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Thursday, 19 December, 2024
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अतीक से लिंक के आरोप का पड़ा असर, UP कैबिनेट मंत्री नंदी की पत्नी को नहीं मिला BJP का टिकट

यूपी के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी पर अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी ने आरोप लगाया कि उन्होंने उसके भाई से 5 करोड़ रुपये उधार लिए थे और इस आरोप ने भाजपा के एक खेमे को उनके खिलाफ कर दिया.

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लखनऊ: भाजपा के प्रयागराज इकाई के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, हाल ही में हुए कुछ घटनाओं के कारण उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ ​​​​नंदी का बीजेपी में बने रहना थोड़ा मुश्किल है.

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा हैं कि नंदी जो भाजपा के मौजूदा प्रयागराज दक्षिण में विधायक हैं और जिन्हें बनिया और व्यापारी समुदाय का समर्थन हासिल है – को कुछ समय से पार्टी द्वारा दरकिनार किया जा रहा था. पार्टी में नंदी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रईस चंद्र शुक्ला को शामिल करने के साथ ही नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता को आगामी नगरपालिका चुनावों के लिए टिकट भी नहीं दिया गया.

गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी द्वारा नंदी के खिलाफ आरोप लगाया गया कि उन्होंने उसके भाई से 5 करोड़ रुपये उधार लिए थे, जिसके बाद 2012 से प्रयागराज की मेयर रहीं अभिलाषा को टिकट देने से इंकार कर दिया गया.

अभिलाषा के बजाय, भाजपा ने 16 अप्रैल को बनिया समुदाय के एक नेता गणेश केसरवानी को अपने मेयर उम्मीदवार के रूप में घोषित किया और फिर 22 अप्रैल को समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता शुक्ला को पार्टी में शामिल किया.

नूरी के आरोपों ने नंदी के खिलाफ राज्य भाजपा के एक खेमे को उनके खिलाफ कर दिया. प्रयागराज के एक वरिष्ठतम नेता ने दिल्ली फोन कर यह सुनिश्चित किया कि नंदी की पत्नी को नगर निगम चुनाव के लिए टिकट न मिलें. भाजपा की प्रयागराज इकाई के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि शुक्ल, जो पहले से भाजपा में शामिल होना चाहते थे, इन सबके बाद उनके लिए रास्ता और आसान हो गया.

प्रयागराज से ताल्लुक रखने वाले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व नेता नंदी राजनीति में आने से पहले एक मिठाई की दुकान के मालिक थे. 1990 के दशक में वे घी और दवाइयां बेचने वाली एक कंपनी से जुड़े और बाद में उन्होंने अपना ‘नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज’ खोला.

उन्होंने यूपी में अपना पहला चुनाव 2007 में प्रयागराज दक्षिण से बसपा के टिकट पर बीजेपी के केशरी नाथ त्रिपाठी को हराकर जीता था. जबकि वह 2012 का चुनाव हार गए थे, 2017 में भाजपा के टिकट पर वह फिर से चुने गए थे.

नंदी अपने निर्वाचन क्षेत्र में व्यापारियों के लिए कार्यक्रम आयोजित करने के लिए जाने जाते हैं और पिछले साल उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बायोपिक की स्क्रीनिंग की थी. पिछले साल मार्च में, उन्होंने फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के पीछे की टीम को सम्मानित किया था, और कथित तौर पर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपये का दान भी दिया था.


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नूरी का आरोप

24 फरवरी को हुए भाजपा नेता उमेश पाल की हत्या के एक आरोपी के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के कुछ घंटे बाद, 6 मार्च को आयशा नूरी ने प्रयागराज में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि यूपी के उद्योग मंत्री नंदी ने उनके भाई अतीक से 5 करोड़ रुपये लिए थे और अब वह पैसे वापस नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने संबोधन में कहा कि “नंदीजी ने मेरे भाई से 5 करोड़ रुपये लिए थे. जब मेरे भाई को जेल हुई, तो मैं अपनी भाभी शाइस्ता परवीन के साथ जेल में उनसे मिलने गए थे और उन्होंने (शाइस्ता) से नंदी के उधार के पैसे वापस लेने को कहा था. अब, नंदीजी हमारा कॉल नहीं उठा रहे हैं, न ही हम उनसे बात कर पा रहे हैं.

नूरी ने आगे आरोप लगाया कि नंदी की पत्नी अभिलाषा नहीं चाहती थीं कि शाइस्ता बसपा के लिए मेयर का चुनाव लड़ें. शाइस्ता इस साल जनवरी में पार्टी में शामिल हुई थी.

दिप्रिंट को पता लगा हैं कि शाइस्ता ने बसपा द्वारा उन्हें मेयर उम्मीदवार घोषित करने से पहले ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था.

