लखनऊ: भाजपा को उम्मीद है कि बुधवार को पार्टी में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद की मौजूदगी से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी कुछ कम होगी.
राज्य में ब्राह्मण इस बात से नाराज हैं कि उन पर अत्याचारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और सत्ता के गलियारों में इस समुदाय की अनदेखी हो रही है.
जितिन प्रसाद भी खुद को कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश करके इस नाराजगी को भुनाने की कोशिश करते रहे हैं.
उन्होंने पिछले साल दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘जबसे आदित्यनाथ सरकार सत्ता में आई है, ब्राह्मणों के खिलाफ अपराध और हत्याएं कई गुना बढ़ गई हैं. उन्हें मारा जा रहा है, और उन्हें कहीं भी न्याय नहीं मिल रहा है.’
इसके अलावा, प्रसाद ने यह भी कहा था कि राज्य में ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है—यहां तक कि उत्पीड़न की शिकार जातियों से भी ज्यादा. उनका दावा था, ‘मौजूदा डाटा हमें बताता है कि अन्य जातियों की तुलना में ब्राह्मणों की हत्याएं बहुत ज्यादा हो रही हैं.’
अब प्रसाद के पाला बदलने के साथ यूपी के राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इससे भाजपा को योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने में मदद मिलेगी.
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष असीम पांडे ने कहा, ‘यह यूपी की राजनीति के लिए एक बड़ी घटना है. योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी को खत्म करने के लिए भाजपा उन्हें उत्तर प्रदेश में कोई महत्वपूर्ण पद दे सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘एक प्रमुख समुदाय के तौर पर हम सत्तारूढ़ सरकार से नाराज हैं लेकिन जितिन प्रसाद ब्राह्मणों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आए हैं. तमाम ब्राह्मण भाई-बहन अब कह सकते हैं कि ‘’हमारा आदमी भी है सत्ता दल में’.’
पांडे ने आगे कहा कि ब्राह्मणों को जितिन प्रसाद से काफी उम्मीद हैं. उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मुझे भी उनसे काफी उम्मीदें हैं क्योंकि वह राज्य में ब्राह्मणों की आवाज लगातार उठाते रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘वह कई मसले सुलझाने में हमारी मदद कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर हम 19 वर्षीय खुशी दुबे के लिए एक अभियान चला रहे हैं, जो बिना किसी गलती के अब भी जेल में हैं. वह गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर के दौरान जेल गई थी. हम अब जितिनजी को सूचित करेंगे. शायद वह मदद पाएं.’
यूपी के एक राजनीतिक विश्लेषक और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विजिटिंग फैकल्टी मेंबर डॉ. राकेश उपाध्याय के मुताबिक, प्रसाद का पाला बदलना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह होगा.
उपाध्याय ने कहा, ‘जितिन का जाना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि पार्टी ने एक जननेता खो दिया है जिसकी ब्राह्मणों पर खासी पकड़ है. पिछले दो साल से वह ब्राह्मणों से जुड़े कई मुद्दों पर मुखर रहे हैं. दूसरी ओर, भाजपा को उत्तर प्रदेश में एक सशक्त ब्राह्मण चेहरे की जरूरत थी. राजनीति के लिहाज से यह एक अच्छा कदम है.’
हालांकि, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कविराज कहते हैं कि भाजपा में शामिल रीता बहुगुणा जोशी, संजय सिंह और रत्ना सिंह जैसे कांग्रेस नेताओं के लिए यह बहुत आसान नहीं रहा है.
कविराज ने कहा, ‘इसलिए यह कह पाना मुश्किल है कि जितिन कुछ ही हफ्तों में सूरत एकदम बदल देंगे और उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर कर देंगे.’
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ब्राह्मण नेता के तौर पर जितिन प्रसाद की स्थिति
जितिन प्रसाद ने जुलाई 2020 में ब्राह्मणों के अधिकारों की लड़ाई के लिए ब्राह्मण चेतना परिषद का गठन किया था. इसके बाद अक्टूबर 2020 में उन्होंने ‘ब्राह्मण चेतना परिषद’ के तहत हर जिले में ‘टी-20’ टीम बनाने के अपने फैसले की घोषणा की थी ताकि कानूनी लड़ाई लड़ रहे इस समुदाय के लोगों की मदद की जा सके.
प्रसाद ने तब दिप्रिंट को बताया था कि यूपी में ब्राह्मणों के खिलाफ अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हत्या, अपहरण और रेप के कई मामले सामने आए हैं. इसके अलावा, कई गरीब ब्राह्मण परिवारों के पास कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए न तो संसाधन हैं और न ही पैसा है. उन्हें कोई सही कानूनी परामर्श देने वाला भी नहीं है.’
उन्होंने कहा था कि चाहे मैनपुरी स्थित नवोदय स्कूल की छात्रा की मौत का मामला हो या बस्ती में एक छात्र नेता की हत्या का मामला, पीड़ित परिवार अभी भी न्याय के लिए लड़ रहे हैं.
ब्राह्मण चेतना परिषद के राष्ट्रीय सचिव रंजन दीक्षित ने दिप्रिंट को बताया कि जितिन प्रसाद के पाला बदलने के बावजूद संगठन अपना काम नहीं बंद करेगा.
दीक्षित ने कहा, ‘चेतना परिषद अपना काम करती रहेगी. हम ब्राह्मणों से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठाते रहेंगे. हम किसी पार्टी के लिए काम करने वाले संगठन नहीं हैं. मैं निजी तौर पर जितिनजी के लिए खुश हूं. मुझे उम्मीद है कि वह हमारे मुद्दों को अब और मजबूती से उठा पाएंगे.’
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यूपी में ब्राह्मण वोटबैंक
यूपी में ब्राह्मण राज्य की कुल आबादी का लगभग 12 प्रतिशत हैं और कई विधानसभा क्षेत्रों में इसका वोट शेयर 20 प्रतिशत से अधिक है.
पिछले साल जुलाई में कुछ ब्राह्मण संगठनों ने एक ब्राह्मण गैंगस्टर विकास दुबे की मुठभेड़ के बाद सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे.
कई ब्राह्मण संगठनों ने योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली पर चिंता भी जताई है. इसने राज्य में एक ब्राह्मण बनाम ठाकुर धारणा को आगे बढ़ाया है. इस समुदाय ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में जमकर मतदान किया था.
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