नई दिल्लीः पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और दल-बदल का दौर जारी है. नेता अपनी सुविधा और फायदे के मुताबिक एक पार्टी से दूसरी पार्टी में छलांग लगा रहे हैं. जो पार्टी कल तक अच्छी हुआ करती थी, जिस पार्टी की विचारधारा नेता जी के लिए सबसे अच्छी थी, वही रातों-रात खराब हो गई, दलितों और पिछड़ों के खिलाफ हो गई.
खैर, मंगलवार को पडरौना के राजा साहब और कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस ने कहा, ‘लड़ाई लड़ने के लिए साहस और मजबूती की जरूरत होती है. ये कायर नहीं लड़ सकते है.’ झारखंड में कांग्रेस नेता और बड़ागांव से विधायक अंबा प्रसाद ने आरोप लगाया कि आरपीएन सिंह पिछले एक साल से बीजेपी के साथ मिलकर राज्य सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे थे. तो आरपीएन सिंह ने कहा कि कांग्रेस अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रही. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने जीवन के 32 साल पार्टी को दिए अब पीएम मोदी के साथ मिलकर देश निर्माण में योगदान देना चाहता हूं.’
हालांकि, ये तो रही आरोप-प्रत्यारोप वाली बात. जब भी कोई नेता किसी पार्टी में शामिल होता है तो बयानों का एक दौर तो चलता ही है, लेकिन कांग्रेस से जिस तरह से बड़े-बड़े चेहरे टूटकर दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं वो कांग्रेस की डूबती नैया में एक के बाद एक छेद करते जा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि कौन-कौन बड़े नेता कांग्रेस को छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हुए हैं-
अमरिंदर सिंह
पंजाब के पूर्व सीएम और कांग्रेस के तेर-तर्रार नेता को अचानक पार्टी ने सीएम के पद से हटा दिया तो उन्होंने पार्टी छोड़कर अपनी खुद की पार्टी बना ली. उनकी पार्टी का नाम है पंजाब लोक कांग्रेस. इसके पहले कांग्रेस ने राज्य में हमेशा उन्हीं के दिशा निर्देश में चुनाव लड़ा लेकिन 2016 में सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से चीजें बदलनी शुरू हो गईं. हालांकि, रविवार को दिए एक बयान में अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से कहा था कि सिद्धू को पार्टी में शामिल न किया जाए क्योंकि उनके पास दिमाग नहीं है और वो अक्षम व्यक्ति हैं. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चीजें बदलती गईं और अंतत्वोगत्वा अमरिंदर सिंह को कांग्रेस छोड़ खुद की पार्टी बनानी पड़ी. अब उनकी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ रही है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश की राजनीति में खासा महत्त्व रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ महीनों पहले कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया था. वे राहुल गांधी काफी करीबी माने जाते थे लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर को कमलनाथ को सीएम बनाए जाने पर पार्टी से इनकी दूरियां बढ़ने लगीं और इन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर लिया. बीजेपी ने इन्हें राज्य सभा से सांसद बनाकर सिविल एविएशन मंत्रालय का कार्यभार भी सौंप दिया. ऐसा भी माना जाता है कि इनकी मदद से ही एमपी में बीजेपी दोबारा सरकार बना पाई.
प्रिंयका चतुर्वेदी
प्रियंका चतुर्वेदी को कांग्रेस के काफी प्रखर प्रवक्ताओं में गिना जाता था. लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने अचानक कांग्रेस की सदस्यता छोड़कर शिवसेना का दामन थाम लिया. एक्स्पर्ट्स का कहना है कि वे मुंबई नॉर्थ से लोकसभा का टिकट चाह रही थीं, लेकिन इस सीट से उर्मिला मातोंडकर को टिकट दे दिए जाने से वह खफा हो गईं और पार्टी छोड़ कर शिवसेना ज्वॉइन कर लिया.
