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Sunday, 28 April, 2024
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‘डोगरा की पहचान दूसरों से कम है?’ कांग्रेस उम्मीदवार लाल सिंह ने जम्मू के लिए की अनुच्छेद 371 की वकालत

मार्च में पार्टी में लौटे उधमपुर-डोडा से कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह ने कहा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर में केवल समस्याएं बढ़ीं और नई समस्याएं पैदा हुईं.

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कठुआ: उधमपुर-डोडा से कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पूर्ववर्ती राज्य में पहचान का मुद्दा और बढ़ गया है.

दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में उधमपुर से दो बार के सांसद सिंह ने एक अन्य संवैधानिक प्रावधान, अनुच्छेद 371 के तहत जम्मू के लिए विशेष दर्जे की मांग की, जो कई अन्य राज्यों में लागू है.

उन्होंने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने से केवल समस्याएं बढ़ीं और जम्मू-कश्मीर में नई समस्याएं पैदा हुईं, जिसे जल्द ही केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया.

लाल सिंह ने कहा, “हमें दुख होता है जब वे कहते हैं कि हमने उन्हें (जम्मू-कश्मीर को) भारत में एकीकृत करने के लिए अनुच्छेद 370 हटाया था. जम्मू-कश्मीर के लोग हमेशा भारतीय रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा: “इस क्षेत्र में बहुत सारे लोग हैं जो देश के लिए लड़ते हैं और मरते हैं. आपको अब भी उन पर भरोसा नहीं है? क्या आपको लगता है कि यह अब एकीकृत हो गया है?”

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जहां कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, वहीं लाल सिंह का रुख काफी स्पष्ट है. उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा था. यह किसी एक व्यक्ति या पाकिस्तान या चीन द्वारा नहीं दिया गया था. यह भारत के संविधान द्वारा दिया गया था. मुझे नहीं लगता कि यह आपत्तिजनक था.”

सिंह, जो जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर मंत्री और निवर्तमान डॉ. जितेंद्र सिंह के खिलाफ खड़े हैं, भाजपा में एक कार्यकाल और अपनी पार्टी बनाने की कोशिश के बाद 2024 के आम चुनावों से पहले कांग्रेस में लौट आए.


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अनुच्छेद 371 – धार्मिक, सामाजिक समूहों को स्वायत्तता

अनुच्छेद 371 और 371ए से 371जे, गुजरात और महाराष्ट्र सहित 12 राज्यों के लिए “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान” देते हैं. ये प्रावधान, जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं, कुछ धार्मिक और सामाजिक समूहों को केंद्र या राज्य के हस्तक्षेप के बिना अपने मामलों के संचालन में स्वायत्तता की अनुमति देते हैं.

उदाहरण के लिए नगालैंड में अनुच्छेद 371ए के तहत, संसद राज्य विधानसभा की सहमति के बिना धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून, प्रक्रिया, नागरिक या आपराधिक न्याय या भूमि के स्वामित्व और हस्तांतरण के मामलों पर कानून नहीं बना सकती.

इसी तरह इन अनुच्छेदों के तहत विशेष प्रावधान महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर लागू होते हैं. महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में, राज्य के राज्यपाल क्षेत्र-विशिष्ट विकास, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और रोजगार के अवसरों को सुनिश्चित करने की विशेष जिम्मेदारी रखते हैं.

जैसे जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 और 35ए ने किया, वैसे ही कई राज्यों में अनुच्छेद 371 और 371ए-जे ज़मीन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हैं. ज़मीन का स्वामित्व एक प्रमुख मुद्दा है जिसे सिंह ने उठाया है. उनकी मांग “डोगरा पहचान” को बचाने की है.

नागालैंड में गैर-निवासियों को ज़मीन खरीदने पर प्रतिबंध है. मिज़ोरम में भी निजी क्षेत्र के उद्योगों को छोड़कर, गैर-निवासियों को ज़मीन खरीदने की अनुमति नहीं है.

उन्होंने कहा, “मैं अनुच्छेद 371 की मांग जारी रखूंगा. तभी हमारी पहचान सुरक्षित रहेगी.” लाल सिंह ने पूछा, “यह गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में है. हम डोगरा हैं. हमारे लिए धारा 371 क्यों नहीं? क्या हमारी पहचान दूसरों से कम है?”

सिंह ने पहले भी अलग जम्मू राज्य की मांग की है, जिसे वह पार्टी नेतृत्व के सामने उठाएंगे.


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2014 में कांग्रेस छोड़ी, 2024 में वापस

टिकट नहीं मिलने पर सिंह ने 10 साल पहले कांग्रेस छोड़ दी थी. उस वक्त पूर्व सीएम गुलाम नबी आज़ाद को उधमपुर से मैदान में उतारा गया था. सिंह ने कहा, “उन्होंने मुझसे वादा किया था, लेकिन वो पूरा नहीं हुआ.” उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि “वो व्यक्ति” कहां है जिसने उनकी सीट छीन ली थी. आज़ाद ने अगस्त 2022 में कांग्रेस छोड़ दी और इसके तुरंत बाद अपना खुद का राजनीतिक संगठन लॉन्च किया.

अपनी वापसी के बारे में लाल सिंह ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने पहली बार पिछले साल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनसे संपर्क किया था, जो श्रीनगर में समाप्त हुई थी. लोकसभा चुनाव से पहले वे फिर उनके पास पहुंचे. उन्होंने कहा, “जब सभी लोग एक साथ आएंगे तभी हम उनसे लड़ पाएंगे. मैं भी पहले सिस्टम के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहा था.”

सिंह ने “सत्ता-विरोधी” भावनाओं से लाभ उठाने की कोशिश करते हुए स्थानीय सांसद जितेंद्र सिंह पर हमला करने पर अपना अभियान केंद्रित किया है. “सबसे बड़ा मुद्दा उनका उम्मीदवार है. जब काम करवाने की बात आती थी तो वो लोगों से मिलते भी नहीं थे. उन्होंने कुछ नहीं किया है. “जब जम्मू के खिलाफ कानून बनाए गए, तो वे संसद में मेज थपथपाते रहे.”

ईडी स्कैनर और कठुआ पर

कांग्रेस नेता पहले भी कई विवादों में रहे हैं. उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले नवंबर में उनकी पत्नी द्वारा संचालित एक शैक्षिक ट्रस्ट से जुड़े धन-शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था.

2018 में उन्हें राज्य मंत्री के पद से और फिर भाजपा से इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि आरोप था कि उन्होंने कठुआ की आठ-वर्षीया बच्ची के बलात्कार और हत्या के आरोपियों के समर्थन में एक रैली में शामिल हुए थे.

हालांकि, लाल सिंह इन आरोपों से इनकार करते हैं. पिछले महीने जब वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए तो विपक्ष ने भी यह मुद्दा उठाया था.

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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