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Monday, 4 November, 2024
होमराजनीतिवाघेला के निकलने, CMO अधिकारी को हटाने के बाद गुजरात BJP की 'पैम्फलेट' की साजिश मई 2022 के बाद से 5वीं बार हुई

वाघेला के निकलने, CMO अधिकारी को हटाने के बाद गुजरात BJP की ‘पैम्फलेट’ की साजिश मई 2022 के बाद से 5वीं बार हुई

परिमल शाह सीएमओ से हटाए जाने वाले 5वें अधिकारी हैं. उन्हें बाहर निकाले जाने से पहले 'पैम्फलेट' के साथ उनके 'संबंध' के दावे किए गए थे, जिसके बारे में माना जाता है कि राज्य भाजपा के महासचिव वाघेला को इस्तीफा देना पड़ा.

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नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में संयुक्त सचिव के रूप में जुड़े एक सिविल सर्वेंट परिमल शाह को पिछले सप्ताह उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था, जिसके बाद वह पिछले साल मई से सीएमओ से बाहर होने वाले पांचवें अधिकारी बन गए.

गुजरात बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, शाह को अपना प्रभार आईएएस अधिकारी ए.बी. पंचाल जो विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी), उद्योग को सौंपने का निर्देश दिया गया था. शाह को हटाए जाने पर गुजरात सीएमओ में तैनात एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमें नहीं पता कि उन्हें उनके कर्तव्यों से क्यों मुक्त किया गया. यह एक प्रशासनिक निर्णय था.”

दिप्रिंट ने टेलीफोन के माध्यम से परिमल शाह से संपर्क किया, लेकिन खबर पब्लिश होने के समय तक उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

शाह को तब हटाया गया जब कुछ दिन पहले गुजरात भाजपा के भीतर ‘पैम्फलेट वार’ में उनसे जुड़े एक व्यक्ति की कथित संलिप्तता के दावे सामने आए थे, जिसके बारे में माना जाता है कि इसी कारण राज्य भाजपा महासचिव प्रदीप सिंह वाघेला को इस्तीफा देना पड़ा था.

दिव्य भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार को संदेह है कि वाघेला के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों वाला एक पैम्फलेट – उनके इस्तीफे से पहले के दिनों में प्रसारित किया गया था – कथित तौर पर परिमल शाह के कार्यालय में जिमित शाह द्वारा तैयार किया गया था, जिसे दिव्य भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया था कि वो तत्कालीन संयुक्त सचिव का भतीजा है.

जांच के बारे में सवालों के जवाब में, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अहमदाबाद शहर अपराध शाखा) नीरज बडगुजर ने दिप्रिंट को बताया कि वह “कोई टिप्पणी नहीं कर सकते” क्योंकि मामले की जांच जारी है.

अहमदाबाद मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाघेला ने कथित तौर पर अपने दोस्त मुकेश शाह और उनके बेटे जिमित के साथ एक भूमि सौदा किया था, जो बाद में ख़राब हो गया, जिसके बाद पिता-पुत्र की जोड़ी ने कथित तौर पर वाघेला पर भूमि सौदे’ में शामिल होने का आरोप लगाते हुए पैम्फलेट छपवाए और वितरित किए. वाघेला कभी गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर.पाटिल के करीबी सहयोगी थे.

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘स्टांप पेपर मामले’ में पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के बाद जांच में परिमल शाह का नाम सामने आया.

अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में पूछे जाने पर वाघेला ने जिमित शाह के साथ किसी भी भूमि सौदे में शामिल होने से इनकार किया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया,“मेरा किसी भी भूमि सौदे से कोई संबंध नहीं है. स्वास्थ्य कारणों से मैं छुट्टी पर हूं. हालांकि स्टांप पेपर मामले में गिरफ्तार किए गए दो लोगों (जिमित और मुकेश शाह) का जालसाजी का इतिहास रहा है.”

वाघेला के इस्तीफे से ‘पैम्फलेट वार’ में एक नया मोड़ आया, जिसके बारे में माना जाता है कि इसने हाल के महीनों में गुजरात भाजपा के भीतर बेचैनी पैदा कर दी है.

वाघेला के इस्तीफे से पहले के हफ्तों में, अपराध शाखा (सूरत पुलिस) ने चोरयासी से पहली बार भाजपा विधायक बने संदीप देसाई द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी के आधार पर तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने तीनों पर राज्य भाजपा प्रमुख सी.आर. पाटिल को बदनाम किया और पर्चे बांटकर आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी फंड का दुरुपयोग किया है.

इसी तरह का एक मामला अगस्त में सामने आया था जब क्राइम ब्रांच (सूरत पुलिस) ने अहमदाबाद निवासी जिनेंद्र शाह को कथित तौर पर पाटिल से जबरन वसूली की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

कुछ दिनों बाद, इसी तरह के एक और मामले में, पार्टी ने स्थानीय भाजपा नेता अल्पेश लिम्बाचिया – वडोदरा नगर निगम (वीएमसी) के सत्तारूढ़ दल के नेता – को छह साल के लिए निलंबित कर दिया, क्योंकि उनके रिश्तेदारों पर पार्टी को एक गुमनाम पत्र भेजने का संदेह था. नेतृत्व ने वडोदरा के मेयर नीलेश राठौड़ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.

