इस हफ्ते की चीन परिक्रमा में हम शी जिनपिंग का लेखकों-कलाकारों से ‘नैतिकता’ बरतने को कहना, ग्जोबल टाइम्स के प्रधान संपादक हू शीजिन का हटना, ताइवान में रायशुमारी और चीन तथा दुनिया की दूसरी सूर्खियों पर गौर करेंगे.
इस हफ्ते चीन
चीन कलाकारों, एक्टरों और लेखकों पर अंकुश कस रहा है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते हैं कि वे ‘नैतिकता’ अपनाएं.
चीन को नई शक्ल देने की शी की योजना में इस हफ्ते नया मोड़ आया. उन्होंने लेखकों और कलाकारों से कहा कि वे नैतिकता अपनाएं और ‘सोशलिस्ट ताकत’ का निर्माण करें. शी बीजिंग में फेडरेशन ऑफ चाइनीज लिटरेचर ऐंड आर्ट सर्किल्स के आयोजन को संबोधित कर रहे थे.
अपने संबोधन में शी जिनपिंग ने कहा, ‘साहित्य और कला लोकप्रिय होनी चाहिए, लेकिन अश्लील या फूहड़ तो बिलकुल नहीं. मैं चाहता हूं कि साहित्य और कला को बढ़ावा मिले, मगर उन्हें बुरी आदतों का पैरोकार तो कतई नहीं बनना चाहिए.’
चाइनास्कोप ने आपको सांस्कृतिक शख्सियतों पर चीन की दबिश की जानकारी दे चुका है जिसमें गायक कृश वू और पियानो वादक यी लुंडी पर कहर बरपा. ऐसी ही सुर्खियों में आए दूसरे सेलेब्रिटी हैं हू शीजिन.
सरकारी ग्लोबल टाइम्स (चीनी में हुयांकी शिबाओ) के विवादास्पद प्रधान संपादक हू शीजिन ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर ऐलान किया कि वे अपनी भूमिका से रिटायर हो जाएंगे.
उन्होंने लिखा, ‘लाओ हू नए वर्ष के बाद 62 साल के हो जाएंगे और वे रिटायर हो जाएंगे. मैंने रिटायर होने की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और मैं ग्लोबल टाइम्स का प्रधान संपादक के पद पर नहीं रहूंगा. मैं ग्लोबल टाइम्स में योगदान करता रहूंगा और पार्टी के समाचार जनमत के लिए बेहतर काम करता रहूंगा.’
लाओ हू सोशल मीडिया पर हू शीजिन पर प्रचलित नाम है, जिसका मतलब ‘बूढ़े हू’ है.
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में अंदरूनी जानकारी के प्रतिष्ठित स्रोत चाइना मीडिया प्रोजेक्ट ने सूत्रों के हवाले से खबर दी थी कि हू को हटा दिया गया है. हालांकि यह साफ नहीं है कि वजह क्या है.
हांगकांग के त्सींगताओ डेली ने खबर दी कि ग्लोबल टाइम्स ‘राजनैतिक रुझान मजबूत’ करने के लिए प्रेसिडेंट का पद स्थापित करेगा. हू शीजिन की विदाई का अंदाजा देने वली एक दूसरी अटकल फर्जी पेंग शुई मुहिम है, ताकि सब कुछ ठीक-ठाक दिखे. पेंग शुई चीन की टेनिस स्टार हैं, जिन्होंने एक पूर्व चीनी राजनीतिक झांग गओली के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और फिर गायब हो गईं. ग्लोबल टाइम्स पेंग शुई प्रकरण में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मुहिम चलाने में सबसे आगे था.
इस बीच, हिमालय में सर्दियां भले शांत लग रही हों, मगर भारत-चीन सीमा टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बत पर एटमी, बॉयोलाजिकल और केमिकल हमले की कृत्रिम तस्वीरें छापी हैं. लेख के शीर्षक में लिखा है, ‘तिब्बत सैन्य क्षेत्र में साझा ब्रिगेड के जंगी अभ्यास की एक वास्तविक झलक.’ पीएलए डेली में छपी तस्वीरों की बारीक जांच-परख से पता चलता है कि अभ्यास हाल का नहीं है.
