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Sunday, 19 May, 2024
होमराजनीति1 डिप्टी PM, 2 CM, 5 सांसद और 14 विधायकों के बावजूद, चौटाला गांव आज भी पिछड़ा — ‘वे यहां ज्यादा नहीं आते’

1 डिप्टी PM, 2 CM, 5 सांसद और 14 विधायकों के बावजूद, चौटाला गांव आज भी पिछड़ा — ‘वे यहां ज्यादा नहीं आते’

जैसा कि हरियाणा 25 मई के लोकसभा चुनावों और इस साल के अंत में विधानसभा चुनावों के लिए मतदान करने की तैयारी कर रहा है, चौटाला गांव के निवासियों का दावा है कि गांव हमेशा राजनीति का शिकार रहा है.

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चौटाला: अप्रैल की गर्म दोपहर में पारा 38 डिग्री सेल्सियस हो चुका है और हरियाणा के सिरसा जिले का चौटाला गांव मुरझाया हुआ दिख रहा है. गांव की तंग गलियां हालांकि, धातु या पक्की ईंट वाली हैं, लेकिन फिर भी मरम्मत की बाट जोह रही हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के नाम पर बनाया गया एक पार्क कूड़े और जंगली घास-फूस से भरा हुआ है, जिनके बीच देवीलाल की एक काले पत्थर की मूर्ति खड़ी है.

चौटाला की जर्जर अवस्था इसके गौरवशाली इतिहास के साथ मेल नहीं खाती. गांव ने कम से कम पांच संसद सदस्य, 14 विधानसभा के सदस्य, एक उपप्रधान मंत्री, दो मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री (इन पदों में कुछ ओवरलैप के साथ) दिए हैं.

गांव के बाज़ार के एक कोने में एक पेड़ के नीचे कुछ ग्रामीणों के साथ बैठकर ताश खेल रहे 76-वर्षीय पूरन चंद जाखड़ ने कहा, “इस गांव ने हरियाणा और देश को बहुत सारे नेता दिए हैं.”

उन्होंने कहा, “उनमें सबसे बड़े कद वाले चौधरी देवीलाल थे, जो उपप्रधानमंत्री बने. वे प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने सिर पर रखा ताज वीपी सिंह को सौंपना पसंद किया, लेकिन इस गांव की दुर्दशा देखकर आपको नहीं लगेगा कि यहां किसी को कोई विशेषाधिका मिले हैं.”

जैसा कि हरियाणा 25 मई को लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान करने की तैयारी कर रहा है, चौटाला के निवासियों की उम्मीदें कम होती जा रही हैं. उनका दावा है कि चौटाला हमेशा राजनीति का शिकार रहे हैं, क्योंकि जब भी देवीलाल परिवार के सदस्य राज्य स्तर पर सत्ता में नहीं रहे हैं, तो ग्रामीणों को सड़कों, अस्पतालों और शीर्ष पर बैठे लोगों की उपेक्षा के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. पानी की आपूर्ति भी कम होती जा रही है.

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चौटाला गांव के मुख्य बाज़ार में पेड़ के नीचे ताश खेलते ग्रामीण | फोटो: सुशील मानव/दिप्रिंट

जाट नेता देवी लाल 1977 से 1979 तक और फिर जून 1987 से दिसंबर 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद, 1991 तक, उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला, शिष्यों बनारसी दास गुप्ता और मास्टर हुकुम सिंह के साथ बारी-बारी से सीएम बने. इसके बाद ओम प्रकाश चौटाला 1999 से 2005 तक सीएम के पद पर रहे. देवीलाल के परपोते दुष्यंत चौटाला 2019 से मार्च 2024 तक डिप्टी सीएम रहे, जब तक कि उनकी पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ अपना गठबंधन खत्म नहीं कर लिया था.