इन घटनाक्रमों के आलोक में, गुजरात बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, “बीजेपी पिछले 25 वर्षों से राज्य में शासन कर रही है. नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद से राज्य में नेतृत्व की कमी हो गई है और लोगों को लगता है कि कड़ी सतर्कता के अभाव में वे पैसा कमा सकते हैं.’

“लेकिन वे नहीं जानते कि पीएमओ में जांच और संतुलन की एक प्रणाली है, जो गुजरात में होने वाली हर चीज और शीर्ष अधिकारियों पर कड़ी नजर रखती है, चाहे वह पार्टी में हो या सरकार में. सभी निर्देश ऊपर से आते हैं.”

‘स्पाईकैम मामला’

दिव्य भास्कर की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, ‘पैम्फलेट वार’ जांच के अलावा, परिमल शाह का नाम आनंद जिले के पूर्व निवासी अतिरिक्त कलेक्टर (आरएसी) केतकी व्यास और कलेक्टर डी.एस. गढ़वी से जुड़े ‘स्पाईकैम मामले’ की जांच के दौरान भी सामने आया था.

गढ़वी को पिछले महीने “कदाचार और चरित्रहीनता” के लिए निलंबित कर दिया गया था, कथित तौर पर एक महिला के साथ उनका अंतरंग वीडियो सामने आने के बाद. मामले में गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की जांच के बाद, अधिकारियों ने गढ़वी के कार्यालय में जासूसी कैमरा स्थापित करने और उसे फंसाने के लिए एक महिला को भेजने के आरोप में व्यास सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया.

दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, परिमल शाह पर व्यास को बचाने का संदेह था.


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सीएमओ से हटाए जाने वाले पांचवें अधिकारी

पिछले साल मई के बाद से शाह की गुजरात सीएमओ से पांचवीं बहुचर्चित विदाई थी.

गुजरात सीएमओ से पहला निकासी ध्रुमिल पटेल की हुई थी, जिन्होंने अपने पहले कार्यकाल (सितंबर 2021 – नवंबर 2022) में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के निजी सहायक के रूप में काम किया था. अहमदाबाद मिरर की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, ध्रुमिल पटेल को उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पिछले साल मई में हटा दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके खिलाफ भूमि सौदों से संबंधित फाइलों को मंजूरी देने के लिए अधिकारियों पर दबाव डालने के भी आरोप थे.

एक राज्य भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा,“पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने भी उनके (ध्रुमिल पटेल) खिलाफ शिकायत की थी. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के निर्देश सीधे पीएमओ से आए थे. वह उस समय सीएम (भूपेंद्र पटेल) के साथ थे, जब सीएम घाटलोडिया से विधायक थे और उन पर एक पुलिस इंस्पेक्टर की ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, ”

इस साल मार्च में, दो दशकों से अधिक समय तक सीएमओ से जुड़े अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) हितेश पंड्या ने कथित ठग किरण पटेल से जुड़े मामले में अपने बेटे का नाम सामने आने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

पटेल को उस महीने की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कथित तौर पर केंद्र शासित प्रदेश की कई यात्राओं के दौरान खुद को पीएमओ अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करने के लिए गिरफ्तार किया था. पटेल ने पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को बताया कि वह पंड्या के बेटे अमित का सहयोगी था, जो उस समय गुजरात भाजपा के उत्तरी क्षेत्र के लिए सोशल मीडिया संभाल रहा था. इसके तुरंत बाद अमित को निलंबित कर दिया गया.

पंड्या के बाहर निकलने के बाद, राज्य सरकार ने अप्रैल में वी.डी. वाघेला को हटा दिया. जो उस समय मुख्यमंत्री के ओएसडी के रूप में जुड़े हुए थे और शहरी विकास और शहरी आवास विभाग में सरकार के पदेन उप सचिव के रूप में भी कार्यरत थे.

वाघेला को हटाए जाने पर राज्य बीजेपी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘सीएमओ में टाउन प्लानिंग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण फाइलों में भ्रष्टाचार और कदाचार के गंभीर आरोप थे. AUDA (अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण) नगर नियोजन योजना से संबंधित कुछ फाइलों में भ्रष्टाचार के भी आरोप थे.

हालांकि, राज्य सचिवालय में तैनात अधिकारियों का कहना है कि वाघेला का अनुबंध समाप्त हो रहा है और सरकार ने इसे नवीनीकृत नहीं करने का फैसला किया है.

2006 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. एम.डी. मोडिया, जो सितंबर 2021 में सीएम पटेल के ओएसडी नियुक्त होने से पहले भरूच के कलेक्टर के रूप में तैनात थे, सीएमओ से बाहर किए जाने वाले चौथे अधिकारी थे. जुलाई में उनके अनुबंध को नवीनीकृत न करने के फैसले पर सवाल खड़े हो गए थे, क्योंकि वह राजस्व विभाग से संबंधित मामलों को देख रहे थे.

हालांकि, मोदिया को इस महीने की शुरुआत में गुजरात रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (गुजरेरा) के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.

(अनुवाद/ पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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