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Friday, 22 November, 2024
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MP में 75 साल के नेता को मिला टिकट, मोदी के तीसरे टर्म में 70 पार BJP नेताओं को टिकट की उम्मीद

चुनावी राज्यों के कई दिग्गज विधायक अपने लिए दावा पेश करने के लिए मध्यप्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए तैयार 75 वर्षीय जगन्नाथ रघुवंशी और 'शारीरिक रूप से फिट' मोदी का उदाहरण दे रहे हैं.

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नई दिल्ली: 75 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी पार्टी के पुराने नेताओं के बीच काफी चर्चा का विषय बन गए हैं.

रघुवंशी को पिछले महीने मध्यप्रदेश की चंदेरी सीट से बीजेपी का उम्मीदवार घोषित किया गया था, और इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों दो राज्यों में 70 के आस-पास उम्र वाले पार्टी नेताओं को उम्मीदें जगी हैं कि आगामी चुनावों के लिए टिकट पाने के लिए उनकी उम्र अधिक नहीं है.

पिछले साल, 76 वर्षीय योगेश पटेल गुजरात चुनाव के लिए बीजेपी के सबसे उम्रदराज उम्मीदवार बने थे. उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट मांजलपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

जब से नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बीजेपी की कमान संभाली है, तब से चुनाव लड़ने या सरकार में रहने के लिए 75 साल की अलिखित कट-ऑफ उम्र तय हो गई है.

अब, रघुवंशी को टिकट अनौपचारिक आयु सीमा में ढील देने की पार्टी की इच्छा का एक और संकेत है. हालांकि, यदि बीजेपी सत्ता बरकरार रखती है, तो पूर्ण तीसरा कार्यकाल पूरा करने के बारे में प्रधानमंत्री मोदी का स्पष्ट संदेश है, जिसने पार्टी के सत्तर साल के लोगों को आशा दी है जो अभी तक अपने पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.

उन्होंने बताया है कि पीएम, जो इस महीने की शुरुआत में 73 वर्ष के हो गए हैं, ने लगातार दो कार्यकाल के लिए केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का नेतृत्व किया है और उन्हें 2024 के लिए बीजेपी के अभियान के नेता के रूप में भी घोषित किया गया है.

दिप्रिंट से बात करने पर 70 से अधिक उम्र के कई बीजेपी विधायकों ने कहा कि मोदी उनके “आदर्श” हैं, जो “तीसरे कार्यकाल के लिए देश का नेतृत्व करने के लिए अभी भी शारीरिक रूप से फिट हैं”. इसी तरह, नेताओं ने तर्क दिया कि वे भी अपने निर्वाचन क्षेत्र का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त हैं और उन्हें टिकट से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. 80 वर्ष से अधिक उम्र के कुछ लोगों ने भी यही आशा व्यक्त की.

ऐसे ही एक टिकट के दावेदार हैं मध्य प्रदेश की सिवनी-मालवा सीट से बीजेपी विधायक 73 वर्षीय प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा. कहा जाता है कि वर्मा की अपने निर्वाचन क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) मतदाताओं पर पकड़ है और इसलिए उन्हें उम्मीद है कि उन्हें फिर से टिकट दिया जाएगा.

वो कहते हैं, “उम्र मानदंड नहीं है, अगर जीतने की क्षमता है तो. हमारे आदर्श पीएम मोदी हैं, जो 73 साल पूरे करने के बावजूद न सिर्फ शारीरिक रूप से फिट हैं और एक के बाद एक देश का दौरा कर रहे हैं, बल्कि रात-रात भर काम भी कर रहे हैं. मैं भी शारीरिक रूप से स्वस्थ हूं और मेरी सभी इंद्रियां काम कर रही हैं. इसलिए, मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं. हम सभी पीएम से प्रेरणा ले रहे हैं और हमें केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र की देखभाल करनी है.”

राजस्थान में, टिकट के दावेदारों में विधायक काली चरण सराफ, पब्बा राम बिश्नोई, दोनों की उम्र 72 वर्ष और वासुदेव देवनानी (73 वर्ष) शामिल हैं. जैसा कि राज्य बीजेपी के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि नेताओं का मानना ​​है कि वे चुनाव लड़ने के लिए फिट हैं और उनके पास चुनाव जीतने की क्षमता है.

हालांकि, बीजेपी हलकों में यह समझा जाता है कि पार्टी से रिटायरमेंट की आयु 75 साल है, जिसका अर्थ है कि इस आयु से ऊपर के नेताओं को चुनाव लड़ने से रोका जाता है.

