नई दिल्ली: बिहार और दिल्ली के कई भाजपा नेताओं ने शुक्रवार को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख चिराग पासवान पर जमकर हमला बोला और उनसे कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों के ‘समीकरण’ का सम्मान करते हुए उनकी तरफ से उत्पन्न किया गया भ्रम तत्काल दूर करें.
लोजपा बिहार, जहां इसी माह विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर हो गई है, जबकि केंद्र में इसका एक हिस्सा बनी हुई है. बिहार चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान चिराग पासवान एनडीए सहयोगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) की आलोचना करते रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं.
पासवान इस साल मुख्यमंत्री के रूप में किसी भाजपा नेता के कुर्सी संभालने की अपनी इच्छा पहले ही जाहिर कर चुके हैं, और लोजपा ने ज्यादातर प्रत्याशी जदयू और कुछ को ही भाजपा के खिलाफ उतारा है. वह भी तब जबकि भाजपा इस विधानसभा चुनाव में जदयू के साथ मिलकर ही मैदान में उतरी है.
लोजपा के इन कदमों ने नीतीश को कमजोर करने के लिए दोनों दलों के बीच मौन सहमति बनने की अटकलों को बल दिया है. लेकिन भाजपा नेताओं ने यह स्पष्ट करते हुए कि उसका लोजपा के साथ कोई गोपनीय समझौता नहीं है, पार्टी को एनडीए के लिए ‘वोटकटवा’ करार दिया है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा, ‘चिराग पासवान ने खुद बिहार में अलग रास्ता चुना है, वह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का नाम लेकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. हमारे पास कोई बी या सी टीम नहीं है. एनडीए तीन-चौथाई बहुमत हासिल करेगा. चिराग की पार्टी वोटकटवा बनकर रह जाएगी.’
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लोजपा ‘झूठ की राजनीति’ कर रही है और भाजपा का केवल जदयू, एचएएम और वीआईपी के साथ गठबंधन है. एचएएम जीतनराम मांझी का हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा है, जबकि वीआईपी मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी है.
पात्रा ने लोजपा को ‘वोटकटवा’ पार्टी करार दिया, लेकिन कहा कि बिहार में भाजपा-जदयू-वीआईपी गठबंधन बहुमत हासिल करेगा.
बिहार के प्रभारी भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि ‘चिराग पासवान प्रधानमंत्री के नाम का उपयोग करके भ्रम पैदा करना चाहते हैं.’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘बिहार चुनाव के लिए एनडीए में भाजपा-जदयू-वीआईपी और एचएएम का गठबंधन है. हमारा लोजपा के साथ ना गठबंधन है, न ही वह चुनाव में एनडीए का हिस्सा है. चिराग को भ्रम में नहीं रहना चाहिए, न ही भ्रमित होना चाहिए, और न ही भ्रम फैलाना चाहिए.’
प्रधानमंत्री जी के नाम के इस्तेमाल पर चिराग पासवान भ्रम पैदा करना चाहते हैं।
बिहार चुनाव में एनडीए में 'BJP-JDU-VIP व HAM' गठबंधन में हैं।
LJP से न हमारा गठबंधन है, न ही चुनाव में वो NDA का हिस्सा हैं।
चिराग को न भ्रम में रहना चाहिए, न भ्रम पालना चाहिए और न भ्रम फैलाना चाहिए।
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) October 16, 2020
यादव ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘पासवान द्वारा एनडीए और नीतीशजी पर दिए बयान अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं. इसी गठबंधन में रहकर उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने. फरवरी में वह बिहार सरकार की तारीफों के पुल बांध रहे थे! अचानक 6 महीने में क्या हो गया? अब निजी स्वार्थ में झूठ की राजनीति कर रहे हैं.’
चिराग पासवान द्वारा #NDA व नीतीश जी पर दिए बयान अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इसी गठबंधन में रहकर वे लोकेसभा चुनाव लड़े और सांसद बने।
फरवरी में दिल्ली में वे बिहार सरकार की तारीफों के पुल बांध रहे थे!
अचानक 6 महीने में क्या हो गया?
अब निजी स्वार्थ में झूठ की राजनीति कर रहे हैं!
