scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होममत-विमतबजट की सुर्खियों पर भी भारी पड़ी गौतम अडाणी से जुड़ी खबरें, अभी तो कहानी शुरू हुई है

बजट की सुर्खियों पर भी भारी पड़ी गौतम अडाणी से जुड़ी खबरें, अभी तो कहानी शुरू हुई है

जिस तरह ज्वार की स्थिति सभी नावों को पानी में ऊपर उठा देती है,उसी तरह सुनामी उन्हें डुबो भी देती है. ऐसे में जो खुद को बचाने की कोशिश कर सकते हैं, वो करते हैं.

Text Size:

देश में जिस हफ्ते आम बजट पेश हो रहा हो, सुर्खियों में छाए रहने के लिए किसी नाटकीय घटना या किसी पूरे घटनाक्रम की ज़रूरत होती है और अडाणी से जुड़े कथित गड़बड़झाले ने वही किया है. हालांकि, बजट और कुछ हद तक आर्थिक सर्वेक्षण ने भी सुर्खियां बटोरने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन इनके लिए ज्यादा समय तक शीर्ष पर टिके रहना संभव नहीं हो पाया.

ताल्कालिक विश्लेषण जैसे-तैसे पूरा हुआ और देशभर के मीडिया हाउस फिर दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी की रैंकिंग में तेज़ी से जारी गिरावट की सनसनीखेज खबर पर लौट आए.

यही कारण है कि अडाणी और उनकी अडाणी इंटरप्राइजेज का निशाने पर रहना ही इस बार दिप्रिंट का न्यूज़मेकर ऑफ द वीक है.

413 पन्नों वाला सनसनीखेज़ ड्रामा

हफ्ते की शुरुआत एकदम धमाकेदार रही. 29 जनवरी को अडाणी समूह ने अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से लगाए गए कई आरोपों पर 413 पन्नों का जवाब जारी किया. अडाणी की ये प्रतिक्रिया किसी के दनादन गोलियां चलाते हुए बाहर निकलने जैसी थी. अपने जवाब में, ग्रुप ने दावा किया कि उसने हिंडनबर्ग की तरफ से 24 जनवरी को जारी मूल रिपोर्ट में उठाए गए सभी 88 सवालों का जवाब दिया है.

शायद अडाणी ग्रुप को लगा होगा कि उसे सोशल मीडिया पर सक्रिय दक्षिणपंथी समूह के उसके पाले में आने से फायदा मिल सकता है. कंपनी ने दावा किया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘भारत पर एक सुनियोजित हमला’ है और भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता भी निशाने पर है.

लेकिन, जवाबी हमला यही तक नहीं रुका. अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के खिलाफ हमलावर रुख अपनाया और कहा, ‘‘रिपोर्ट किसी तरह की अच्छी भावना के साथ प्रकाशित नहीं की गई, बल्कि इसके पीछे निहित स्वार्थी उद्देश्य जुड़े हैं और यह प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा कानूनों से जुड़े कानूनों का खुला उल्लंघन करती है.’’


यह भी पढ़ेंः अमृत काल के बजट में सब एकदम साफ दिख रहा है, जरा सी भी सूट-बूट की सरकार नहीं दिखना चाहती


हिंडनबर्ग ने अडाणी को दिया करारा जवाब

हिंडनबर्ग ने भी तुरंत करारी प्रतिक्रिया दी और 30 जनवरी की सुबह अडाणी ग्रुप के समक्ष जवाब जारी किया. हिंडनबर्ग ने सबसे पहले तो उस दावे को लेकर ग्रुप को घेरा जिसमें रिपोर्ट को सीधे तौर पर भारत पर हमला बताया गया था. हिंडनबर्ग ने कहा, ‘‘स्पष्ट तौर पर हम यही मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और यह शानदार भविष्य की ओर बढ़ती एक उभरती महाशक्ति भी है.’’ साथ ही जोड़ा कि उनकी राय में ‘‘उल्टे अडाणी ग्रुप ही देश का भविष्य बर्बाद कर रहा है, जो खुद को भारतीय राष्ट्रध्वज के तले रखकर व्यवस्थित ढंग से देश को लूटने में लगा है.’’

हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में यह भी कहा कि फ्रॉड तो फ्रॉड ही है, भले ही यह दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से किसी ने किया हो. ज़ाहिर है कि हिंडनबर्ग ने स्पष्ट कर दिया था कि वह जवाबी हमले को हल्के में नहीं लेने वाली है.

शॉर्ट सेलर ने आगे कहा, ‘‘तथ्यों की बात की जाए तो अडाणी की ‘413 पन्नों’ की इस प्रतिक्रिया में करीब 30 पेज ही हमारी रिपोर्ट से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित थे.’’निश्चित तौर पर, उसमें कुछ भी मतलब की बात नहीं है. अडाणी की इस लंबी प्रतिक्रिया में पिछले अदालती मामलों और निर्णयों से जुड़ी जानकारी है जो कि पेज नंबर 55 से ही शुरू हो गई है.

हिंडनबर्ग ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बशर्ते, अडाणी ग्रुप ने सभी सवालों के जवाब देने का दावा किया है लेकिन इसने गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी, उनकी कथित फ्रंट कंपनियों और ग्रुप की फर्मों के साथ उनके कथित लेन-देन के महत्वपूर्ण मुद्दे को दरकिनार कर दिया है.

इस प्रतिक्रिया ने हिंडनबर्ग का कठोर रुख सामने ला दिया, इसमें कहा गया है, ‘‘दूसरे शब्दों में कहें, हमसे यह मान लेने की उम्मीद की जा रही है कि गौतम अडाणी को इसका पता ही नहीं है कि उनके भाई विनोद ने अडाणी की कंपनियों को भारी-भरकम रकम उधार क्यों दी और वे यह भी नहीं जानते कि रकम कहां से आई है.’’

हिंडनबर्ग ने अपने तीखे जवाब में आगे पूछा, अगर इनमें से कुछ भी सच होता तो गौतम अपने भाई को फोन करके इस रहस्य से आसानी से पर्दा उठा सकते थे.इसने कहा, ‘‘हो सके तो परिवार के अगले डिनर के मौके पर उनसे (विनोद अडाणी) पूछ लें, कि वह अपारदर्शी ऑफशोर शेल कंपनियों के एक नेटवर्क के जरिये अडाणी के नियंत्रण वाली कंपनियों में अरबों डॉलर क्यों झोंक रहे हैं.’’


यह भी पढ़ेंः बजट 2023 रक्षा खर्च पर बहस तेज कर रहा है लेकिन भारतीय पुलिस ने भीख मांगना छोड़ दिया है


उथल-पुथल की शुरुआत

सोमवार की सुबह थी, और हफ्ता अभी बस शुरू ही हुआ था.

सोमवार और मंगलवार के दौरान अडाणी ग्रुप शेयर बाज़ार में मंदड़ियों के खिलाफ पलटवार करने में कामयाब रहा, अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर दोनों दिनों में मामूली बढ़त के साथ बंद हुए. इस रिकवरी से गौतम अडाणी को काफी राहत मिली होगी, क्योंकि पिछले हफ्ते अडाणी के शेयरों से लगभग 4.17 लाख करोड़ रुपये का सफाया हो गया था.

हालांकि, यह राहत अल्पकालिक थी. संयोग से बुधवार यानी बजट के दिन खबर आई कि स्विस निवेश बैंकिंग फर्म क्रेडिट सुइस ग्रुप एजी ने अपने निजी बैंकिंग ग्राहकों को दिए गए मार्जिन लोन के लिए बतौर कोलैटरल अडाणी ग्रुप के बॉन्ड स्वीकार करने बंद कर दिए हैं. हालांकि, यह कहना पूरी तरह सही नहीं था, लेकिन मूलत: इसका मतलब यह था कि क्रेडिट सुइस को अब अडाणी कंपनियों की तरफ से जारी बॉन्ड की साख पर भरोसा नहीं रहा है.

