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Friday, 15 November, 2024
होमराजनीति‘MP में जन आशीर्वाद यात्रा का चेहरा नहीं होंगे चौहान’, प्रदेश नेतृत्व में विविधता लाने की कोशिश में BJP

‘MP में जन आशीर्वाद यात्रा का चेहरा नहीं होंगे चौहान’, प्रदेश नेतृत्व में विविधता लाने की कोशिश में BJP

यह माना जा रहा है कि पार्टी की योजना गुटबाजी और सत्ता विरोधी लहर को कम करना है. इस उद्देश्य से सीएम शिवराज चौहान सहित बाकी नेता बारी-बारी से लोगों तक पहुंचने के अभियान में शामिल होंगे.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपनी ‘जन आशीर्वाद’ यात्रा शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. बीजेपी राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक सार्वजनिक आउटरीच अभियान चलाएगी.

लेकिन पिछले चुनावों के ठीक विपरीत, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अकेले इस यात्रा का नेतृत्व किया था, इस बार उनके साथ पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता भी इस यात्रा शामिल होंगे. इसकी जानकारी पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को दी है.

पिछले विधानसभा चुनाव में 14 जुलाई को शुरू हुई ‘जन आशीर्वाद’ यात्रा चौहान का वन-मैन शो था. बीजेपी के एक वरिष्ठ केंद्रीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि चौहान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक के दौरान यात्रा के आयोजन और इसके नेतृत्व का मुद्दा उठाया था, लेकिन उन्हें हरी झंडी नहीं मिली.

बीजेपी नेता ने दिप्रिंट से कहा, “यात्रा का नेतृत्व पहले अकेले चौहान करने वाले थे. लेकिन, इस बार पार्टी अपने प्रचार अभियान में किसी एक नेता पर फोकस नहीं करना चाहती. इसलिए पहले इस बात पर चर्चा चल रही थी कि उनकी यात्रा निकाली जाए या नहीं और नाम वही रखा जाए या नहीं. तब यह निर्णय लिया गया कि यात्रा का नाम वही रहेगा, लेकिन इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री के बजाय, नेताओं का एक समूह रोटेशन के आधार पर इसे राज्य के विभिन्न हिस्सों में ले जाएंगे और भोपाल में एकत्रित होंगे.”

इस बीच, यह पता चला है कि चौहान इससे खुश नहीं हैं और उन्हें उम्मीद थी कि वह यात्रा का अकेले नेतृत्व करेंगे जैसा कि वह पहले भी करते आ रहे हैं.

मध्यप्रदेश के पार्टी पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “उन्होंने (शाह के साथ) बैठक के दौरान यह मामला उठाया था, लेकिन उन्हें अकेले इसका नेतृत्व करने की इजाजत नहीं मिली. हालांकि, उन्हें नियमित अभियान में (यात्रा के अलावा) अधिक से अधिक शामिल होने की छूट दी गई है.”

2018 के चुनाव में बीजेपी राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि, पार्टी मार्च 2020 में सरकार बनाने में कामयाब रही, जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे.

ऊपर लिखे बीजेपी नेता ने कहा, “सरकार और मुख्यमंत्री के लिए एक निश्चित सत्ता विरोधी लहर होना तय है. लोग भी एक ही चेहरा देखकर थक जाते हैं और ऊब जाते हैं और बदलाव चाहते हैं. हालांकि उन्हें बदला नहीं गया है, लेकिन इस यात्रा के माध्यम से पार्टी किसी एक चेहरे पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहती है.”

बीजेपी ‘जन आशीर्वाद’ को एक महत्वपूर्ण यात्रा मानती है क्योंकि यह न केवल हर विधानसभा क्षेत्र तक पहुंचने में सक्षम है बल्कि इसका उपयोग पार्टी और सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने के लिए भी किया जाता है.

बीजेपी नेता के मुताबिक, जिस योजना पर काम किया जा रहा है वह यह है कि चौहान के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा समेत कुछ बड़े नेता भी शामिल हों. फग्गन सिंह कुलस्ते, नरोत्तम मिश्रा सहित अन्य नेता भी इसमें शामिल होंगे. प्रत्येक यात्रा का लक्ष्य कम से कम 40 विधानसभा सीटों को कवर करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी 230 तक पहुंचने में सक्षम हैं.


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‘मोदी की ब्रांड अपील पर ध्यान दें’

यात्रा का नेतृत्व कई नेताओं द्वारा करने के पीछे का तर्क बताते हुए, केंद्रीय बीजेपी नेता ने कहा कि पार्टी ने मुख्यमंत्री नहीं बदला है, लेकिन इसकी भी घोषणा नहीं की है कि वह अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे.

बीजेपी नेता के अनुसार, अभियान राज्य सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने के अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रांड अपील पर भी ध्यान केंद्रित करेगा.

उन्होंने कहा, “यहां तक ​​कि चुनावी गाने भी पीएम मोदी और उनकी अपील पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, एक गाना कहता है ‘एमपी के मन में मोदी’ (मोदी एमपी के दिल में हैं).”

इसके अलावा, नेता ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सभी नेताओं के यात्रा करने से, “हम गुटबाजी को भी खत्म करने में सक्षम होंगे.”

उन्होंने कहा कि “इससे सभी नेताओं को समान महत्व दिया जाएगा और इसलिए, किसी के नाराज होने की कोई गुंजाइश नहीं होगी.”

राज्य के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के दौरान, अमित शाह ने इस बात पर भी जोर दिया था कि चुनाव एकजुट होकर लड़ा जाएगा और उन्होंने विभिन्न “शक्ति केंद्रों” से अपने अहंकार को एक तरफ रखकर पार्टी के लिए काम करने को कहा था.

राज्य बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि एक आंतरिक सर्वेक्षण में पाया गया कि मौजूदा बीजेपी विधायकों में से 40 प्रतिशत का प्रदर्शन अच्छा नहीं है. इससे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट पाने की उनकी संभावनाएं कम हो सकती हैं.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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