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) October 16, 2020
भाजपा सूत्रों के अनुसार, ये बयान पार्टी की तरफ से डैमेज कंट्रोल की कोशिश का हिस्सा हैं. सूत्रों ने कहा कि चिराग के सार्वजनिक बयानों से भाजपा और लोजपा के बीच बनी सहमति प्रभावित हो रही है. लोजपा ने जमीनी स्तर पर भ्रम की स्थिति फैलाकर पार्टी को यह निर्णय लेने के लिए बाध्य किया है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘चिराग अपने बयानों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं, वहीं वह प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते रहे हैं. इसलिए, स्वाभाविक तौर पर इससे भ्रम पैदा हो रहा है.’
एक दूसरे वरिष्ठ नेता के अनुसार, मीडिया में यह धारणा बनी हुई है कि चिराग पासवान को भाजपा का समर्थन हासिल है, और पार्टी ‘बहुत देर होने से पहले’ ही इसे ठीक कर लेना चाहती है.
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‘स्थिति साफ करने’ के लिए भाजपा-जदयू की बैठक
भाजपा और जदयू के नेताओं ने गुरुवार शाम को बिहार के सासाराम में कोऑर्डिनेशन मीटिंग की. भाजपा ने जहां इसे अब तक किए गए और आगे जरूरी होने वाले कार्यों की समीक्षा के लिए बुलाई गई नियमित कोऑर्डिनेशन मीटिंग बताया, वहीं पूर्व में उद्धृत भाजपा के पहले अनाम नेता ने कहा कि इसका उद्देश्य कैडर के बीच भ्रम दूर करना भी था.
वरिष्ठ भाजपा नेता ने आगे जोड़ा, ‘बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, भूपेन्द्र यादव, बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल और जदयू के वरिष्ठ नेता आर.सी.पी. सिंह शामिल हुए. इन नेताओं ने जमीनी हालात पर चर्चा और समीक्षा की. साथ ही यह निर्देश भी दिया कि दोनों दलों के कैडर मिलकर काम करें और गठबंधन की जीत सुनिश्चित करें.’
नीतीश के खिलाफ लोजपा के हमले शुरू होने के बाद से ही भाजपा मुख्यमंत्री का समर्थन कर रही है ताकि 2015 की तरह ही फिर किसी महागठबंधन की संभावनाओं को टाला जा सके, जब जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था.
सूत्रों के मुताबिक, यह तब है जबकि पार्टी का मानना है कि बिहार में वह अपने सहयोगी की तुलना में अधिक मजबूत स्थिति में है.
एक तीसरे भाजपा नेता ने कहा, ‘कई विधानसभा सीटों पर कांटे की टक्कर है, इसलिए कोई भी जोखिम नहीं ले सकता है. क्या होगा अगर नीतीश कुमार को कुछ और सीटें मिल जाएं और फिर सरकार बनाने के लिए वह महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने का फैसला कर लें? हमें हर स्थिति के बारे में सोचना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जनता के बीच जदयू और भाजपा गठबंधन को लेकर स्थिति साफ हो.’
इस माह के शुरू में लोजपा ने भाजपा के कई बागी उम्मीदवारों को जदयू प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में उतारा, और जदयू के किसी भी सदस्य द्वारा इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कद घटाने के भाजपा के प्रयास के रूप में ही देखा जाएगा.
हालांकि, इसके तुरंत बाद भाजपा ने बागी पार्टी नेताओं को निलंबित कर दिया था. एक चौथे नेता ने कहा, ‘चिराग पासवान इस बात पर जोर देते हुए इंटरव्यू दे रहे हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का आशीर्वाद हासिल है और भाजपा और लोजपा के बीच एक करार है। यह पूरी तरह गलत है, इसीलिए यह तय किया गया कि पार्टी को उन्हें आधिकारिक रूप से बेनकाब करना चाहिए.’
बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से जदयू ने 2015 के विधानसभा चुनावों में 71 सीटों (101 सीटों पर लड़ी) पर जीत हासिल की थी. भाजपा को 53 सीटें (157 पर चुनाव लड़ी) और लोजपा को दो सीटें (42 में से) हासिल हुई थीं.
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