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Friday, 26 April, 2024
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LJP के लोग चाहते हैं पिता की मौत के बाद चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में जगह मिले, BJP बोली- यह PM का अधिकार

अनुसूचित जातियों के लिए कार्यक्रम चलाने के उद्देश्य से रामविलास पासवान द्वारा बनाई गई दलित सेना भी चाहती है कि उनकी पत्नी रीना पासवान को राज्यसभा सीट मिले.

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पटना: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संरक्षक रामविलास पासवान की मौत के बाद पार्टी से जुड़े लोगों की तरफ से उनके बेटे और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग उठने लगी है.

पार्टी नेता रामविलास पासवान की राज्यसभा सीट उनकी पत्नी रीना पासवान को देने की भी मांग रहे हैं.

लोजपा से संबद्ध संगठन दलित सेना, जिसे रामविलास पासवान ने अनुसूचित जातियों से जुड़े कार्यक्रम चलाने के लिए बनाया था, के प्रवक्ता लल्लन चंद्रवंशी ने कहा, ‘हम चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग करने जा रहे हैं. हम उनकी मां रीना पासवान के लिए राज्यसभा सीट की भी मांग करेंगे.’

दलित सेना का नेतृत्व पासवान के भतीजे प्रिंस राज करते हैं, जिन्हें पिछले साल उनके पिता रामचंद्र पासवान के निधन के बाद यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

चंद्रवंशी ने कहा कि पासवान की विरासत के उत्तराधिकारी होने के नाते जमुई से लोकसभा सांसद चिराग स्वाभाविक पसंद हैं. उन्होंने कहा, ‘हम केंद्र में एनडीए का हिस्सा हैं और कोई फैसला लेना भाजपा पर निर्भर करेगा.’

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हालांकि, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने इस बात पर जोर दिया कि लोजपा बिहार में एनडीए का हिस्सा नहीं है.

पटेल ने कहा, ‘किसी को अपने मंत्रिमंडल का सदस्य बनाना या न बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. लेकिन लोजपा बिहार में एनडीए घटक नहीं है. राज्यसभा चुनाव में सभी सहयोगी प्रत्याशी का नाम तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं और जदयू भाजपा का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है.

लोजपा केंद्र में तो एनडीए का हिस्सा है, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसने राज्य में एनडीए के घटक जदयू के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला किया है. एनडीए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर यह चुनाव लड़ रहा है. चिराग की बगावत से चुनाव बाद के परिदृश्य में भाजपा-लोजपा सरकार की संभावनाएं भी बन रही हैं.

पटेल ने आगे कहा, ‘रामविलासजी की राजनीतिक सफलता की एक बड़ी वजह यह थी कि यहां तक की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों में भी उनका कोई शत्रु नहीं था. मुझे नहीं लगता कि चिराग पासवान कभी उस स्तर तक पहुंच सकते हैं.’


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पासवान सीनियर ने पिछले साल चिराग का नाम सुझाया था

बताया जाता है कि पिछले साल जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने केंद्र की सत्ता में वापसी की तो पासवान ने ही अपनी जगह चिराग को मंत्रिमंडल में शामिल करने का सुझाव दिया था. हालांकि, भाजपा ने यह कहते हुए इस विचार को खारिज कर दिया कि उसे पासवान के कद का दलित चेहरा चाहिए.

पासवान एनडीए मंत्रिमंडल में शामिल लोजपा के एकमात्र नेता थे. पिछले साल उन्हें राज्यसभा सीट दी गई थी क्योंकि स्वास्थ्य कारणों से वह हाजीपुर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. यह सीट बिहार में भाजपा के कोटे में आई थी और पूर्व में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद इसका प्रतिनिधित्व करते थे.

हालांकि, इस कोटे को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू ने जब यह दावा किया कि एनडीए में यह सीट उनके कोटे में है, चिराग ने भाजपा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा कि नीतीश ने इस तरह का दावा करके उनके पिता का अपमान किया है.


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अब विधानसभा चुनाव में होगा मुकाबला

चिराग और जदयू के बीच जारी लड़ाई इस माह होने वाले विधानसभा चुनावों में खुलकर नजर आएगी.

चंद्रवंशी ने कहा, ‘जहां तक बिहार चुनावों का सवाल है, लोजपा उन सभी 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जहां जदयू और हम के प्रत्याशी मैदान में होंगे.’

हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण, जिसमें 94 सीटों पर वोट पड़ेंगे, के लिए नामांकन दाखिल करने में अब सिर्फ छह दिन बचे है लेकिन लोजपा की तरफ से अपने उम्मीदवारों पर फैसला लिया जाना अभी बाकी है.

लोजपा सूत्रों के अनुसार, चिराग और उनके परिवार के सदस्य रामविलास पासवान के अंतिम संस्कार में व्यस्त थे, जिनका पार्थिव शरीर शुक्रवार देर रात पटना लाया गया था.

परिवार के अभी सदमे से न उबर पाने पर जोर देते हुए एक लोजपा नेता ने कहा, ‘एक दो दिनों में पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक होगी और दूसरे चरण के उम्मीदवारों पर फैसला लिया जाएगा.’

पटना के दीघा घाट पर शनिवार को पासवान के दाह संस्कार में काफी लोग जुटे थे. यहां तक कि पिछले एक साल से चिराग के साथ तनातनी के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश भी घाट पर पहुंचे थे.

दोनों दलों के बीच प्रतिद्वंद्विता से जब ऐसा लग रहा है कि यह विधानसभा चुनावों पर भी असर डाल सकती है, मुख्यमंत्री और उनके विश्वस्त सहयोगियों को उम्मीद है कि चिराग अपने पिता के निधन के बाद जदयू के खिलाफ हमलावर रुख में नरमी लाएंगे. जदयू सूत्रों का कहना है कि वे लोजपा की पहली सूची से चिंतित हैं, जिसमें एक बड़ी संख्या उच्च जाति के उम्मीदवारों की है.


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(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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