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Sunday, 12 May, 2024
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MP के आदिवासियों तक कांग्रेस की पहुंच देख, BJP दोगुने रफ्तार से कर रही कोशिश

मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 84 पर आदिवासी वोट बैंक का दबदबा है. समुदाय को लुभाने के लिए भाजपा के सबसे हालिया प्रयासों में PESA एक्ट को सामने लाना और मुख्यमंत्री चौहान द्वारा जनजातीय गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाना शामिल है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण चुनावों से पहले कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक पर नजरें बनाए हुए है. इसी बौखलाहट में राज्य में सत्ता पर काबिज भाजपा ने समुदाय के लिए अपने आउटरीच कार्यक्रमों को मजबूत करना शुरू कर दिया है. हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाई है.

मप्र में पहुंच बनाने की कांग्रेस की कवायद, राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा के जरिए की जा रही है. इसका फोकस मालवा-निमाड़ क्षेत्र पर है, जहां राज्य की 66 विधानसभा सीटें हैं.

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में आदिवासियों की सबसे अधिक संख्या मप्र में है. राज्य की कुल आबादी का लगभग 21.5 प्रतिशत आदिवासियों का है और उनके लिए 47 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं.

भाजपा ने 2018 में इन 47 सीटों में से 16 पर जीत हासिल की थी, जबकि उससे पहले 2013 के चुनावों में 31 सीटों पर उनका कब्जा था. पार्टी राज्य में 2003 से सत्ता में है. फिलहाल वह सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही है.

आरक्षित सीटों के अलावा, 37 और विधानसभा सीटें हैं जिन पर आदिवासी समुदाय का वर्चस्व है. राज्य में राजनीतिक दलों के भाग्य तय करने में यह सीटें निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं.

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अपने प्रयासों को तेज करते हुए भाजपा आदिवासी अधिकार संगठन जय आदिवासी युवा संगठन (JAYS) की योजनाओं के साथ आगे बढ़ी है. JAYS का लक्ष्य राज्य में ST समुदाय के उम्मीदवारों को मैदान में उतारना और विशेष रूप से समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर समर्थन हासिल करना है.

अक्टूबर में मध्य प्रदेश में भाजपा की बंद कमरे में हुई बैठक में जनजातीय क्षेत्रों में JAYS की पैठ बनाने का मुद्दा भी चर्चा में आया था.

भाजपा के वैचारिक स्रोत ‘आरएसएस’ ने भी सत्ता विरोधी लहर को थामने के लिए एसटी समुदायों तक पहुंच बनाने पर जोर दिया है.

2018 के राज्य चुनावों में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. यह मार्च 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने बाद, सरकार बनाने में कामयाब रही. सिंधिया फिलहाल अब केंद्रीय मंत्री हैं.

अगर 2018 और 2020 के बीच के समय को छोड़ दें, जब कांग्रेस के कमलनाथ सीएम थे, तो पार्टी ने 2003 से मध्य प्रदेश में सत्ता संभाली हुई है. हालांकि बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि एससी और एसटी समुदायों के एक बड़े वर्ग ने अभी भी बीजेपी को अपना समर्थन नहीं दिया है.


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बीजेपी का ‘आक्रामक’ आउटरीच

पार्टी के एक सूत्र के मुताबिक, बीजेपी ने पार्टी और सरकार दोनों स्तरों पर अपने आउटरीच कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया है. पार्टी PESA जागरूकता सम्मेलनों के जरिए ‘पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) (PESA) एक्ट’ के नए नियमों के कार्यान्वयन को आक्रामक रूप से लोगों के सामने लेकर आ रही है.

PESA एक्ट 1996 में अनुसूचित क्षेत्रों, उच्च आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वालों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्व-शासन सुनिश्चित करने के लिए लागू हुआ था. यह 5,212 पंचायतों में 2,350 गांवों को कवर करते हुए, राज्य के 89 आदिवासी ब्लॉकों में ग्राम सभाओं के जरिए स्वशासन की जनजातीय प्रणालियों को मान्यता देता है.

राज्य में आधिकारिक रूप से इसे इस साल 15 नवंबर को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में शहडोल में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ इवेंट में लागू किया गया था.

जनजातीय गौरव दिवस की स्थापना पिछले साल केंद्र सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में की थी.

भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा कि PESA अधिनियम का उद्देश्य ग्राम परिषदों या ग्राम सभाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ आदिवासी आबादी के शोषण को रोकना है.

अधिनियम का मकसद ग्राम पंचायतों को उन मामलों पर निर्णय लेने देना है जो सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के अलावा लघु वन उपज, भूमि और छोटे जल निकायों से संबंधित हैं.

एक अन्य नेता ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में चौहान ने कई आदिवासी क्षेत्रों का दौरा किया है और लोगों के साथ बातचीत की है. PESA एक्ट के फायदों के साथ-साथ भाजपा सरकार ने कैसे एसटी समुदाय के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए उपाय किए हैं, वह इस पर चर्चा कर रहे हैं.’


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‘यात्रा’ की लड़ाई

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 24 नवंबर को खंडवा जिले की पंधाना तहसील में आदिवासी नायक और क्रांतिकारी टंट्या भील की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर गांव का दौरा किया था.

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आदिवासियों के अधिकारों की बहाली की भी पैरवी की और गांव में एक रैली में टंट्या भील को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने आदिवासियों के प्रति ‘अनादर’ के लिए भाजपा की आलोचना की और दावा किया कि जिस PESA अधिनियम को कांग्रेस लेकर आई थी, उसे भाजपा ने ‘कमजोर’ कर दिया है.

भाजपा ने यह कहते हुए कि भारत जोड़ो यात्रा का राज्य में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, अपनी खुद की ‘जनजातीय गौरव यात्रा’ की घोषणा कर दी.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘राहुल गांधी के बड़ौदा अहीर दौरे से एक दिन पहले सीएम चौहान ने गांव का दौरा किया और बीजेपी के जनजातीय गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी.’

रैली का समापन 4 दिसंबर को इंदौर के पातालपानी में होगा, जहां टंट्या भील अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए थे.

ऊपर उद्धृत नेता ने दावा किया कि कांग्रेस ‘आदिवासी विरोधी’ रही है, उसकी नीतियों में यह साफ नजर आता है. उन्होंने कहा, ‘हम कांग्रेस को PESA अधिनियम के कार्यान्वयन के बारे में समुदाय के भीतर डर की स्थिति पैदा करने का कोई मौका नहीं देंगे. हम सिर्फ भाजपा सरकार की ओर से लाए गए कल्याणकारी उपायों के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं.’

जनजातियों के कल्याण के लिए कदम

अप्रैल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में एक ‘वन समिति सम्मेलन’ में वन उपज संग्राहकों को तेंदूपत्ता (पत्ते) जैसे बोनस सौंपे थे.

तेंदूपत्ता राज्य में समुदाय के लिए आजीविका के प्रमुख स्रोतों में से एक है.

शाह ने 827 ‘वन गांवों’ की स्थिति को ‘राजस्व गांवों’ में बदलने की भी घोषणा की थी.

पार्टी स्तर पर बीजेपी और आदिवासी नेताओं को पार्टी में शामिल करने की कोशिश कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल के जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में भाग लेने के लिए मध्य प्रदेश का दौरा किया और देश भर में 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला रखी थी.

वह जनवरी 2023 में मप्र, खजुराहो में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में राज्य के पहले आदिवासी गांव का उद्घाटन करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य)
(संपादन: अलमिना)


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