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Wednesday, 1 May, 2024
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रैलियों में हज़ारों की भीड़, मास्क बिना लोग- कोरोना का बिहार चुनाव अभियान पर कोई असर नहीं दिख रहा

बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने कोविड-19 को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी हैं.

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोड़ पकड़ने के साथ ही आभासी (वर्चुअल) और असली (रीअल) अभियान का अंतर खत्म होने लगा है. सभी राजनीतिक दलों ने कोविड-19 को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी हैं.

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को जब कैमूर जिले के रामगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित किया तो उन्हें सुनने के लिए वहां लगभग 20,000 लोग मौजूद थे.

रैली में हिस्सा लेने वाले न केवल सोशल डिस्टेंसिंग भुलाकर झुंड बनाकर वहां मौजूद थे बल्कि उनमें से तमाम ने मास्क भी नहीं पहना था. वास्तविक रैलियों के आयोजन के लिए चुनाव आयोग की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक लोगों के बीच कम से कम दो मीटर की दूरी और उन सभी का मास्क पहनना अनिवार्य है.

सुशील मोदी ने दिप्रिंट से बातचीत में माना कि स्थिति किसी भी अन्य चुनाव की तरह ही होती जा रही है. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्हें जनसभाओं के लिए बड़े मैदान की व्यवस्था करनी चाहिए. लेकिन मैं किसी को नहीं आने के लिए कैसे कह सकता हूं?’

केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने सोमवार को वैशाली जिले के महुआ में एक विशाल भीड़ को संबोधित किया जिसमें मौजूद भीड़ में से अधिकांश ने मास्क नहीं पहन रखा था.

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दिशा-निर्देशों के पालन में कोताही सिर्फ भाजपा के अभियान तक ही सीमित नहीं है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को चार जगह जनसभाओं को संबोधित किया और इन सभी स्थानों पर उनके कई समर्थकों को बिना मास्क के देखा गया और तमाम लोग सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करते नज़र आए.


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नामांकन, चुनाव प्रचार के दौरान भी नियम टूटे

और यह केवल रैलियों भर की ही बात नहीं है.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव मंगलवार को जब समस्तीपुर जिले के रोसड़ा में नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे तो अपने भाई तेजस्वी यादव और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ थे.

हालांकि, उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में केवल दो व्यक्तियों के साथ प्रवेश किया, जैसा कि चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत अनिवार्य था लेकिन बाहर समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद थी. तेजप्रताप ने अपने वाहन पर चढ़कर उन लोगों का हाथ हिलाकर अभिनंदन किया. इस दौरान तमाम लोगों ने मास्क नहीं लगा रखे थे, सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा था.

तेजस्वी यादव जब खुद बुधवार को राघोपुर विधानसभा सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे तो समर्थकों की भारी भीड़ वहां एकत्र हो गई थी.

राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने दिप्रिंट से कहा, ‘समर्थकों से न आने के लिए कहना संभव नहीं है.’

प्रत्याशियों ने तो कोविड-19 पर चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों को लगभग नकार ही दिया है. बाढ़ विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा, ‘जब मैं गांवों में डोर-टू-डोर प्रचार करता हूं तो मेरे साथ 100 से अधिक लोग चलते हैं. मैं अपने मतदाताओं से साथ न आने के लिए नहीं कह सकता हूं.’

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार डोर-टू-डोर प्रचार अभियान के दौरान किसी उम्मीदवार के साथ सिर्फ चार अन्य लोग ही मौजूद रह सकते हैं. मानेर से राजद प्रत्याशी बीरेंद्र यादव ने कहा, ‘कोविड दिशा-निर्देशों के पालन को लेकर मैं क्यों परेशान होऊं? प्रशासन को इसकी चिंता करने दें.’

बिहार में मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने कहा कि पार्टियों को कोविड-19 दिशा-निर्देशों के बारे में समझाने में समय लगेगा. अतिरिक्त सीईओ संजय सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि कोविड-19 दिशा-निर्देशों के उल्लंघन संबंधी कुछ मामले दर्ज किए गए हैं, हालांकि इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने उन क्षेत्रों को अधिसूचित किया है, जहां रैलियों का आयोजन हो सकता है और इसके आकार के हिसाब से रैली में शामिल होने वाले लोगों की संख्या तय की जा सकती है.’

राज्य में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव हो रहे हैं. मंगलवार तक बिहार में कुल 1,98,223 मामले और 961 मौतें दर्ज की गई थीं. राज्य में 10,638 सक्रिय मामले हैं.


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कोविड पर योजना तैयार की: जिला मजिस्ट्रेट

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा था कि कोविड संबंधी दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए जिला प्रशासन जवाबदेह होगा.

बिहार प्रशासन का कहना है कि वे नियमों के पालन को लेकर प्रतिबद्ध हैं. वैशाली की जिलाधिकारी उदिता सिंह ने कहा, ‘हमने विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र कोविड संबंधी योजना तैयार की है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और सीधे ब्लॉक स्तर तक सैनिटाइजेशन की व्यवस्था करना शामिल है. हम इसे लागू कराएंगे और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे. मुझे लगता है कि सभी जिला प्रशासनों को कोविड का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए कहा गया है.’

पटना के डिवीजनल कमिश्नर संजय अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने सभी डीएम और एसपी के साथ एक बैठक की है और उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है.

उन्होंने बताया, ‘बुधवार को मोकामा में आयोजित मुख्यमंत्री की जनसभा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने के नियम का पालन सुनिश्चित किया गया था.’

बिहार में चुनाव आयोग ने गुरुवार को चुनाव थीम वाले गीत का एक वीडियो साझा किया, जो कोविड संबंधी दिशानिर्देशों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा है.


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आभासी की जगह असली

चुनावों के औपचारिक ऐलान से पहले तक एनडीए के घटक कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए आभासी रैलियों का व्यापक समर्थन कर रहे थे.

जदयू के इस दिशा में कदम बढ़ाने से पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने 7 जून को पहली मेगा वर्चुअल रैली आयोजित की थी.

चुनाव आयोग के साथ एक सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने जहां असल रैलियों की वकालत की वहीं एनडीए के घटक दलों ने आभासी रैलियों और डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार का समर्थन किया.

चुनाव आयोग ने असल चुनावी रैलियों की अनुमति तो दे दी है लेकिन तमाम कड़ी पाबंदियों के साथ. सभी प्रमुख दलों ने अब इनका आयोजन करना शुरू कर दिया है.

सुशील मोदी ने सोमवार को रैलियों के आयोजन के साथ अभियान शुरू किया, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार से शुरू किया. आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगभग एक दर्जन संयुक्त रैलियां होने वाली हैं और इसमें बड़ी तादात में भीड़ जुटने की उम्मीद है.

राजद के तेजस्वी यादव भी जल्द ही सड़क पर उतरने वाले हैं. कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, डॉ. मनमोहन सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा शामिल हैं और इनकी चुनावी सभाओं में भी काफी भीड़ जुटने की उम्मीद है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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