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Thursday, 10 October, 2024
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भारत चीन से तीन सिद्धांतों के आधार पर गतिरोध पर समाधान चाहता है-राज्यसभा में राजनाथ बोले

राज्यसभा में रक्षी मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है. यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर शेष मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा.

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं.

राज्यसभा में सिंह ने कहा कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे. हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं.’

रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है.

उन्होंने कहा, ‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए. दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए. तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए.’


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रक्षा मंत्री ने देश को आश्वस्त किया कि ‘इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है’.

उन्होंने बताया ‘मैं सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी एलएसी पर तैनाती और निगरानी के बारे में कुछ मुद्दे बचे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा.’

सिंह ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकॉल के तहत सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द कर ली जाए.

उन्होंने कहा, ‘चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है. यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर शेष मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा.’

सीमा पर विषम परिस्थितियों के बीच जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे जगत को जायेगा.’


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