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Friday, 26 April, 2024
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जम्मू-कश्मीर तक होगा ज्योतिरादित्य सिंधिया के फ़ैसले का असर, बहनोई विक्रमादित्य सिंह भी चल सकते हैं उनकी राह

सिंधिया परिवार और जम्मू-कश्मीर के शाही परिवार की करीबी रिश्तेदारी होने के कारण दोनों परिवार एक-दूसरे के राजनीतिक हितों का ध्यान रखते रहे हैं.

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जम्मू: ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने का असर आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर के डोगरा शाही परिवार के राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है. सिंधिया के फ़ैसले के बाद उनके बहनोई व कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह को लेकर भी कईं तरह की अटकलें लगना अभी से शुरू हो गईं हैं.

उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ कर्ण सिंह के बड़े पुत्र विक्रमादित्य सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया के बहनोई हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने के बाद जिस ढंग से उनके बहनोई विक्रमादित्य सिंह द्वारा ट्वीट किए गए हैं उससे कईं तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है.

मंगलवार को जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया तो सबसे पहले सार्वजनिक रूप से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले कांग्रेस नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बहनोई विक्रमादित्य सिंह भी थे.

विक्रमादित्य ने की कांग्रेस की आलोचना

ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफ़े के फ़ौरन बाद विक्रमादित्य सिंह ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए. दोनों में विक्रमादित्य ने सिंधिया के इस्तीफ़े को लेकर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की और पार्टी को एक तरह से चेतावनी दे डाली कि पार्टी को ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने की कीमत चुकानी पड़ेगी.

विक्रमादित्य सिंह ने अपने दोनों ही ट्वीट में ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस को छोड़ने को कांग्रेस का भारी नुकसान बताया और आरोप लगाया कि ज्योतिरादित्य की पार्टी के अंदर लगातार उपेक्षा की जा रही थी. उन्होंने सख़्त शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपने ट्वीट में कहा कि कांग्रेस को सिंधिया के जाने की कीमत चुकानी पड़ेगी.

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मंगलवार को अपने पहले ट्वीट में विक्रमादित्य सिंह ने लिखा—‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी ही पार्टी के लोगों ने पीछे धकेलने की कोशिश की जिससे पार्टी को ही नुकसान पहुंचा. यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका है जिसका असर ज़मीनी स्तर पर महसूस किया जाएगा.’


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अपने दूसरे ट्वीट में विक्रमादित्य सिंह ने कहा— ‘कांग्रेस पार्टी ने अपना एक कद्दावर युवा नेता खो दिया है. यह दुख की बात है कि उन जैसे (सिंधिया) एक समर्पित और प्रभावपूर्ण नेता द्वारा दिए गए अत्याधिक योगदान के लिए उन्हें पुरस्कृत करने की जगह उन्हें नज़रअंदाज किया गया. पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.’

विक्रमादित्य सिंह के ट्वीट को लेकर प्रदेश कांग्रेस में ज़बरदस्त प्रतिक्रिया हुई है. जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस की ओर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रविन्द्र शर्मा ने बुधवार को कहा कि-‘ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी में रहते हुए तमाम तरह के उच्च पद और लाभ हासिल करने के बाद पार्टी की पीठ में छुरा घोंपा है. हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना चुनाव हार गए थे मगर बावजूद इसके उन्हें पार्टी ले सबकुछ दिया.’

प्रदेश कांग्रेस के नेता विक्रमादित्य सिंह के ट्वीट को लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रविन्द्र शर्मा ने कहा है कि –‘जिम्मेवार नेताओं को व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए.’

डोगरा शाही परिवार पर सभी की निगाहें

तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम में जिस तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया है उसे लेकर जम्मू-कश्मीर में लोग डोगरा शाही परिवार के अगले कदम पर अपनी नज़रें टिकाए हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि सिंधिया परिवार और जम्मू-कश्मीर के शाही परिवार की करीबी रिश्तेदारी होने के कारण दोनों परिवार एक-दूसरे के राजनीतिक हितों का ध्यान रखते रहे हैं. ऐसी भी चर्चाएं हैं कि इस बार भी कांग्रेस आलाकमान के कहने पर वरिष्ठ कांग्रेस डॉ कर्ण सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनके निर्णय को लेकर बात की और उन्हें मनाने की कोशिश की थी. हालांकि इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने फैसले पर अड़े रहें.

इस बीच जम्मू में शाही परिवार से जुड़े सूत्रों के अनुसार विक्रमादित्य सिंह रविवार तक जम्मू में थे मगर बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अचानक जम्मू से चले गए उनके साथ उनके कुछ करीबी लोग भी थे.

विक्रमादित्य ले सकते हैं बड़ा फ़ैसला

ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने के बाद विक्रमादित्य सिंह द्वारा कांग्रेस को लेकर की गई कड़ी टिप्पणियों को देखते हुए क़यास लगाए जा रहे हैं कि विक्रमादित्य भी आने वाले दिनों में कोई बड़ा फ़ैसला ले सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि विक्रमादित्य का अभी तक का राजनीतिक सफ़र डावांडोल ही रहा है और उसमें स्थिरता नहीं आ सकी है. अभी तक की उनकी राजनीति काफी हद तक ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ही निर्भर रही है.

हालांकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंन्द्र सिंह भी विक्रमादित्य सिंह के रिश्तेदार हैं मगर कांग्रेस में विक्रमादित्य को शामिल करवाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका रही थी.

विक्रमादित्य सिंह ने 2015 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) में शामिल होकर अपना राजनीतिक सफ़र शुरू किया था. बाद में वे पीडीपी की तरफ से विधान परिषद के सदस्य भी बने. लेकिन 2017 में उन्होंने पीडीपी और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए.


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विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उधमपुर संसदीय क्षेत्र से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा मगर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह से वे चुनाव हार गए. लोकसभा चुनाव हारने के बाद से विक्रमादित्य सिंह बहुत अधिक सक्रिय भी नही हैं. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय और प्रदेश कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम में हाल के दिनों में विक्रमादित्य सिंह नज़र नही आए हैं.

हालांकि विक्रमादित्य सिंह का भारतीय जनता पार्टी में जाना भी आसान नही है. विक्रमादित्य सिंह के छोटे भाई अजातशत्रु सिंह पहले से ही प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हैं.

ऐसे में विक्रमादित्य सिंह का आगे का राजनीतिक सफ़र आसान नही माना जा रहा लेकिन मौजूदा हालात में उनके लिए कांग्रेस में टिके रहना भी मुश्किल है. कांग्रेस सूत्रों की अगर माने तो आने वाले दिनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने के बाद विक्रमादित्य सिंह द्वारा किए गए ट्वीट उन्हें राजनीतिक रूप से परेशानी में डाल सकते हैं.

(लेखक जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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