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Thursday, 28 March, 2024
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बिहार में ओपिनियन पोल के बाद भाजपा का ‘डैमेज कंट्रोल’-लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे 9 बागियों को निलंबित किया

बिहार में चुनाव लड़ने के लिए बागियों को लोजपा से टिकट मिलने को लेकर भाजपा और उसके सहयोगी दल जदयू के बीच तनातनी की स्थिति बन रही थी. भाजपा ने यह कदम ओपिनियन पोल के बाद उठाया है जिसमें कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर के आसार बताए गए हैं.

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और जदयू के बीच सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के करीब एक हफ्ते बाद आखिरकार राष्ट्रीय पार्टी ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अपने बागियों के खिलाफ सख्त तेवर अपना लिए हैं.

भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सोमवार शाम एक पत्र जारी करके नौ वरिष्ठ पार्टी नेताओं-रामाश्रय चौरसिया, उषा विद्यार्थी, रवींद्र यादव, राजेंद्र सिंह, अजय प्रताप सिंह, श्वेता सिंह, मृणाल शेखर, इंदु शेखर और अनिल कुमार-को लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के कारण छह साल के लिए निलंबित किए जाने की जानकारी दी.

जायसवाल ने अपने पत्र में कहा कि इन सभी नौ लोगों ने अपनी गतिविधियों से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और पार्टी की छवि खराब की है. जायसवाल ने कहा, ‘इस बार हम छह साल के निलंबन के प्रति गंभीर हैं. चुनाव बाद इन्हें वापस नहीं लिया जाएगा.’

इस मामले ने गठबंधन सहयोगियों के बीच टकराव की स्थिति ला दी थी क्योंकि इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कद घटाने की भाजपा की कोशिश की तौर पर देखा जा रहा था. गलतफहमी कायम होने के पीछे एक बड़ा तथ्य यह भी है कि लोजपा कहीं भी भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार रही है.

उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह बात एकदम स्पष्ट की जानी चाहिए कि लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं है.’

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जदयू ने तत्काल इस कदम का स्वागत किया. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस मुद्दे पर कोई भी भ्रम दूर करने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी. रविवार को गया में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की रैली और सुशील कुमार मोदी की जनसभाओं ने इसमें मदद की है.’

दोनों सहयोगी दल अब ‘मेगा इवेंट’ -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संयुक्त रैली की तैयारी में जुटे हैं. रंजन ने कहा, ‘कार्यक्रम के लिए जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं.’


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ओपिनियन पोल ने भाजपा को इस कदम के लिए बाध्य किया

यद्यपि भाजपा इन बागी नेताओं को निलंबित करने की चेतावनी पहले से ही दे रही थी, लेकिन इसका पत्र 3 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से ठीक पांच दिन पहले आया है, जिसमें 94 विधानसभा सीटों के लिए वोट पड़ेंगे.

भाजपा सूत्रों ने बताया कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों ने पार्टी को यह निर्णय लेने के लिए बाध्य किया. टाइम्स नाउ, सी-वोटर ओपिनियन पोल में एनडीए को 160 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें भाजपा लगभग 85 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती नजर आ रही है. 243 सदस्यीय विधानसभा में साधारण बहुमत के लिए 122 का आंकड़ा जरूरी है.

इस पोल में जदयू को लगभग 70 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, वहीं 80 सीटें विपक्षी गठबंधन राजद-कांग्रेस के खाते में जाने के संकेत हैं.

भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘कई विधानसभा क्षेत्रों में कांटे की टक्कर है. एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना कीजिए जिसमें दरकिनार किए गए नीतीश कुमार को पर्याप्त सीटें मिल जाएं और वह हमारा साथ छोड़कर सरकार गठन के लिए महागठबंधन का दामन थाम लें.’

वहीं, भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि निलंबित किए गए लोग पार्टी की कार्रवाई को बहुत हल्के में ले रहे हैं. उक्त नेता ने कहा, ‘खुद संजय जायसवाल से बेहतर इसका और क्या उदाहरण हो सकता है. जायसवाल ने 2004 में भाजपा छोड़ी और 2005 में राजद के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए. 2008 में फिर भाजपा में आ गए और उन्हें 2009 में लोकसभा के लिए टिकट दिया गया और यह चुनाव उन्होंने जीता.’


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नीतीश ने शुरू किया प्रचार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को आभासी रैली के साथ अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी. वह बुधवार से कई जनसभाएं करने वाले हैं.

जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘समय कम है और उन्होंने वह जगहें तय कर ली हैं जहां जनसभाएं करेंगे. इसमें ऐसी सीटें भी शामिल हैं, जहां भाजपा के उम्मीदवार लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.’

लोजपा की तरफ से दूसरे चरण के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी किया जाना अभी बाकी है. इस सूची में शामिल भाजपा के बागियों पर जदयू की पैनी नजर होगी.


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(इस खबर को अंग्रेजी में भी पढ़ सकते हैं यहां क्लिक करें)

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