इस कदम ने इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुगबुगाहट और बढ़ा दी. मीडिया घरानों ने दावा किया कि ऐसे संकेत थे कि अडाणी ग्रुप ने कथित तौर पर अपने खुद के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) में निवेश के लिए विभिन्न संधिग्ध चैनल इस्तेमाल किए थे, जो इसे और कमज़ोर करने वाला और छवि खराब करने वाला था.

इसके बाद अडाणी के शेयरों के बाज़ार मूल्य तेज़ी से नीचे आने लगे. अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर ने दिन के कारोबारी सत्र को 28.45 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की, फिर बुधवार की देर रात एक बड़ी और आश्चर्यजनक खबर आई, अडाणी एंटरप्राइजेज ने घोषणा की कि ‘निवेशकों के हितों की रक्षा’ का ध्यान में रखते हुए अपने 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को रद्द कर रही है, जो कि भारत में सबसे बड़ा एफपीओ था.

ये घोषणा अभूतपूर्व और शर्मनाक थी और शायद यह कोई संयोग नहीं था कि अडाणी ने इसे रात में जारी किया, शेयर बाज़ार बंद होने के काफी समय बाद. यही नहीं इसे जारी करने का समय ऐसा था जबकि अधिकांश समाचार एजेंसियां दिनभर का काम निपटाकर रातभर के लिए आराम करने वाली थीं.

बहरहाल, आराम से सांस लीजिए और थोड़ा पानी पीजिए, यह सारा घटनाक्रम सिर्फ बुधवार तक का था.

जिस तरह ज्वार की स्थिति सभी नावों को पानी में ऊपर उठा देती है उसी तरह सुनामी उन्हें डुबो भी देती है. ऐसे में जो खुद को बचाने की कोशिश कर सकते हैं, वो करते हैं. गुरुवार को ऐसी ही एक खबर सामने आई कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भाई जो जॉनसन ने अडाणी ग्रुप से जुड़ी यूके की एक कंपनी एलारा कैपिटल के बोर्ड में निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया है. हिंडनबर्ग की मूल रिपोर्ट में एलारा कैपिटल के बारे में काफी कुछ बताया गया था.

उसी दिन, सिटीग्रुप की वित्तीय शाखा ने भी दो टूक कह दिया कि 7 फरवरी से वह मार्जिन लोन के लिए कोलैटरल के तौर पर अडाणी कंपनियों की प्रतिभूतियों को स्वीकार करना बंद कर देगी.

बहरहाल, यह सारी अफरा-तफरी यहीं नहीं थमी. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स और अंबुजा सीमेंट्स (अडाणी की ही एक कंपनी) के शेयरों पर कड़ी नज़र बनाए हुए है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एसएंडपी डाउ जोन्स इंडेक्स ने कहा कि ‘‘स्टॉक में हेरफेर और लेखा संबंधी धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर मीडिया की सुर्खियों और हितधारकों के विश्लेषण के बाद’’ वह भी अडाणी एंटरप्राइजेज को अपने स्थिरता सूचकांक से हटा देगा.

हम्म…तो यह सबकुछ गुरुवार तक चला. शुक्रवार की शुरुआत और यह सब लिखे जाने के समय तक, मूल हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में गिरावट जारी थी और इसमें पहले ही 120 बिलियन डॉलर यानी अडाणी ग्रुप के कुल मूल्य का लगभग आधा गंवाया जा चुका है. अडाणी एंटरप्राइजेज का स्टॉक दिन के दौरान कुछ समय के लिए सुधरा, लेकिन शुक्रवार के कारोबार में 2.2 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ.

इसके साथ ही कारोबारी सप्ताह पूरा हुआ और गौतम अडाणी को शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि वीकेंड में शेयर बाज़ार बंद रहता है, लेकिन यह बचने का रास्ता नहीं है, बात उठी है तो दूर तलक जाएगी. भारतीय नियामकों का मैदान में उतरना तो अभी बाकी ही है.

(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः बाज़ार तो जीत गया, अब अडाणी तय करें कि वे हारेंगे या नहीं


 

share & View comments