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Thursday, 18 April, 2024
होममत-विमतशी के चीन में आर्थिक रिपोर्टिंग पर गिरी गाज, कैक्सिन ने खोया स्टेटस, निवेशकों की पसंद बनी अलीबाबा

शी के चीन में आर्थिक रिपोर्टिंग पर गिरी गाज, कैक्सिन ने खोया स्टेटस, निवेशकों की पसंद बनी अलीबाबा

चीन की सरकार ने वीचैट, वाइबो, दौयिन, कुएशाऔ सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को निर्देश दिया है कि वे ‘वित्तीय खबरों को अवैध रूप से जारी करने’ पर रोक लगाएं.

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चीन में स्वतंत्र प्रेस की नकेल कसने की ताजा कार्रवाई करते हुए सरकार ने ‘कैक्सिन’ समाचार समूह को मान्यता प्राप्त समाचार स्रोतों की सूची से हटा दिया है.

चीनी अर्थव्यवस्था को नया रूप देने के शी जिनपिंग के प्रयासों और एवरग्रांदे के कर्ज संकट के बाद से जबर्दस्त बहस छिड़ी हुई है. राजनीतिक और सामाजिक मसलों के विपरीत, अर्थव्यवस्था पर रिपोर्टिंग को हाल के वर्षों में सेंसरशिप की न्यूनतम मार झेलनी पड़ी थी मगर अब यह सब बदल रहा है.

चीन के साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन अफेयर्स (सीएसी) ने मान्यता प्राप्त समाचार स्रोतों की नयी सूची 20 अक्टूबर को जारी की. इसे सीएसी के वीचैट और वाइबो अकाउंट पर पोस्ट किया. विश्वस्त समाचार स्रोतों की सूची को 2016 के बाद पहली बार संशोधित किया गया है और इसमें 1300 नये प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया अकाउंट्स को शामिल किया गया है.

स्वीकृत सूची में से जिन प्रकाशनों को हटाया गया है वे हैं— ‘इकोनॉमैक ऑब्जर्वर’, ‘कायजिंग मैगजीन’, और ‘21स्ट सेंचुरी बिजनेस हेराल्ड’. सूची से हटाए गए सभी प्रकाशनों में आर्थिक मसलों पर खबरें देने वालों का अनुपात बड़ा है. ‘इकोनॉमिक ऑब्जर्वर’ अप्रैल 2001 में शुरू किया गया था और इसे ‘फाइनैंशियल टाइम्स’ की तर्ज पर निकाला गया था. ‘कैक्सिन’ की तरह इस प्रकाशन की अंग्रेजी भाषा में एक वेबसाइट भी है.

स्वीकृत सूची से हटाए जाने का मतलब है ‘कैक्सिन’ की खबरें अब चीन की तमाम समाचार और सोशल मीडिया पर नहीं दी जा सकेंगी.

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‘कैक्सिन’ पर कहर

हालांकि, समाचार मीडिया का स्वामित्व कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण में है लेकिन ‘कैक्सिन’ जैसे कुछ स्वतंत्र उपक्रम भी हैं. ऐसे समाचार केंद्र पार्टी के एजेंडा के हिसाब से अपनी खबरों को खुद ही सेंसर करते हैं.

हाल तक, ‘कैक्सिन’ जैसे प्रकाशन चीन के प्रचार तंत्र की नज़रों में आए बिना आर्थिक मसलों पर खबरें दे सकते थे लेकिन ‘कैक्सिन’ पर कहर आर्थिक खबरों की रिपोर्टिंग और डेटा पर नियंत्रण के एक सिलसिले को उजागर करता है. चीन सोशल मीडिया पर अर्थव्यवस्था को लेकर निजी टीका-टिप्पणी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है.

‘कैक्सिन’ के खिलाफ अभियान कोई नया नहीं है. 2016 में इस मीडिया केंद्र ने अपने लेखों को सीएसी के द्वारा खारिज किए जाने की खबर दी थी और सरकार के कदमों का खुलासा करने की कोशिश की थी. उसने एवरग्रांदे कर्ज संकट पर भी जम कर लिखा, जो बताता है कि उस पर कहर क्यों टूटा है.

9 अक्टूबर को इसने जो खबर दी थी उसका शीर्षक था— ‘एवरग्रांदे की छूत कई डेवलपरों द्वारा कर्ज भुगतान में डिफ़ाल्ट की लहर पैदा करेगी’. 15 सितंबर को जारी एक लेख का शीर्षक था— ‘एवरग्रांदे रियल एस्टेट की बिक्री में गिरावट जारी है, और कीमतें हाल के वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं’.

चीनी और अंग्रेजी भाषाओं में ‘कैक्सिन’ की अधिकांश सामग्री ग्राहक बनने पर ही पढ़ी जा सकती है. इसकी खबरें दूसरे चीनी प्लेटफॉर्मों पर व्यापक रूप से पुनः प्रसारित की जाती थीं. इस पर गाज गिराने का मकसद यह जताना है कि सूचनाओं को कौन प्रसारित कर सकता है और किस माध्यम से कर सकता है.

हांगकांग यूनिवर्सिटी के जर्नलिज़्म और मीडिया स्टडीज़ सेंटर के सहायक प्रोफेसर रॉस सेटल्स कहते हैं, ‘यह मुझे ये नहीं कहता कि उनकी वैसी खबरें मत लिखो. यह सिर्फ इतना कहता है कि वह नहीं चाहता कि ऐसी खबरों का व्यापक प्रसार हो.’

