पटना: बिहार में भाजपा का चेहरा और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जोर देकर कहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) राष्ट्रीय पार्टी की ‘बी’ टीम नहीं है.
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार के दृढ़ समर्थक रहे मोदी ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि लोजपा बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा नहीं है.
इस धारणा पर कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नीतीश का कद घटाना चाहता है, को खारिज करते हुए मोदी ने कहा, ‘लोजपा बिहार में एनडीए का हिस्सा नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब एक दर्जन संयुक्त चुनावी सभाओं को संबोधित करने वाले हैं.’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘जदयू को कम सीटें मिलने से भाजपा को क्या फायदा होगा? हम एक मजबूत और स्थिर सरकार बनाना चाहते हैं. हमने स्पष्ट कर दिया है कि जदयू और भाजपा की सीटों की संख्या कुछ भी रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे.’
2005 में पहली बार भाजपा-जदयू के सत्ता में आने के बाद से मोदी नीतीश के सबसे करीबी सहयोगी रहे हैं.
यह नजदीकी 2013 में केवल तभी घटी थी जब दोनों दलों ने अलग राहें अपना ली थीं.
अब एक बार फिर इन रिश्तों की अग्निपरीक्षा है क्योंकि इस महीने के शुरू में लोजपा ने घोषणा कर दी थी कि बिहार विधानसभा चुनावों में वह अकेले ही मैदान में उतरेगी. लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने स्पष्ट तौर पर कह रखा है कि उनकी पार्टी भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेगी. साथ ही वह मतदाताओं से मुख्यमंत्री का फिर समर्थन न करने की अपील भी कर रहे हैं.
इससे इन अटकलों को बल मिला है कि चिराग पासवान के इस रुख के पीछे भाजपा का हाथ है.
हालांकि, मोदी ने कहा कि इस तरह के आरोप निराधार हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा नेताओं की अनदेखी ने चिराग संकट को जन्म लेने दिया, मोदी ने कहा कि लोजपा प्रमुख के साथ सीटें साझा करने पर बातचीत जारी थी और उनकी पार्टी लोजपा के लिए अपने कोटे से सीटें छोड़ने तक को तैयार थी.
मोदी ने आगे कहा, ‘लेकिन जब बातचीत चल रही थी तब भी पार्टी गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रही थी. अगर रामविलास पासवान स्वस्थ होते और बातचीत में हिस्सा ले रहे होते तो यह संकट आता ही नहीं.’
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‘भाजपा कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति थी लेकिन तस्वीर साफ की’
हालांकि, उपमुख्यमंत्री ने माना कि इस पूरे प्रकरण ने भाजपा समर्थकों में भ्रम की स्थिति पैदा की है.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन भ्रम धीरे-धीरे दूर किया जा रहा है. हमने लोजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे अपनी पार्टी के नेताओं को निकाल दिया है. हमारे कई नेता और मैं खुद जनसभाओं में इस बात को साफ करते हैं कि लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं है. हम उन क्षेत्रों में भी जदयू प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी सभाएं करेंगे, जहां भाजपा के बागी चुनाव लड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने दो ऐसी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं जो मौजूदा समय में लोजपा के पास हैं. एक बार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की संयुक्त रैलियां हो जाएं सारा भ्रम खुद ब खुद दूर हो जाएगा.’
चुनाव पर लोजपा का असर
चुनावों पर लोजपा के असर के बारे में पूछे जाने पर, मोदी ने कहा कि इस बार बहुत सारे मोर्च खुले हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘उपेंद्र कुशवाहा (आरएलएसपी) कुशवाहा और उच्च जाति के प्रत्याशी उतार रहे हैं. पप्पू यादव यादवों को मैदान में उतार रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसी तरह, लोजपा भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रही है. उनकी स्थिति निर्दलीय प्रत्याशियों के एक बैनर तले चुनाव लड़ने जैसी होगी. हालांकि, कुछ ऐसी सीटें हो सकती हैं जहां इससे एनडीए या महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत की संभावना प्रभावित होगी.’
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कोविड और प्रवासी मजदूर
मोदी यह भी मानते हैं कि जदयू-भाजपा सरकार ने कोविड-19 महामारी और प्रवासी मजदूर संकट जिस तरह संभाला है उससे मतदाताओं में नाराजगी का सवाल ही नहीं उठता है.
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष ने कोविड और लाखों प्रवासी मजदूरों के बिहार लौटने के बाद की स्थिति को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की लेकिन इसमें नाकाम रहा.’
उन्होंने बताया, ‘आज (मंगलवार को) मैं कैमूर जिले के रामगढ़ में एक विशाल रैली को संबोधित कर रहा था (राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का गढ़, जहां से उनका बेटा चुनाव लड़ रहा है) और मैंने भीड़ से पूछा कि कोविड के मद्देनज़र बीपीएल वर्ग के लिए की गई सरकार की घोषणा के तहत उनमें से कितने लोगों को मुफ्त खाद्यान्न मिला तो सभी ने हाथ उठा दिए.’
उन्होंने कहा, ‘इस सरकार के खिलाफ कोई सत्ता-विरोधी लहर नहीं है क्योंकि इसने काम किया है. हम चुनाव प्रचार के दौरान अपनी उपलब्धियां सामने रखेंगे. मैंने विपक्ष को सड़क, बिजली और पानी की आपूर्ति पर बहस की चुनौती दी है.’
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तेजस्वी यादव
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी नज़र में तेजस्वी यादव 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में ज्यादा परिपक्व विपक्षी नेता हो गए हैं, मोदी ने कहा कि उनमें बहुत कम बदलाव आया है.
उन्होंने कहा, ‘राजद बेरोजगारी का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहा है. पिछले 50 वर्षों से बेरोजगारी एक मुद्दा है और तेजस्वी इस वादे के साथ किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं कि सत्ता में आने पर वह अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख रोजगार की व्यवस्था कर देंगे.’
उपमुख्यमंत्री ने इस ओर भी संकेत किया कि तेजस्वी की राजद ने गलत चुनावी रणनीति चुनी है.
उन्होंने कहा, ‘राजद उम्मीदवारों में आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) अधिक सीटों पर नज़र आ रहा है जबकि इस पार्टी में यादवों और मुस्लिमों का वर्चस्व बना हुआ है. लालू ने 1995 में ईबीसी के 10 सदस्यों को एमएलसी चुनकर इस वर्ग के वोटों को लुभाने की कोशिश की थी. लेकिन यह विफल रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा इस सूची में कई अपराधी या उनकी पत्नियां शामिल हैं. एक-दो जगह तो उसने सीधे तौर पर अपराधियों को ही टिकट दे दिया है. जनता उन काले दिनों को याद करने को बाध्य है जब उनके माता-पिता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे.’
मोदी ने यह भी कहा कि एनडीए आराम से बहुमत हासिल कर लेगा लेकिन सीटों की संख्या बताने से उन्होंने परहेज किया.
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