देहरादून/नई दिल्ली: आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निष्कासित किए जाने के बाद सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दावा किया कि वह अपने और परिवार के लिए टिकट का दबाव बना रहे थे.
धामी के अनुसार, पार्टी ने तय किया है कि एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकट दिया जाएगा.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ नई दिल्ली से लौटने के बाद देहरादून में मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी ने हरक सिंह रावत को कोटद्वार मेडिकल कॉलेज सहित विकास के सभी मुददों पर हमेशा सम्मान दिया.
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी विकासवाद और राष्ट्रवाद पर चलने वाली पार्टी है, वंशवाद से दूर रहने वाली पार्टी है. हम ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं.’
धामी ने कहा कि रावत की बातों से कई बार पार्टी असहज हुई है. उन्होंने कहा, ‘चूंकि हमारी बड़ी पार्टी है. हमारा बड़ा परिवार है, हमने हमेशा उनको साथ लेकर चलने की कोशिश की लेकिन परिस्थितियां ऐसी हो गई थीं. वह खुद समेत अपने परिवार के और लोगों के लिए टिकट का दबाव बना रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए पार्टी ने यह फैसला (उन्हें निष्कासित करने का) किया. हमने तय किया है कि एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकट दिया जाएगा. किसी भी परिवार को हम दो या तीन टिकट नहीं देंगे क्योंकि हमारी पार्टी हमेशा इसके खिलाफ रही है.’
मुख्यमंत्री ने हालांकि इस बात से इंकार किया कि पार्टी में कहीं कोई फूट है या अन्य विधायक भी बीजेपी छोड़ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कोई विधायक कहीं नहीं जा रहा है.
पूर्व मंत्री रावत के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच बीजेपी ने रविवार को उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
पौड़ी गढवाल जिले की कोटद्वार विधानसभा सीट से विधायक रावत अपनी सीट बदलने के साथ ही अपनी पुत्रवधु अनुकृति के लिए भी बीजेपी से टिकट मांग रहे थे. समझा जाता है कि इन मुददों पर बीजेपी के राजी न होने पर वह कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाएं टटोल रहे थे.
जाहिर है कि उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री रावत को, अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने रविवार को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. उन्हें इससे पहले राज्य मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया गया था.
रावत उत्तराखंड मंत्रिमंडल में वन और श्रम मंत्री थे. रावत उन 10 कांग्रेस विधायकों में शामिल थे जो वर्ष 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए थे.
इधर, दिल्ली में मीडिया से बातचीत में रावत ने इस बात की पुष्टि कि उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से अपनी पुत्रवधू को लैंसडाउन से टिकट देने पर विचार करने को कहा था.
उन्होंने दावा किया उत्तराखंड में अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी और वह कांग्रेस के लिए काम करेंगे.
रावत ने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी से निष्कासित किए जाने से पहले पार्टी नेतृत्व ने कोई बात नहीं की और उन्हें उनके निष्कासन की जानकारी सोशल मीडिया से मिली. इस तरह बीजेपी से निकाले जाने पर वह भावुक भी हो गए.
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