पार्टी ने पिछले चुनावों में भी कर्नाटक के बी.एस. येदियुरप्पा, जो अब 80 वर्ष के हैं, और महाराष्ट्र में एकनाथ खडसे, जो अब 71 वर्ष के हैं, को टिकट देने से इनकार कर दिया था.

वरिष्ठ टिकट दावेदारों की मांगें ऐसे समय में आई हैं जब कहा जा रहा है कि बीजेपी चुनावों के लिए नए चेहरों की तलाश कर रही है.

राजस्थान बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि “संगठन और चुनावी क्षेत्र में युवा लोगों को शामिल करना पार्टी संगठन को युवा बनाने की एक सचेत रणनीति है”. लेकिन, उन्होंने कहा, “यह भी सच है कि पार्टी सक्षम लोगों को रिटायर करने के लिए आयु मानदंड का उपयोग नहीं कर सकती है”.

बीजेपी नेता ने कहा, “पार्टी टिकट देने के लिए दो मानदंडों का उपयोग नहीं कर सकती. यदि प्रधानमंत्री के लिए उम्र कोई मापदंड नहीं है क्योंकि वह जीत रहे हैं, तो वही तर्क उन योग्य वरिष्ठ नेताओं पर भी लागू किया जाना चाहिए जो जीत रहे हैं. ऐसे नेताओं को बाहर करने के लिए मानदंड लागू नहीं किया जाना चाहिए.”

मध्य प्रदेश के 77 वर्षीय दलित नेता सत्यनारायण जटिया, जिन्हें पिछले साल बीजेपी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था, ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी में 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने वाला कोई नियम नहीं है.


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‘मुझे पूरी आशा है’

बीजेपी की राज्य इकाई के सूत्रों ने कहा कि मध्यप्रदेश में 70 साल से अधिक उम्र के 16 विधायक हैं और ज्यादातर को उम्मीद है कि उन्हें टिकट मिलेगा.

73 वर्षीय विधायक पारस जैन, जो पहली बार 1990 में उज्जैन से चुने गए थे और तब से इस सीट से एक बार छोड़कर सभी चुनाव जीते हैं. वो पूरी तरह से आशावान हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “टिकट पार्टी तय करेगी लेकिन मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं. टिकट जीतने की क्षमता पर दिए जाते हैं. अगर 50 साल का कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से फिट नहीं है तो क्या पार्टी उसे चुनेगी? पीएम 73 साल के हैं लेकिन उनमें युवाओं से ज्यादा ऊर्जा है. मैं रिटायर नहीं होने जा रहा हूं क्योंकि पार्टी अनुभवी लोगों का उपयोग कर सकती है.”

राज्य मंत्री और रहली से आठ बार के विधायक गोपाल भार्गव, जो अब 71 वर्ष के हैं, भी अगला चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं. हाल ही में अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने घोषणा की: “मैं इस बार भी चुनाव लड़ूंगा.”

गुना सीट से छह बार के विधायक 75 वर्षीय गोपीलाल जाटव ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें ‘टिकट मिलना निश्चित था क्योंकि पार्टी ने चंदेरी से जग्गनाथ सिंहजी को टिकट दिया है जो मुझसे ज्यादा वरिष्ठ हैं.’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा.

नागौद विधायक 80 वर्षीय नागेंद्र सिंह भी टिकट मिलने को लेकर आशान्वित हैं. उन्होंने कहा, “पार्टी फैसला करेगी लेकिन मैं शारीरिक रूप से स्वस्थ हूं और अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम कर रहा हूं. मुझे पूरी आशा है कि टिकट मिलेगा.”

नर्मदापुरम से 73 वर्षीय बीजेपी विधायक सीतासरन शर्मा, जो 2014 से 2019 तक MP विधानसभा अध्यक्ष थे, के अनुसार राज्य बीजेपी अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने कहा था कि टिकट के लिए उम्र मापदंड नहीं बल्कि जीतने की क्षमता होगी.

राजस्थान में भी उम्रदराज़ बीजेपी नेता अपनी फिटनेस और जीतने की क्षमता का हवाला देकर चुनाव में एक और मौका देने के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं.

इस महीने की शुरुआत में, छह बार के बीजेपी विधायक 85 वर्षीय सूर्यकांत व्यास ने नागौर में बीजेपी परिवर्तन यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत के बयान पर प्रतिक्रिया देते चुनाव टिकटों को लेकर पार्टी आलाकमान पर निशाना साधा था.