फॉरेन पॉलिसी मैगजिन ने अमेरिका के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के हवाले से खबर दी कि पेंटागन भारत की सीमा के करीब चीन की सैन्य तैनाती को लेकर चिंतित है. इस रिपोर्ट को बाद में किंघाई प्रांत के गोलमद एयरपोर्ट पर चीन के एच-6 बॉम्बर की सैटेलाइट तस्वीरों के साथ अपडेट किया गया.
ताइवान के हालात भी तनावपूर्ण हो गए हैं, और उसकी घरेलू राजनीति अमेरिका-चीन टकराव पर केंद्रित हो गई हैं. ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) अमेरिका से संबंध बढ़ाना चाहती है, मगर मुख्य विपक्षी दल कुमिनटांग पार्टी (केएमटी) नहीं चाहती.
ताइवान में चार मुद्दों पर रायशुमारी की गई-एटमी ताकत, पोर्क आयात, शैवाल-चट्टानों की संरक्षा और क्या अगली रायशुमारी राष्ट्रीय चुनावों पर की जाए. रायशुमारी में वोटरों ने चारों मुद्दों पर डीपीपी के रुख का समर्थन किया. हालांकि सिर्फ 41 प्रतिशत वोटर मतदान केंद्र पर पहुंचे.
पोर्क आयात का मुद्दा संवेदनशील है, जिससे ताइवान की राजनीति में ध्रुवीकरण हो गया है. मंजूरशुदा प्रस्ताव अमेरिका से व्यापार समझौते के तहत पोर्क आयात की इजाजत देगा, जिसमें रैक्टोपमाइन नामक तत्व मिश्रित होगा. केउमटी ने व्यापार समझौते का विरोध किया.
रणनीतिक हलकों में दमसरी चर्चा चीन के रूस से रिश्तों की है. इससे विशेषज्ञों की हैरानी बढ़ गई है क्योंकि दोनों देश अमेरिका और उसके सहयोगियों की अगुआई वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देना चाहते हैं.
राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और शी ने बुधवार को वर्चुअल शिखर बैठक की और रिश्ते मजबूत करने का संकल्प लिया. बैठक के दौरान शी ने कहा, ‘दुनिया बड़े बदलावों से गुजरी है, मगर चीन-रूस रिश्ते में नई जोशोखरोश और ऊर्जा दिखी है.
पुतिन ने खुलासा किया कि वे बीजिंग विंटर ओलंपिक में खुद मौजूद रहेंगे और शायद दो साल में शी से मिलने वाले पहले नेता होंगे. शी चीन की मुख्य भूमि से जनवरी 2020 में म्यांमार के दौरे के बाद बाहर नहीं गए हैं.
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विश्व खबरों में चीन
चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम में भारी प्रगति से नई दिल्ली में खतरे की घंटियां बज उठी हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को ‘अपने दुश्मनों के खिलाफ न्यूनतम भरोसेमंद प्रतिरक्षा’ कायम रखने के लिए फौरन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करनी चाहिए. हालांकि, सिंह ने अपने भाषण में चीन का जिक्र तो नहीं किया, मगर इस टिप्पणी के वक्त से लगता है कि प्रस्तावित हाइपर सोनिक मिसाइल कार्यक्रम हालिया घटनाओं के जवाब में है.
अमेरिका और उसके कुछ सहयोगी देश हुयावी की टेक्नोलॉजी को कमतर स्तर की और साइबर सुरक्षा के मानकों पर कमजोर मानते हैं. लेकिन हुयावी इस दावे को चुनौती देता है और आरोप को पुष्ट करने वाले सबूत की मांग करता है. पिछले हफ्ते इस आरोप के पक्ष में कुछ नए सबूत उभरे हैं.
वाशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया कि हुयावी ने कई चीनी प्रांतों को खुफिया निगरानी कार्यक्रम मेें मदद की. पोस्ट में 3,000 आंतरिक पॉवरपाइंट स्लाइड के ब्यौरे साझा किए, जिससे साफ है कि हुयावी ने पार्टनर वेंडरों के साथ खुफिया निगरानी कार्यक्रम विकसित किए.
हुयावी की परेशानियां वाशिंगटन की स्टोरी के साथ ही खत्म नहीं हुईं.