यह गांव सिरसा लोकसभा क्षेत्र के डबवाली विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां के विधायक कांग्रेस नेता अमित सिहाग हैं. उनके परदादा तारा चंद सिहाग और देवीलाल के पिता लेखराम सिहाग भाई थे.

चौटाला गांव में यहां तक ​​कि जो लोग ‘अच्छे पुराने दिनों’ को याद करने के लिए बहुत छोटे हैं, वे भी उनके बारे में उदासी से बात करते हैं.

तकरीबन 30-वर्षीय निवासी पवन कुमार ने अफसोस जताते हुए कहा, “चौटाला राज खत्म हुए 20 बरस बीत गए हैं और बाद की सरकारों ने उनके द्वारा बनाई गई सड़कों की मरम्मत करने की ज़हमत तक नहीं उठाई. जब ओम प्रकाश चौटाला 1999 से 2005 तक सत्ता में थे, तो उन्होंने लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गांव में एक बिजली घर बनाया, लेकिन जब से उनकी सरकार गिरी है, हमें लगातार बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. चौटाला के शासन के दौरान, हम अपने खेतों में अतिरिक्त पानी के प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए ‘मोघों’ (नहर) को कुछ समय के लिए बंद करने का अनुरोध करेंगे. अब, हम एक हफ्ते तक पानी मिलने के बाद तीन सप्ताह तक बंदी (पानी नहीं आना) भी झेल रहे हैं.”


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‘बाद की सरकारों ने नहीं किया काम’

चौटाला में हर सड़क-नुक्कड़ पर होने वाली राजनीतिक चर्चा देवीलाल और ओम प्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्रित्व काल के बाद गांव की दुर्दशा की याद दिलाती है.

चार से पांच अन्य लोगों के समूह के साथ एक बेंच पर आराम कर रहे निवासी बलवंत सिहाग ने कहा, “उन्होंने अस्पताल बनाया, लेकिन बाद की सरकारों ने डॉक्टर, कर्मचारी और दवाएं उपलब्ध नहीं कराईं, उन्होंने सड़कें और गलियां दीं, लेकिन उनके जाने के बाद गड्ढों की भी मरम्मत नहीं की गई.”

चौटाला गांव में सामान्य अस्पताल-सह-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र | फोटो: सुशील मानव/दिप्रिंट

उन्होंने कहा, “80 के दशक में जब देवीलाल मुख्यमंत्री थे तब एक इनडोर स्टेडियम की घोषणा की गई थी. हालांकि, इस परियोजना पर तब तक काम शुरू नहीं हुआ जब तक कि मनोहर लाल खट्टर सरकार में दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम नहीं बने और उन्होंने इस परियोजना में रुचि नहीं ली. अभी तो काम शुरू ही हुआ है, लेकिन वे अब सत्ता में नहीं हैं. देखते हैं अब इस परियोजना का क्या होता है.”

यहां एक और बड़ा मुद्दा पानी की गुणवत्ता का है. जाखड़ के अनुसार, नहर की पानी की आपूर्ति के लगातार अभाव में निवासियों को खारे पानी पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिसमें अशुद्धियां और कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) की मात्रा अधिक होती है.

सिहाग ने कहा, “हमारे पास एक सिविल अस्पताल है, लेकिन वहां पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं और दवाएं हमेशा गायब रहती हैं. शायद ही कोई लोग अस्पताल जाते हों. लोगों को निजी डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है.”

चौटाला गांव का चौधरी साहिब राम स्टेडियम, जिसका नाम देवीलाल के बड़े भाई के नाम पर रखा गया है | फोटो: सुशील मानव/दिप्रिंट
चौटाला गांव का चौधरी साहिब राम स्टेडियम, जिसका नाम देवीलाल के बड़े भाई के नाम पर रखा गया है | फोटो: सुशील मानव/दिप्रिंट

चौटाला निवासी भी अपनी स्थिति की तुलना हरियाणा के अन्य राजनीतिक राजवंशों के गढ़ों से करते हैं. खासकर हिसार जिले के आदमपुर से, जो दिवंगत पूर्व सीएम भजन लाल और उनके वंशजों कुलदीप बिश्नोई और भव्य बिश्नोई का गढ़ है.