केंद्रीय मंत्री ने कथित तौर पर कहा था, “हिंदी के लेखक मुंशी प्रेमचंद ने अपनी एक कहानी में लिखा है कि बुढ़ापा अक्सर बचपन की पुनरावृत्ति होता है और बचपन में ऐसी गलतियां होती हैं.”

व्यास ने पलटवार करते हुए कहा, “शेखावत जो कह रहे हैं उसके बावजूद मैं चुनाव लड़ूंगा. शेखावत के जन्म से भी पहले से मैं राजनीति में हूं. यहां तक ​​कि सी.पी. जोशी और राजेंद्र राठौड़ मेरे पैर छूते हैं. उसे पहले शिष्टाचार सीखना चाहिए.”


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‘मोदीजी के लिए उम्र का नियम तोड़ा जा सकता है’

बीजेपी में उम्र का विवाद 2019 में शुरू हुआ, जब पार्टी ने 75 साल से ज्यादा उम्र के 20 से ज्यादा दिग्गज सांसदों को बाहर कर दिया.

एल.के. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र, बी.एस. कोशियारी, बी.सी. खंडूरी, करिया मुंडा, शांता कुमार, हुकुमदेव नारायण यादव, सत्यनारायण जटिया और शत्रुघ्न सिन्हा को राजनीति से संन्यास लेने को कहा गया.

पार्टी ने जिस तरह से उन्हें अपना फैसला बताया, उसे लेकर आडवाणी ने नाराजगी जताई थी. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी संसदीय सीट के बारे में पार्टी के अनिर्णय का हवाला देते हुए एक खुला पत्र लिखकर अपनी रिटायरमेंट की घोषणा की. मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के मतदाताओं से कहा कि उनकी पार्टी ने उनसे कहा था कि वह इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव न लड़ें और कहीं और सीट तलाशें.

जबकि बीजेपी के तत्कालीन संगठनात्मक महासचिव रामलाल ने उनसे फोन पर यह घोषणा करने का अनुरोध किया कि वे चुनाव से बाहर हो रहे हैं, लेकिन आडवाणी और जोशी ने पार्टी के आदेश का पालन नहीं किया. बाद में, तत्कालीन बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए गांधीनगर सीट पर आडवाणी की जगह ली.

उस समय, शाह ने एक समाचार पत्रिका को बताया था कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को चुनाव टिकट नहीं देने का निर्णय पार्टी का था. लेकिन अब जबकि मोदी एक और कार्यकाल के लिए तैयार हैं, दिग्गज नेता टिकटों के लिए शारीरिक फिटनेस और जीतने की क्षमता को मुख्य मानदंड बता रहे हैं.

71 वर्षीय गौरीशंकर बिसेन, जिन्हें पिछले महीने MP कैबिनेट में शामिल किया गया था, ने दिप्रिंट से कहा: “मोदीजी ने उम्र को चुनौती दी है. भारत ने मोदी जैसा पीएम कभी नहीं देखा. वह फिट हैं और उनके नेतृत्व में नई ऊंचाइयां हासिल हुई हैं. उनके लिए उम्र का नियम तोड़ा जा सकता है क्योंकि देश को उनके नेतृत्व की जरूरत है.”

सिर्फ विधायक ही नहीं, दिग्गज सांसद भी इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि टिकट तय करते समय उम्र संबंधी बंधन में ढील दी जाएगी.

कुछ लोगों ने तो इसके बारे में बोलना भी शुरू कर दिया है. इसी जून में 74 वर्षीय सांसद हेमा मालिनी ने मीडिया से कहा था कि अगर उन्हें अगला चुनाव लड़ना पड़ा तो वह मथुरा से ही चुनाव लड़ेंगी, किसी अन्य सीट से नहीं.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अन्य प्रमुख सांसद जो टिकट पाने को लेकर आशान्वित हैं, उनमें रमापति राम त्रिपाठी, रीता बहुगुणा जोशी, संतोष गंगवार, सत्यदेव पचौरी, राधा मोहन सिंह, सदानंद गौड़ा, श्रीपाद नाइक और किरण खेर शामिल हैं.

ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने स्वेच्छा से संन्यास ले लिया है और पार्टी से युवा कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने का मौका देने को कहा है. राजस्थान के नागौर से निर्वाचित 72 वर्षीय विधायक मोहन राम ने दिप्रिंट को बताया, “मैंने अपनी सीट के लिए एक और उम्मीदवार खोजने के लिए पार्टी को पत्र लिखा है. मैं एक मिसाल कायम कर रहा हूं. पार्टी को युवा लोगों को लाना चाहिए.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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