जितिन प्रसाद
कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने पिछले साल जून में अचानक बीजेपी ज्वाइन कर सबको चौंका दिया था. पोलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना था कि जितिन प्रसाद को शामिल करके बीजेपी, यूपी में ब्राह्मणों को रिझाना चाहती है, क्योंकि योगी सरकार पर अक्सर जातिवाद के आरोप लग रहे थे और ऐसा कहा जा रहा था कि ब्राह्मण वोटर उनसे नाराज़ चल रहा है. जितिन प्रसाद को भी राहुल की कोर कमेटी का हिस्सा बताया जा रहा था. लेकिन बीजेपी में शामिल होते ही उन्हें एमएलसी बना के मंत्री पद भी दे दिया गया.
अदिति सिंह
अदिति सिंह का परिवार हमेशा से कांग्रेस से जुड़ा रहा है. प्रियंका गांधी को यूपी की कमान सौंपे जाने के बाद वे उनके साथ भी नज़र आईं लेकिन फिर वो कई मुद्दों पर कांग्रेस हाईकमान से अलग राय व्यक्त करने लगीं. बाद में उन्होंने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और बीजेपी में शामिल हो गईं. अदिति सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थीं. बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी ने उन्हें फिर से इसी विधानसभा सीट से टिकट दिया है. खास बात यह भी है कि अदिति सिंह के पति अंगद सैनी कांग्रेस के नेता हैं और पंजाब के नवांशहर सीट से विधायक हैं. उन्हें अमरिंदर सिंह के परिवार का करीबी भी माना जाता है. हालांकि, डैमेज कंट्रोल करने के लिए कांग्रेस ने अदिति सिंह के चचेरे भाई और पूर्व सांसद अशोक सिंह के बेटे मनीष सिंह को कांग्रेस में शामिल कर लिया. मनीष सिंह बसपा के टिकट पर रायबरेली के हरचंदपुर से चुनाव लड़ चुके हैं.
सुष्मिता देव
असम में कांग्रेस का मजबूत चेहरा मानी जाने वाली सुष्मिता देव अब कांग्रेस का साथ छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गई हैं. सुष्मिता देव के पिता स्वर्गीय संतोष देव सिलचर से पांच बार और त्रिपुरा पश्चिमी सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं. सुष्मिता देव ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं. उन्होंने कांग्रेस के स्टैंड के खिलाफ सीएए का समर्थन किया था. बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ टीएमसी ज्वाइन कर लिया. टीएमसी उन्हें नॉर्थ ईस्ट में पार्टी के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर सकती है.
इमरान मसूद
साल 2014 में पीएम मोदी के खिलाफ विवादित बयान देने वाले इमरान मसूद ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया. इनके भाई नोमान मसूद बसपा के नेता हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में यूपी के गंगोह सीट से वे बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, इमरान मसूद को सपा ने टिकट नहीं दिया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्हें चुनाव बाद एमएलसी बनाकर मंत्री पद दिया जा सकता है. इमरान कांग्रेस के टिकट पर दो बार सहारनपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े थे, हालांकि दोनों बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. साल 2007 में वह मुजफ्फराबाद सीट से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं.
रूप ज्योति कुर्मी
असम में चार बार से लगातार विधायक रहे रूप ज्योति कुर्मी ने पिछले साल कांग्रेस छोड़ मुख्ममंत्री हिमंत विस्वा सरमा की उपस्थिति में बीजेपी ज्वॉइन कर लिया था. जिस दिन रूप ज्योति ने अपना त्यागपत्र कांग्रेस को भेजा था उसी दिन कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर भी निकाल दिया था.
ललितेश पति त्रिपाठी
ललितेश पति त्रिपाठी का परिवार हमेशा से कांग्रेस का विश्वासपात्र रहा है. इनके बाबा कमलापति त्रिपाठी यूपी के मुख्यमंत्री और इंदिरा गांधी सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं. इनके पिता राजेश त्रिपाठी भी यूपी में मंत्री रह चुके हैं. लेकिन पिछले महीने ललितेश ने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी ज्वाइन कर ली. माना जा रहा है कि अगर यूपी में सपा सरकार बनती है तो इन्हें मंत्री पद दिया जा सकता है क्योंकि टीएमसी यूपी में सपा को समर्थन कर रही है.
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