सिहाग ने कहा, “आदमपुर में आज सबसे अच्छा बुनियादी ढांचा है — कॉलेज, अस्पताल, स्कूल और अच्छी सड़कें. भजनलाल ने निर्वाचन क्षेत्र के हर घर में रोज़गार दिया, लेकिन चौटाला के पास कोई कॉलेज नहीं है. लड़कियों समेत हमारे बच्चों को 12वीं कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए डबवाली से 70 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. आदमपुर की तुलना में हम कहीं नहीं ठहरते.”

हालांकि, ओबीसी समुदाय के एक ग्रामीण, राधे श्याम ने दावा किया कि वर्तमान भाजपा सरकार के दौरान चार या पांच युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं.

उन्होंने आगे कहा, “भर्ती की प्रणाली अब बदल गई है. वर्तमान सरकार के दौरान योग्यता के आधार पर नौकरियां दी जा रही हैं. इससे पहले, जब चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) सत्ता में थी, तब कुछ लोगों को नौकरियां मिलीं, लेकिन उनके बाद कांग्रेस शासन के दस साल के दौरान किसी का चयन नहीं किया गया.”


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5 वर्तमान विधायक और ओजस्वी भाषण

भले ही गौरवशाली अतीत धूमिल हो गया हो, राज्य विधानसभा में अभी भी चौटाला गांव के पांच विधायक हैं, जिनमें से प्रत्येक अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं — रानिया से रणजीत सिंह, ऐलनाबाद से अभय चौटाला, उचाना कलां से दुष्यंत चौटाला, बाढड़ा से नैना चौटाला और डबवाली से अमित सिहाग.

ग्राफिक: वसीफ खान/दिप्रिंट

फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए कांग्रेस विधायक सिहाग, जिनकी डबवाली विधानसभा सीट में चौटाला गांव भी शामिल है, ने कहा कि उन्होंने पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में अपने गांव की समस्याओं को उठाया था.

सिहाग ने अपने भाषण का 44 मिनट का वीडियो साझा करते हुए कहा कि जब उन्होंने ये समस्याएं गिनाईं तो चौटाला गांव के अन्य चार विधायक सदन में मौजूद थे.

सिहाग ने वीडियो में कहा, “अध्यक्ष महोदय इस सदन के कई सदस्य अपने नाम के साथ चौटाला गांव का नाम इस्तेमाल करते हैं. उस गांव से हम सबको बहुत शक्ति मिलती है, लेकिन, आज भी चौटाला गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. पांच विधायकों के गांव को हर दिन शर्मसार होना पड़ रहा है. इस वीवीआईपी गांव का अस्पताल महज़ एक ऐसी जगह बनकर रह गया है, जहां से मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है. यह सभी सुविधाओं से रहित है.”

उन्होंने चौटाला गांव के तीन विधायकों से भी अपील की, जो उस समय बीजेपी-जेजेपी सरकार का हिस्सा थे — अब पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, मंत्री रणजीत सिंह और दुष्यंत की मां नैना चौटाला. उन्होंने कहा, “हमें गांव की दुर्दशा सुधारने के लिए काम करना चाहिए.”

हालांकि, सिहाग ने दिप्रिंट को बताया कि बाद की कार्रवाइयां अपर्याप्त रही हैं.

सिहाग ने कहा, “इसके बाद, सरकार ने दो डॉक्टर भेजे, लेकिन गांव के लिए कुछ खास नहीं बदला. अगर 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आती है, तो मैं निश्चित रूप से अपने चौटाला गांव की स्थितियों को सुधारने के लिए काम करूंगा.”

