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Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतिबिहार चुनावमनोज बाजपेयी के प्रवासी संकट पर बनाए गाने का बीजेपी ने उसी अंदाज में दिया जवाब, कहा- ‘बिहार में ई बा’

मनोज बाजपेयी के प्रवासी संकट पर बनाए गाने का बीजेपी ने उसी अंदाज में दिया जवाब, कहा- ‘बिहार में ई बा’

दो मिनट का एक भोजपुरी गीत जिसका शीर्षक है, ‘बिहार में ई बा’ (ये है बिहार में), बीजेपी नीतीश कुमार की आगुवाई वाली, एनडीए सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहा है.

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नई दिल्ली: नीतीश कुमार की आगुवाई वाली एनडीए सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के लिए, बीजेपी की बिहार इकाई ने एक रैप गीत जारी किया है, जो एक दूसरे रैप गीत का जवाब लगता है, जिसमें एक्टर मनोज बाजपेयी नज़र आते हैं, और जिसमें भोजपुरी बोलने वाले प्रवासियों पर फोकस किया गया है.

दो मिनट के भोजपुरी गाने में, जिसका शीर्षक है, ‘बिहार में ई बा’, पार्टी लॉकडाउन के बाद राज्य में मुहैया कराई गई, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के साथ साथ, ऋण सेवाओं का भी बखान कर रही है.

इसमें एनडीए सरकार के अंतर्गत किए गए विकास कार्यों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिनमें आईआईटीज़, आईआईएम्स, एम्स और पुल निर्माण से लेकर, महिला केंद्रित सशक्तीकरण और प्रवासी केंद्रित कौशल विकास आदि शामिल हैं.

मंगलवार को जारी वीडियो में, पूरे प्रदेश के विज़ुअल्स, विकास कार्य, बौद्ध और जैन मंदिर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को दर्शाया गया है. लेकिन, वीडियो में मुख्यमंत्री नज़र नहीं आते, जिनकी पार्टी जेडी(यू) एनडीए का एक घटक है.

राज्य विधान सभा चुनावों से पहले, ये गीत उस आलोचना का जवाब प्रतीत होता है, जो ‘बम्बई में का बा’ (मुम्बई में क्या है?) गीत में की गई है, जो पिछले महीने रिलीज़ हुआ था, और जिसे यूट्यूब पर अब तक, तक़रीबन सत्तर लाख लोग देख चुके हैं.

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फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा, और बिहार में जन्मे एक्टर मनोज बाजपेयी के बनाए इस गीत में, प्रवासी मज़दूरों के जीवन की बात की गई थी, जिन्हें बेहतर भविष्य की तलाश में, अपने परिवारों को पीछे छोड़कर जाना पड़ता है. ये उस गहराई में भी जाता है, कि आख़िर प्रवास होता ही क्यों है- बुनियादी सुविधाओं और अस्पताल, स्कूल व सड़कों जैसे इनफ्रास्ट्रक्चर, और सबसे ज़्यादा नौकरियों का अभाव.

छह मिनट के इस गीत में हालांकि बिहार का नाम नहीं लिया गया, लेकिन इसे नीतीश कुमार के अंतर्गत बिहार में, विकास की कहानी पर टिप्पणी के रूप में देखा गया.

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, ‘हमारा ये गीत कुछ फिल्म निर्माताओं और विपक्षी पार्टियों के, इस प्रचार-प्रसार का जवाब देने के लिए जारी किया गया है, कि बिहार से प्रवास यहां पर अवसरों की कमी, और राज्य में कोई ठोस काम न किए जाने की वजह से हुआ’.

उन्होंने कहा, ‘हमने दिखाया है कि कैसे पिछले 15 सालों में, बिहार एक ‘जंगल राज’ से प्रगति करके, सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला राज्य बन गया.

पटेल ने आगे कहा कि इस गीत को पहले रिलीज़ किया जाना था, लेकिन कई कारणों से इसमें देरी हो गई. अब इसे पार्टी के अधिकतर अभियानों में बजाया जाएगा.


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बिहार में सब कुछ है

बीजेपी के गीत के बोलों में बिहार में, पिछले कुछ सालों में आए बदलावों पर रोशनी डाली गई है- ‘एनडीए के राज में बदलल आपन ई बिहार हो, आईआईटी आईआईएम बा देखा, डबल बनी अब एम्स हो, ई सबका परिवर्तन देखा, साफ करा आपन लेंस को’.

गीत में आगे कहा गया है कि सूबा अब संकल्प ले रहा है, कि बिहार में ही ‘दिल्ली और मुम्बई बनाएंगे’.

इसमें ये भी कहा गया है, कि लोग अब घर से काम कर रहे हैं, बिजली की निरंतर सप्लाई है, इनफ्रास्ट्रक्चर है, बेहतर शिक्षा है, स्वास्थ्य सुविधाएं हैं. अब समय है बिहार को ‘नम्बर वन’ बनाने का.