जैसे ही नूरी की टिप्पणी वायरल हुई, नंदी ने आरोपों को ‘निराधार’ और ‘एक प्रकार का मज़ाक’ करार देने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.

बड़ा नुकसान

लेकिन बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक नुकसान तो हो गया था.

जब भाजपा ने 16 अप्रैल को महापौर उम्मीदवारों की अपनी सूची जारी की, तो उन्होंने अभिलाषा नंदी को टिकट देने से इनकार कर दिया, जो पिछले दो कार्यकालों से इस पद पर थे.

उम्मीदवारों की घोषणा के बाद जहां नंदी चुप रहे, वहीं यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में शुक्ला के भाजपा में शामिल होना, नंदी के मन में कुछ संदेह पैदा करता है. नंदी ने पिछले साल के चुनाव में प्रयागराज दक्षिण से शुक्ला को हराया था.

23 अप्रैल को जारी एक लिखित बयान में, नंदी ने कहा कि वर्तमान विधायक (स्वयं का जिक्र करते हुए) को नजरअंदाज किया गया और उपेक्षित किया गया. उन्होंने भाजपा में प्रतिद्वंद्वी शुक्ला को शामिल करने के निर्णय को गंभीर कहा और इसे उनके खिलाफ गहरी साजिश करार दिया.

नंदी ने आगे कहा कि शुक्ला को शामिल करने का फैसला ‘भाजपा की नीति और लोकतांत्रिक मूल्यों के सिद्धांत के खिलाफ’ था. किसी का नाम लिए बिना, उन्होंने ‘पार्टी (बीजेपी) को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में चलाने की कोशिश करने वालों’ की ओर इशारा किया और कहा कि वे अपनी ‘जिद’ के कारण पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

जबकि ऐसी खबरें थीं कि नंदी भाजपा आलाकमान से मिलने के लिए दिल्ली गए थे, लेकिन उनके सहयोगियों ने अफवाहों का खंडन किया.


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प्रयागराज में अब दो बनिया नेता

दिप्रिंट से बात करते हुए, भाजपा नेता ने कहा कि नंदी की नाराज़गी के पीछे दो मुख्य कारण थे.

नेता ने कहा, “शुक्ला पहले भाजपा के साथ थे, लेकिन 2022 के चुनावों से पहले वह पहले बसपा और अंत में सपा में शामिल हो गए. उन्होंने इलाहाबाद दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से नंदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और दूसरे सबसे ज्यादा वोट हासिल किए थे. नंदी ने शुक्ला को 26,000 से अधिक वोटों से हराया था, इसलिए पार्टी में उनका शामिल होना स्वाभाविक रूप से उन्हें अच्छा नहीं लगा.”

उन्होंने कहा, “इससे ​​भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेयर का टिकट बनिया समुदाय (केसरवानी) के एक अन्य नेता को दिया गया है. यह नंदी के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है क्योंकि प्रयागराज भाजपा में इस समुदाय के दो शक्तिशाली नेता हैं.”

दिप्रिंट से बात करते हुए, शुक्ला ने कहा कि उन्हें शामिल करने पर कोई नाराज़गी नहीं थी और उन्होंने अपनी स्थिति की तुलना सात साल पहले नंदी के भाजपा में शामिल होने से की.

नंदी और उनकी पत्नी 2017 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में शामिल हो गए थे, जिसके बाद स्थानीय भाजपा इकाई के सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया था.

शुक्ल ने कहा, केशरी नाथ त्रिपाठी (जिन्हें नंदी ने 2007 के यूपी चुनावों में हराया था) एक बहुत वरिष्ठ नेता थे. उन्होंने पांच बार प्रयागराज दक्षिण से विधायक के रूप में कार्य किया और पश्चिम बंगाल और बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने बड़ा दिल दिखाया था (जब नंदी भाजपा में शामिल हुए थे).

उन्होंने आगे कहा, “घटनाओं को राजनीतिक रूप से देखा जाना चाहिए. यह (पार्टी में शामिल होना) एक छोटी सी बात है. मेरे शामिल होने से पार्टी को 72,000 से अधिक वोट हासिल करने में मदद मिलेगी, जो मुझे (विधानसभा चुनाव में) मिले थे.

जब दिप्रिंट ने संपर्क किया तो नंदी के एक सहयोगी ने कहा कि हाल की घटनाओं को लेकर कोई नाराजगी नहीं है और मामला अब पुराना हो गया है.

सहयोगी ने कहा “विचारों का थोड़ा अंतर व्यक्त किया गया था. दिल्ली जाने की खबरें झूठी हैं. मंत्री (नंदी) प्रयागराज में भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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