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Friday, 29 March, 2024
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हिंसा के शिकार बीरभूम पहुंचे BJP के 55 विधायक, ‘सामूहिक हत्या’ को लेकर न्याय की मांग

जहां ममता ने भाजपा शासित राज्यों पर उंगली उठाई है, वहीं दूसरी पार्टियों ने भी कथित हत्याओं और आगजनी के लिए तृणमूल सरकार पर हमला बोला है. सीपीआई(एम) ने इसे जनसंहार की संज्ञा दी, तो कांग्रेस ने राष्ट्रपति कोविंद को पत्र लिखा.

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रामपुरहाट/कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बगतुई गांव में हुई हिंसा में 7 लोगों की हत्या के दो दिन बाद बुधवार को 55 बीजेपी विधायक- पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की अगुवाई में पार्टी सांसद अर्जुन सिंह के साथ गांव पहुंचे, जो सूबे के बीरभूम जिले में स्थित है. बीजेपी नेताओं ने, जो शाम करीब 5 बजे बगतुई पहुंचे, हाथों में तख़्तियां पकड़ी हुईं थीं जिनपर लिखा था ‘हमें रामपुरहाट सामूहिक हत्याकांड में न्याय चाहिए’ और उन्होंने उन घरों के पास जो कथित रूप से हिंसा में जलाए गए थे, एक खुले मैदान में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए.

बगतुई गांव रामपुरहाट 1 तहसील में स्थित है.

पुलिस अभी तक कुछ नहीं बोल रही है कि सोमवार की घटना कैसे शुरू हुई लेकिन ग्रामवासियों ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि घटनाक्रम सोमवार शाम को शुरू हुआ, जब स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता और प्रतिष्ठित बाहुबलि भादु शेख पर, कथित रूप से देसी बमों और गोलियों से उस समय हमला किया गया, जब वो ईंटों से बने अपने घर को जाने वाली एक सड़क के किनारे बैठ चाय पी रहे थे.

बाराशल ग्राम पंचायत का उप-प्रधान शेख, उस कथित हमले में मारा गया. गांव वालों ने बताया था कि एक घंटे के भीतर, जैसे ही पुलिस की गश्ती वैन वहां से निकली, एक कथित नरसंहार शुरू हो गया और भीड़ ने चार घरों में आग लगा दी.

अधिकारी ने वहां एकत्र मीडिया को बताया, ‘हमें उम्मीद है कि कोर्ट इस घटना की सीबीआई और एनआईए जांच कराएगी. गांववासियों को यहां राज्य पुलिस नहीं चाहिए. जरा सोचिए, इस पूरे गांव ने ममता बनर्जी (2021 के विधानसभा चुनावों में बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस) को वोट दिए थे’.

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बीजेपी ने एक पांच-सदस्यीय तथ्य-खोजी टीम भी गठित की है, जो घटनास्थल का दौरा करने के बाद पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

बुधवार को कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिपलोबी भारत गैलरी का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए भी- जो भारतीय क्रांतिकारियों को समर्पित है- बगतुई हिंसा का ज़िक्र किया. पीएम ने हिंसा में अपने निकट और प्रियजनों को खोने वाले लोगों के लिए संवेदना का इज़हार किया और कहा, ‘दोषियों को पकड़ने के लिए जो भी सहायता चाहिए, मैं केंद्र की ओर से राज्य को उस सहायता का आश्वासन देता हूं’.

इस दौरान, विपक्ष के बढ़ते हमलों के बीच पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने, दूसरे राज्यों में हुईं हिंसा की पिछली घटनाओं का ज़िक्र किया, जब वो बुधवार को कोलकाता में छात्रों के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं.

बीजेपी पर हमला बोलते हुए बनर्जी ने कहा, ‘मैंने भी अपने सासदों को हाथरस, उन्नाव (दोनों यूपी में हैं जहां कथित रेप के मामलों ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं थीं) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ प्रदर्शन से भड़की हिंसा) के दौरान असम भेजा था, लेकिन हमें रोक दिया गया था. हम उनकी तरह नहीं हैं. वो हिंसा को भड़काते हैं और फिर कोर्ट चले जाते हैं या टेलीवीज़न के स्क्रीन्स पर बैठ जाते हैं’.

बृहस्पतिवार को सीएम के बगतुई का दौरा करने की संभावना है और उन्होंने घटना की जांच के लिए एक तीन-सदस्यीय टीम का भी गठन किया है.


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‘ये कोई हादसा नहीं, नरसंहार है’

इधर टीएमसी और बीजेपी के बीच शब्दों की राजनीतिक जंग तेज़ हो रही थी, उधर सीपीआई-एम नेता और पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के नव-नियुक्त महासचिव मोहम्मद सलीम, बुधवार को एक मोटर साइकिल की पिछली सीट पर बैठकर बगतुई पहुंच गए.

सोमवार की हिंसा के दौरान जलाए गए घरों में से, एक घर का दौरा करने के बाद सलीम ने आरोप लगाया, ‘ये कोई हादसा नहीं है, ये नरसंहार है. यहां पर इतनी अधिक पुलिस तैनात है कि गांव वाले भाग गए हैं. उप-प्रधान पुलिस के लिए पैसे की उगाही किया करता था, जो फिर कालीघाट (ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी का आवास) भेजा जाता था’.

जैसे ही सलीम घर के भीतर दाखिल हुए, उस क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मी तुरंत वहां आ गए और उनसे बाहर निकल आने के लिए कहा, चूंकि वो मौका-ए-वारदात था, जिसकी अभी फॉरेंसिक टीम द्वारा जांच की जानी थी. बाद में, सीपीआई-एम नेता बिमन बोस और रबिन देब ने भी गांव के अलग-अलग दौरे किए.

कांग्रेस के किसी नेता ने अभी तक बगतुई का दौरा नहीं किया है लेकिन सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रपति कोविंद को पत्र लिखा, जिसमें पश्चिम बंगाल में धारा 355 लगाने की मांग की गई- एक आपात प्रावधान जिसके जरिए बाहरी हमले या आंतरिक अशांति की स्थिति में केंद्र हस्तक्षेप करके राज्य की रक्षा कर सकता है. राष्ट्रपति भवन में पेश किए गए पत्र में चौधरी ने दावा किया ‘पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है और पिछले एक महीने में 26 राजनीतिक हत्याएं हो चुकी हैं’.

पिछले साल, विधानसभा चुनावों में टीएमसी की जीत के बाद राज्य में हिंसा की कथित घटनाओं को लेकर विपक्ष ने पश्चिम बंगाल सरकार की खूब आलोचना की थी. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक तथ्य-खोजी टीम की रिपोर्ट पेश होने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को कोर्ट की निगरानी में घटना की जांच का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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