गौरतलब है कि, हिसार लोकसभा सीट से चौटाला के दो विधायक बीजेपी के रणजीत सिंह और जेजेपी की नैना सिंह चौटाला एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. चौटाला की तीसरी नेता सुनैना चौटाला भी इनेलो के टिकट पर मैदान में हैं.


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‘वह यहां ज्यादा नहीं आते’

16,178 (2011 की जनगणना) की आबादी वाला हरियाणा का एक बड़ा गांव, चौटाला, पास के तीन गांवों को शामिल करता है. प्रत्येक गांव में अलग-अलग जाट गोत्र-सहारन, सिहाग और गोदारा का प्रभुत्व है.

76-वर्षीय पूरन चंद जाखड़ के अनुसार, सहारन गोत्र के जाट चौटाला गांव के ‘मूल’निवासी थे. बाद में, 1919 के आसपास, गोदारा गोत्र और सिहाग गोत्र (देवीलाल के पूर्वज) के जाट राजस्थान के बीकानेर जिले से चले गए और चौटाला में बस गए.

ग्राफिक : वसीफ खान/दिप्रिंट

बाद के वर्षों में, देवीलाल के पूर्वज तेजा राम सिहाग ने अपने कृषि क्षेत्रों में अपना फार्महाउस बनाया. आज, यह एक गांव है जिसे तेजा खेड़ा (खेड़ा का मतलब एक छोटा सा गांव) के नाम से जाना जाता है. इसी प्रकार, गोदारा गोत्र के पूर्वज आसा राम गोदारा और सहारण गोत्र के पूर्वज भारू राम सहारण ने अपने फार्महाउस बनाए और अब, उनके गांवों को क्रमशः आसा खेड़ा और भारू खेड़ा के नाम से जाना जाता है.

ग्राफिक : प्रज्ञा घोष/दिप्रिंट

डबवाली के पूर्व विधायक डॉ. सीता राम, जो कि इनेलो नेता और प्रशिक्षित डेंटल हैं, ने चौटाला गांव के समय की यादें साझा कीं और बताया कि कैसे देवी लाल ने हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान में मदद की.

उन्होंने कहा, “चौधरी देवीलाल एक बड़े जमींदार थे, लेकिन फिर भी उन्होंने मुज़ारों (भूमिहीन खेत मजदूरों) की ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए काम किया. 1972 में जब भूमि हदबंदी कानून लागू हुआ तो उन्होंने मुज़ारों के लिए अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा छोड़ दिया. 1977 में जब देवीलाल पहली बार मुख्यमंत्री बने, तो लोग उन्हें हाथी की पीठ पर बैठाकर गांव लाए.”

पूर्व विधायक सीता राम (टी-शर्ट में) गांव चौटाला में अपने घर पर | फोटो: सुशील मानव/दिप्रिंट

सीता राम, जो एक दलित परिवार से आते हैं, अपने पिता मनी राम के नक्शेकदम पर चले, जो डबवाली से तीन बार विधायक भी थे, लेकिन उनके दादा कल्लू राम एक किसान थे जो एक प्रमुख गोदारा परिवार के खेतों में काम करते थे.

उन्होंने कहा, “जब देवीलाल 50 के दशक की शुरुआत में राजनीति में आए, तो मेरे दादा उनके साथ शामिल हो गए. फिर 1977 में, देवीलाल ने मेरे पिता मनीराम, जो उस समय हरियाणा में सहायक खाद्य और आपूर्ति अधिकारी थे, को नौकरी से इस्तीफा दिलवाया और डबवाली से चुनाव लड़वाया. इस तरह हमारा परिवार चुनावी राजनीति में आया.”

हालांकि, आज यहां राजनीतिक गतिविधियां बहुत कम हैं.

पवन कुमार ने कहा, “बड़े चौटाला साहब (ओम प्रकाश चौटाला) जब भी तेजा खेड़ा में अपने फार्महाउस पर आते हैं तो गांव का दौरा ज़रूर करते, लेकिन बाकी लोग शायद ही आते हैं.”

(इस ग्राइंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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