बिहार में पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख मनन कृष्णा ने कहा, ‘चूंकि मनोज बाजपेयी का गीत वायरल है, और विपक्ष ख़ासकर आरजेडी, अपनी ये बात साबित करने के लिए, कि नीतीश के राज में बिहार ने प्रगति नहीं की है, इसे चुनावों में इस्तेमाल कर सकता है, इसलिए उस गीत का जवाब देना ज़रूरी था’.

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि बीजेपी ने, ‘आत्मनिर्भर बिहार के कथानक का गीत लॉन्च किया है, जिसे एनडीए सरकार के एक विज़न डॉक्युमेंट की तरह देखा जा सकता है’.

कृष्णा ने आगे कहा, ‘यहां, हमने वादा किया है कि अगले पांच सालों में, हम बिहार को अधिकतर मानदंडों पर आत्मनिर्भर बना देंगे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भोजपुरी बेहतर समझते हैं, इसलिए उनके कथानक की तोड़ के लिए, उस सवाल का जवाब हमने ‘बिहार में का बा’ के ज़रिए दिया है.


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बाजपेयी का गीत

बाजपेयी का वायरल गीत तब सामने आया था, जब नॉवल कोरोनावायरस के प्रकोप को रोकने के लिए, मार्च में लॉकडाउन घोषित होने के बाद, लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों को, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरों को लौटना पड़ा.

गीत में ऐसे बहुत से प्रवासी मज़दूरों की तस्वीरें दिखाई गई थीं, जो मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों से थे, और जिन्हें मजबूरन पैदल लौटना पड़ रहा था. गीत में जीवन को प्रवासियों की नज़र से देखने की कोशिश की गई थी.

बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़, लॉकडाउन लागू होने के बाद, कम से कम 30 लाख प्रवासी मज़दूर, अपने राज्य में वापस लौट आए, चूंकि दूसरे राज्यों के शहरों में, रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा नहीं थी.

गीत में प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा को दिखाया गया था, जो अपने गृह राज्यों में रहना चाहते हैं, लेकिन वहां अवसर नहीं हैं. इस गीत के बोल डॉ सागर ने लिखे, और संगीतबद्ध अनुराग साइकिया ने किया.

सोमवार को, जब मुम्बई बिजली चले जाने से दोचार था, जेडी(यू) मंत्री संजय झा ने ये कहते हुए गीत का मज़ाक उड़ाया, ‘मुम्बई में लाइट नहीं बा, बट बिहार में बा’.

गीतों की लड़ाईयां

एक और भोजपुरी गीत जो हाल ही में वायरल हुआ है, वो लोक गायक नेहा राठौड़ का है, जिन्होंने बिहार में बेरोज़गारी की स्थिति का मज़ाक़ उड़ाया है- ये तेजस्वी यादव का मुख्य चुनावी मुद्दा है.

अपने गीत ‘बिहार से बेरोजगार बोलातनी’ (बिहार से बेरोज़गार बुला रहा है) में, राठौड़ ने राज्य में रोज़गार के संकट पर रोशनी डाली है. एक दूसरे गीत में उन्होंने नीतीश और पिछली आरजेडी सरकार, दोनों पर निशाना साधा है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरे गीत का निशाना किसी राजनीतिक दल की तरफ नहीं है, बल्कि वो बिहार की अस्ली तस्वीर दिखाता है. मैं आम तौर पर ऐसे विषय चुनती हूं, जो बिहार के लिए महत्वपूर्ण हैं, और बिहार की व्यथा को दिखाते हैं. ये कोई राजनीति का सवाल नहीं है’.

बीजेपी ने कहा अभी और गीत आएंगे

कृष्णा, जो पार्टी के डिजिटल प्रचार के इंचार्ज हैं, ने कहा कि पार्टी और अधिक सामग्री ऑनलाइन डाल रही है.

उन्होंने कहा, ‘हम हर रोज़ इनफोग्राफिक डाल रहे हैं. हमारे ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के गीत तुरंत हिट हो गए हैं. इस गीत के बाद, हम भोजपुरी में कुछ और गीत बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनमें विपक्ष के दावों को निशाना बनाया जाएगा, और नीतीश-बीजेपी सरकार के अच्छे कामों पर प्रकाश डाला जाएगा’.

‘ई बा’ सीरीज़ में बिहार का विकास दिखाने के लिए, बीजेपी ने कई इनफोग्राफिक लॉन्च किए हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह से लेकर उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तक, कई नेताओं ने इन्हें ट्वीट किया है.

उन्होंने आगे कहा, ‘आमतौर से हम इस सामग्री को, एक लाख से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप्स के ज़रिए आगे बढ़ाते हैं, जो फेसबुक और ट्विटर के अलावा, प्रचार का एक मुख्य साधन है. हर पार्टी कार्यकर्ता के पास तीन-चार व्हाट्सएप ग्रुप्स होते हैं…इसके मतलब है कि किसी भी समय हम अपनी सामग्री को, 5-6 लाख से अधिक लोगों तक पहुंचा रहे हैं.


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