बाद में ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से खबर दी कि ऑस्ट्रेलिया के दूरसंचार नेटवर्क में 2012 में ‘अत्याधुनिक घुसपैठ’ के लिए हुयावी ही जिम्मेदार था. रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने इस घुसपैठ के बारे में अमेरिका को खबर दी और कई राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी एजेंसियों से जानकारी दी गई.
एक के बाद एक ये खुलासे महज संयोग नहीं हैं. अमेरिका ने तमाम कूटनयिक प्रयासों से अपने सहयोगियों और उनके दोस्तों को हुयावी से रिश्ते तोडऩे को यकीन दिलाया.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने हाल ही में ऐलान किया कि उसने अमेरिका से 50 एफ-35 जेट विमान खरीदने का 23 अरब डालर का सौदा मुल्तवी कर दिया है. यूएई और अमेरिका के बीच तनाव की जड़ अबू धाबी का अपने नेटवर्क जरूरतों के लिए हुयावी पर निर्भरता है. जो बाइडन सरकार चाहती है कि अबू धाबी हुयावी के सभी उपकरण हटा दे. उसका मानना है कि हुयावी की मौजूदगी से एफ-35 जेट का संवेदनशील डेटा लीक हो सकता है. चाइनास्कोप आपको यूएई में चीन की प्रस्तावित सैन्य ठिकाने के बारे में जानकारी दे चुका है.
पिछले हफ्ते खबरों में उछली हुयावी चीन की इकलौती कंपनी नहीं है.
अमेरिका के ट्रेजरी और वाणिज्य विभाग ने मिलकर ‘चीनी सैन्य-औद्योगिक परिसर कंपनियों’ की फेहरिस्त और अमेरिकी निर्यात सूची में करीब 40 चीनी कंपनियों के नाम जोड़े.
डीजेआइ और कई दूसरी चीनी कंपनियां भी अमेरिका के ट्रेजरी विभाग की सूची में जोड़ी गई, ताकि शीनजियांग में उइगर अल्पसंख्यकों की बॉयोमैट्रिक निगरानी की जा सके. ट्रेजरी विभाग की ‘गैर-एसडीएन चीनी सैन्य-औद्योगिक परिसर कंपनी फेहरिस्त’ अपेक्षाकृत नई सूची है, जिसके तहत चीनी फौज या पुलिसिया एजेंसियों से जुड़ी कंपनियों को निशाना बनाया जाता है.
इस हफ्ते क्या जरूर पढ़ें
शीजिनपिंग्स लीडरशिप स्टाइल: माइक्रोमैनेजमेंट दैट लीव्स अंडरलिंग्स स्क्रैम्बलिंग- जोश चिन
चीन का सॉकर ड्रीम हैज टर्नड इनटु ए डेब्ट-एडलेड नाइटमेयर- फेंग जेन
इस हफ्ते के विशेषज्ञ
ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के रूसी अध्ययन केंद्र के निदेशक फेंग शाओली ने लिखा, ‘चीन और अमेरिका के अलावा यूरोप, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, एसियान देश और बड़े पैमाने पर विकासशील देश हैं, हालांकि फिलहाल ‘गिरोहों’ का जुटान खतरनाक रहा है, मगर बड़ी संख्या में देश चीन-अमेरिका संघर्ष में किसी तरफ झुकने को तैयार नहीं हैं. अगर हम कंट्रोल करें और उसका बेहतर ठसतेमाल करें तो काफी बड़ी मध्यस्थ ताकत ताइवान के शांतिपूर्ण एकीकरण में महत्वपूर्ण मददगार साबित होंगे.’
आगे नजर रहेगी
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति की बैठक सोमवार को कई विधेयकों की समीक्षा के लिए बीजिंग में होगी, जिसमें महिला अधिकार और हित रक्षा विधेयक शामिल हैं.
बीजिंग के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अमल में आने के बाद इस हफ्ते हांगकांग के लोग लेजिस्लेटिव काउंसिल में सीमित संख्या में सीटों के लिए पहले ‘सिर्फ देशप्रेमी’ चुनाव में वोट डालेंगे.
लेखक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं, फिलहाल वे लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) से चीन पर फोकस के साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे बीबीसी वल्र्ड सेवा में चाइना मीडिया पत्रकार रह चुके हैं. उनका ट्विट : @aadilbrar विचार निजी हैं.
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