‘कैक्सिन’ को सूची से हटाए जाने से पहले इसके संस्थापक हू शुलि ने एक चित्र जारी किया था जिसमें सुअर का सिर पकाने की विधि बताई गई थी. कुछ लोगों का मानना है कि यह शी जिनपिंग को एक संदेश देने की कोशिश है. बाद में इस पोस्ट और चित्र को हटा दिया गया.

नये नियम, निवेशकों को अलविदा

इसी तरह, सीएसी ने हाल में वीचैट, वायबो, दौयीन और कुएशाऊ जैसे मीडिया प्लेटफॉर्मों को निर्देश दिया कि ‘सेल्फ मीडिया’ द्वारा ‘वित्तीय खबरों को अवैध रूप से जारी करने’ पर रोक लगाए. चीन को वित्तीय आंकड़े की साझेदारी और वित्त बाज़ारों के बारे में अटकलों पर काबू करने में मुश्किल पेश आ रही है.

नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म्स कमीशन ने 8 अक्टूबर को जारी एक मसौदे में दोबारा स्पष्ट किया कि निजी व्यवसाय समाचार मीडिया के कारोबार में निवेश नहीं कर सकते. कुछ टीकाकारों ने कहा कि इन प्रतिबंधों में नया कुछ नहीं है, लेकिन दूसरे कई इससे असहमत हैं.

चीनी व्यापार एवं अर्थव्यवस्था के जानकार लॉ प्रोफेसर हेनरी गाओ कहते हैं, ‘2020 में जिन पर प्रतिबंध लगा था उनमें से कई पर 2021 में भी रोक जारी है लेकिन 2021 की सूची में कई अहम चीजें जुड़ी हैं जिनमें गैर-सार्वजनिक पूंजी को खबरों की रिपोर्टिंग, संपादन, पब्लिक अकाउंट, विदेशी खबरों के आयात, समाचार जगत के शिखर सम्मेलन, पुरस्कार आदि के लिए प्रतिबंधित करना शामिल है.’

इस घोषणा का अर्थ है कि आगामी महीनों में चीन निजी निवेशकों को मीडिया से जुड़े कारोबार में विनिवेश करने को मजबूर कर सकता है. मार्च में चीन सरकार ने जैक मा के अलीबाबा समूह से कहा था कि वह अपने मीडिया एसेट्स बेच दे. जैक मा के समूह ने इस पर अमल शुरू कर दिया है.

23 सितंबर को सरकारी मीडिया ने खबर दी कि जैक मा का एंट ग्रुप ‘कैक्सिन’ में निवेश करने वालों की सूची से गायब हो गया है. बाद में उसने बताया कि एंट ग्रुप ने ‘कैक्सिन’ में अपनी हिस्सेदारी बेच दी है.

‘टेनसेंट’ ने भी ‘कैक्सिन’ में निवेश किया था लेकिन अब कंपनी में निवेश करने वालों की सूची में उसका नाम नहीं है.

अलीबाबा के पास अभी भी स्वतंत्र समाचार स्रोत ‘कुझाउ न्यूज़’ के शेयर हैं. अलीबाबा और एंट ग्रुप अपने पास दूसरे कुछ प्लेटफॉर्मों के जो शेयर हैं उन्हें बेचने की योजना बना रहे हैं लेकिन ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ का स्वामित्व अभी भी ग्रुप के पास है.

चीन की रणनीति ‘कैक्सिन’ जैसे प्रकाशनों को निजी निवेश से वंचित करने और अहम मसलों पर खबरें देने की उनकी क्षमता को कमजोर करना हो सकती है. चीनी मीडिया एक्सपर्ट डेविड बान्दुर्स्कि कहते हैं, ‘बात जब समाचार के स्रोतों और सामयिक मामलों पर बहस की हो, तब लक्ष्य डिजिटल मीडिया के फैलते विस्तार को राजनीतिक अनुशासन में रखना है.’
फिलहाल ‘कैक्सिन’ सुरक्षित है क्योंकि कंपनी अपने कारोबार के अहम हिस्से के लिए ग्राहकी से होने वाली आय पर निर्भर है.

निबंध लिखा शी ने

चीन के अंदर, देश की अर्थव्यवस्था की दिशा को लेकर गंभीर सवाल उभर रहे हैं. शी के समृद्धि अभियान और आसन्न संपत्ति कर को लेकर बहुत लोग परेशान हैं. यहां तक कि शी को खुद एक लेख लिखकर समृद्धि अभियान की व्याख्या करनी पड़ी है. यह काम चीनी मीडिया और दूसरे वफादार समाचार स्रोतों को करना चाहिए था.

‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने खबर दी है कि शी के प्रस्तावित संपत्ति कर का उच्च स्तर पर विरोध हो रहा है. बीजिंग और शंघाई सरीखे शहरों के उच्चवर्गीय निवासी इस कर के विरोध में हैं. ‘एससीएमपी’ ने खबर दी है कि इस कर को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया जाएगा.

वितरण पर रोक ‘कैक्सिन’ को ऐसी बातें प्रकाशित करने से नहीं रोक पाएगी लेकिन सूची से बाहर करना यह संदेश देता है कि वह आर्थिक विषयों पर रिपोर्ट देना बंद करे. अगले साल नेशनल पार्टी कांग्रेस का आयोजन होने वाला है इसलिए चीन चाहेगा कि जनमत पर उसका कड़ा नियंत्रण रहे.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन डेस्क पर मीडिया पत्रकार थे. विचार  व्यक्तिगत हैं.)


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