी की प्रमुख पार्टियों ने आरोप लगाया है कि चुनावों मे सबको समान मौका नहीं मिल रहा है. उनका आरोप है कि प्रशासन उनके उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं दे रहा है और उन्हें आवासों में नजरबंद कर रहा है.
पीडीपी प्रमुख ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत सरकार डीडीसी चुनावों में गैर-भाजपा दलों की हिस्सेदारी को बाधित कर रहा है. पर्याप्त सुरक्षा होने के बावजूद पीडीपी नेता बशीर अहमद को सुरक्षा के नाम पर पहलगाम में रोक लिया गया. आज नामांकन का अंतिम दिन है और उनकी रिहाई के लिए डीसी अनंतनाग से बात की है.’
पुलिस ने कहा है कि उम्मीदवारों को सामूहिक सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और सुरक्षित क्षेत्रों में रखा गया है क्योंकि हर उम्मीदवार को सुरक्षा दे पाना कठिन है.
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा कि उम्मीदवारों को दोहरी सुरक्षा मुहैया करायी जा रही है. सुरक्षा बल उस क्षेत्र की भी सुरक्षा करते हैं जहां वे प्रचार करने के लिए जाना चाहते हैं.
जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को बाधित करने के लिए सुरक्षा का इस्तेमाल किया जा रहा: अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नवगठित गुपकर गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को गठबंधन के उम्मीदवारों के साथ ‘किए जा रहे व्यवहार’ पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में लोकतंत्र को बाधित करने के लिए बहाना के रूप में सुरक्षा का उपयोग किया जा रहा है.
श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के चुनाव आयुक्त के के शर्मा को लिखे दो पृष्ठों के पत्र में कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों को सुरक्षा प्रदान करना और बाकी को वस्तुत: नजरबंद करना लोकतंत्र में व्यापक हस्तक्षेप के समान है.
उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘मैं आगामी डीडीसी चुनावों के बारे में आपको लिख रहा हूं. एक अजीब और अनोखी विशेषता सामने आई है. गुपकर गठबंधन द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर ‘सुरक्षित स्थानों’ पर ले जाया रहा है… उन्हें चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं है, वे उन लोगों के संपर्क से पूरी तरह से दूर हैं, जिनसे उन्हें वोट मांगना है.’
उन्होंने कहा कि गुपकर गठबंधन में शामिल पार्टियां विगत में सत्ता में रही हैं और उन्हें सरकार चलाने का अवसर मिला है और वे हिंसा से घिरे स्थान पर सुरक्षा को लेकर उत्पन्न चुनौतियों से वाकिफ हैं.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये चुनौतियां नयी नहीं हैं, बल्कि पिछले तीन दशकों से दुखद रूप से बनी हुई हैं. लेकिन सरकार के पास ऐसी व्यवस्था थी, जो सभी उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती थीं, चाहे वे किसी भी विचारधारा के हों या वे किसी भी दल का प्रतिनिधित्व करते हों.’
उन्होंने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र का विकास देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में विशिष्ट है और यह ‘रक्तरंजित यात्रा’ रही है, जो हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खून से सनी है, जिन्होंने लोकतंत्र के खातिर अपनी जान दे दी.
यह भी पढ़ें: ‘अगर पॉज़िटिव निकला तो क्या होगा?’- नोएडा के रैंडम टेस्ट शुरू करते ही सीमाओं पर यात्रियों में फैला डर