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Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीति‘बोम्मई आक्रामक शिंदे खामोश', महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद पर बोले उद्धव- केंद्रशासित क्षेत्र बनाए केंद्र’

‘बोम्मई आक्रामक शिंदे खामोश’, महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद पर बोले उद्धव- केंद्रशासित क्षेत्र बनाए केंद्र’

महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद के बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में कहा, ‘हमें कर्नाटक की एक इंच जमीन भी नहीं चाहिए, लेकिन हम अपनी जमीन वापस चाहते हैं.’

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज महाराष्ट्र विधानसभा में एक ओर जहां विपक्षी पार्टियों ने सदन के बाहर प्रदर्शन किया वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा में विवादित क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने की मांग की.

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने कहा, ‘हमें कर्नाटक की एक इंच भी जमीन नहीं चाहिए, लेकिन हम अपनी जमीन वापस चाहते हैं. हमें केंद्र को एक मांग भेजनी चाहिए कि कर्नाटक के कब्जे वाले महाराष्ट्र की जमीन को अभी केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दें.’

वहीं महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सदन में दिए अपने बयान में कहा कि महाराष्ट्र सरकार इसपर प्रस्ताव लाने को तैयार है. उन्होंने कहा, ‘प्रस्ताव में देरी इसलिए हुई क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दिल्ली जाना पड़ा.’

सदन को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘हम एक इंच जमीन के लिए भी लड़ेंगे. कर्नाटक के मराठी भाषी लोगों के लिए हमसे जो कुछ भी संभव हो सकेगा वो हम करेंगे. हम इस मुद्दे पर एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.’


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कर्नाटक के सीएम आक्रामक, शिंदे खामोश

उद्धव ठाकरे ने सरकार पर आगे हमला करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर खामोश हैं. उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक के मुख्यमंत्री सीमा विवाद पर आक्रामक रुख अपना रहे हैं और शिंदे खामोश है.’

कुछ दिन पहले ही कर्नाटक विधानसभा ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में इस बात को दोहराया गया था कि कर्नाटक महाराष्ट्र को अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देगा. विधानमंडल के दोनों सदन में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हो गया.

इस प्रस्ताव के पास होने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘विधानमंडल के दोनों सदन ने पहले भी इस तरह के कई प्रस्ताव पारित पारित कर चुके हैं.’

इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री को विपक्ष का भी सहयोग मिला था. विपक्षी नेता सिद्धारमैया ने कहा कि विवाद का कोई सवाल नहीं है. सीमा विवाद काफी पहले ही सुलझाया जा चुका है.

‘चीन की तरह कर्नाटक में भी घुसेंगे’

हाल में ही शिवसेना (उद्धव गुट) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हम कर्नाटक में उसी तरह घुसेंगे जिस तरह चीन देश में घुसा. उन्होंने कहा, ‘हमें इस मुद्दे पर किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है. हम बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री हमें भड़का रहे हैं. महाराष्ट्र की सरकार कमजोर है और वह इस मुद्दे पर कोई स्टैंड नहीं ले रही है.’

क्या है कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद

कर्नाटक और महाराष्ट्र सीमा विवाद का इतिहास बहुत पुराना है. आजादी के बाद प्रशासनिक कार्यों की सुलभता को देखते हुए बीजापुर, धारवाड़, गुलबर्गा, बीदर और बेलगाम को कर्नाटक में मिला दिया गया. यह इलाका मराठी भाषी लोगों का था. यह क्षेत्र करीब 2,806 वर्ग मील वर्ग क्षेत्र में फैला है और इसमें 814 गांव और लगभग 7 लाख आबादी आती है. आजादी से पहले यह इलाका मुंबई प्रेसीडेंसी का भाग था. उसके बाद से ही दोनों राज्यों के बीच इस इलाके को लेकर विवाद चल रहा है.

केंद्र सरकार ने साल 1966 में इस मामले को सुलझाने के लिए महाजन समिति का गठन किया था जिसमें दोनों पक्षों के लोग शामिल थे. साल 1967 में समिति ने कर्नाटक के सुपर्णा तालुका, हलियाल और कारवार के कुछ इलाकों को महाराष्ट्र को देने और बेलागवी को कर्नाटक के साथ रहने देने की सिफारिश की. साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को आपसी बातचीत से सुलझाने की बात कही और भाषाई आधार को खारिज कर दिया. इस मामले की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.


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