नरेंद्र मोदी सरकार भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित करने का अधिकार पाने में सोमवार को सफल हो गई. माल्या पिछले तीन वर्षों से ब्रिटेन में रह रहे हैं.
भारत ने दुबई को पिछले सप्ताह व्यवसायी राजीव सक्सेना और लॉबिस्ट दीपक तलवार को भारत भेजने के लिए राज़ी कर लिया. सक्सेना 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में आरोपी हैं, जबकि तलवार पर विदेशी निवेश प्रक्रिया के तहत लाए गए 90 करोड़ रुपये के कथित दुरुपयोग का आरोप है. दोनों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिरासत में ले लिया है.
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पिछले साल दिसंबर में अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के कथित प्रमुख बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को भारत प्रत्यर्पित किया गया था.
निश्चय ही मोदी सरकार ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ के संदेश पर ज़ोर देने में कोई कसर नहीं रख रही है. उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने कार्यकाल के आरंभ में यह संदेश दिया था.
नि:संदेह, स्थिति दिचलस्प होती जा रही है. ईडी के विशेष अभियोजक देविंदर पाल सिंह ने अदालत को बताया है कि उनके पास मौजूद मॉरिशस के कुछ दस्तावेज़ों से मिशेल और राजीव सक्सेना के बीच संपर्कों पर रोशनी पड़ती है. उल्लेखनीय है कि ईडी को पता चला है कि मिशेल की स्वामित्व वाली कंपनी ने ‘अपराध से अर्जित धन’ जिस कंपनी में रखा था उसका ‘स्वामित्व/नियंत्रण’ सक्सेना के पास है.
इनके अतिरिक्त, कई महीनों से फरार मेहुल चौकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी के मामले भी हैं. चौकसी पर पंजाब नेशनल बैंक को 13,000 करोड़ रूपये का चूना लगाने का आरोप है. फरारी के दौरान उसने एंटीगा एंड बारबूडा की नागरिकता हासिल कर ली है.
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सरकार चौकसी और मोदी को भारत वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. एंटीगा एंड बारबूडा में भारत के उच्चायुक्त वी महालिंगम ने कहा है कि चौकसी के विदेशी पासपोर्ट हासिल कर लेने का ये मतलब नहीं है कि वह भारतीय नागरिक नहीं है.
इस बीच, महाराष्ट्र के अमीरों में लोकप्रिय इलाक़े अलीबाग में समुद्र किनारे स्थित नीरव मोदी के 33,000 वर्ग फीट विस्तार वाले आलीशान बंगले को सरकार के आदेश पर ढहाया जा रहा है. रायगढ़ ज़िले के कलेक्टर सूर्यवंशी को हाल ही पता चला था कि बंगले का निर्माण तटीय निर्माण मानकों का उल्लंघन कर किया गया था.
जहां तक विजय माल्या के प्रत्यर्पण का मामला है, इसकी हरी झंडी देने वाली फाइल पर ब्रितानी गृह मंत्री का हस्ताक्षर होना निश्चय ही महत्वपूर्ण है. अब भले ही माल्या लंदन में हाईकोर्ट में और आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करें, यह बात तो स्पष्ट है कि ब्रितानी सरकार ने – अदालती फैसला लंबित रहते – एक राजनीतिक निर्णय किया है कि वह माल्या के प्रत्यर्पण के मोदी सरकार के अनुरोध का विरोध नहीं करेगी.
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माल्या के प्रत्यर्पण का दूरगामी प्रभाव दिखना तया है. यदि प्रधानमंत्री चार बड़े भगोड़े आर्थिक अपराधियों – माल्या, मिशेल, मोदी और चौकसी – को भारत वापस लाने की अपनी कटिबद्धता में सफल रहते हैं, तो इसका आगामी चुनाव, जिसमें कम से कम फिलहाल विपक्ष जीतता नहीं दिखता, पर बड़ा असर पड़ सकता है.
ममता बनर्जी बनाम मोदी तकरार अभी आगामी चुनाव पर असर डालती नहीं दिख रही, भले ही बंगाल में इस धारणा को मज़बूती मिली हो कि दीदी को धमकाया जा रहा है. प्रियंका गांधी विदेश यात्रा से अभी-अभी लौटी हैं और अब जाकर उत्तर प्रदेश में प्रचार अभियान शुरू करेंगी. अखिलेश यादव और बहनजी मायावती तो इतने शांत बैठे हैं कि आप किसी चूहे को भी गरजता पा सकते हैं.
बेशक, परिस्थितियां रातोंरात बदल सकती हैं. क्रिश्चियन मिशेल ने वकीलों के ज़रिए ‘संडे गार्डियन’ को दिए इंटरव्यू में कहा है कि सीबीआई जानती है कि उसकी सोनिया गांधी या उनसे बेटे राहुल से कभी भी ना तो मुलाकात और ना ही बात हुई है. उसने सीबीआई पर उसके बारे में मीडिया को झूठी खबरें देने का भी आरोप लगाया है.
परंतु सीबीआई का नेतृत्व अब एक नए निदेशक, शांत स्वभाव के आरके शुक्ला, के हाथों में है. शुक्ला मध्य प्रदेश से लाए गए हैं जहां वे पुलिस प्रमुख थे और जहां भाजपा हाल के चुनावों में पराजय तक पूरे 15 वर्ष शासन में रही थी.
क्या आपको ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री सख़्ती बढ़ाते जा रहे हैं? निश्चय ही, विभिन्न भगोड़ों को न्याय की चौखट तक लाने में वह विदेशों में भारत के प्रभाव का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं.मोदी बेशक इस व्यक्तिगत प्रयास के लिए अपनी पीठ थपथपा सकते हैं. वह अब उम्मीद करेंगे कि शेष भारत भी ऐसा ही करे.
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