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Wednesday, 24 April, 2024
होममत-विमतविजय माल्या के साथ असल समस्या यह है कि वह कभी परिपक्व नहीं हो सके

विजय माल्या के साथ असल समस्या यह है कि वह कभी परिपक्व नहीं हो सके

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भारत में शराब और बियर कैश को बढ़ावा देते हैं, इसलिए माल्या के पास इसकी अलग ही विरासत थी. विजय माल्या ने कारोबार के साथ -साथ मनोरंजन का भी आंनद उठाया.

विजय माल्या को खबरों में बने रहना काफी पसंद रहा है और अभी तक वह काफी शानदार तरीके से यह काम कर रहे थे. तीन दशक से भी अधिक पहले अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने शराब बनाने वाली कंपनी शॉ वालेस के मालिकाना हक़ की बोली के साथ शुरुआत की. उन्होंने यह बोली दुबई में रहने वाले (अब स्वर्गीय) मनु छाबडिय़ा के साथ लगाई थी और माल्या को बेंगलूरु (उस वक्त बेंगलूर) हवाई अड्डे पर प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा विनिमय प्रावधानों के उल्लंघन के लिए पकड़ा था. बाद में उन्होंने कंपनियों की खरीद-बिक्री के कई सफल सौदे किए. उन्होंने अपने कारोबार में विविधता लाने के लिए खरीद के सौदे किए तो वहीं अपने मुख्य कारोबार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बिक्री भी की.

देश में शराब और बियर ने कैश को काफी बढ़ावा दिया और माल्या के पास इसकी अलग ही विरासत थी. परंतु उन्होंने अपनी सूझ-बूझ से अपने कारोबार में ढेर सारा मिश्रण भी किया और उन्होंने अपने आप को अपने उत्पादों की टैग लाइन ‘द किंग ऑफ गुड टाइम्स’ के सजीव उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया. जेट और यॉट, क्रिकेट और फॉर्मूला 1 टीम, विला और विंटेज कार, भूमध्यसागर के एक द्वीप और दक्षिण अफ्रीका में हॉर्स पार्क के अलावा टीपू सुल्तान की तलवार वापस लाने तक इतनी विविधता थी कि यह तय कर पाना मुश्किल था कि कहां कारोबार समाप्त होता है और मौज मस्ती शुरु होती है. परंतु इस चकाचौंध के पीछे भारत में शराब का कारोबार राजनीतिक रूप से उतना ही संवेदनशील रहा जितना कि चीनी और अचल संपत्ति.


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तीनों पर सरकार का नियंत्रण है. शराब पर लगने वाला उत्पाद शुल्क राज्य लगाते हैं इसलिए राज्यों के नेताओं की इसमें खास रुचि होती है. अलग-अलग राज्य में उत्पाद शुल्क अलग-अलग होने की वजह से शराब की तस्करी को बढ़ावा मिलता है. खासतौर पर उन राज्यों में जहां कभी न कभी शराबबंदी लागू की गई हो जैसे कि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार और गुजरात. इससे घूसखोरी स्वतः ही प्रचलन बन गया. ऐसे में ज़ाहिर है कि अगर कोई कारोबार पक्षपात के लिए आदर्श है तो वह है शराब कारोबार, खासतौर पर राज्यों के स्तर पर.

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इस बीच माल्या फलते-फूलते गए. इसमें कोई दो राय नहीं है कि वह चतुर हैं लेकिन शायद अपनी चतुराई में उनके भरोसे ने उन्हें तेज़ी से आगे बढऩे को प्रोत्साहित किया और उन्हें परास्त भी होना पड़ा. एक और बात ने उनको नुकसान पहुंचाया. वह थी अपने फायदे में चल रहे कारोबार की मदद से नुकसान में चल रही विमानन कंपनी का वित्त पोषण करना. जबकि एक समय के बाद इसका कोई तुक नहीं रह गया था. अत्यंत कम मुनाफ़ा वाला कारोबार होने के बाद भी वह इसे चलाते रहे. प्रतिद्वंद्वी विमानन कंपनियों के मालिक अकेले में हंसते रहे और किंगफिशर के पतन की प्रतीक्षा करते रहे.

माल्या कर्ज़ लेकर इसे टालते रहे जिससे ऋण बढ़ता गया. उन्होंने व्यक्तिगत गारंटी जारी की, एक के बाद एक फायदे में चलने वाली कंपनी बेचते गए ताकि नुकसान में चल रही विमानन कंपनी को चलाते रह सकें. साथ ही उन्होंने कुछ लोन को मुश्किल दौर में उपयोग किया. बिना बैंकरों की सांठगांठ के वह इतना सबकुछ नहीं करते रह सकते थे. हमारे ज़्यादातर बैंक जिस तरह चलते रहे हैं, शायद ही कोई यह मानेगा कि बैंकों में राजनेताओं का हस्तक्षेप नहीं होता है. ज़ाहिर है वे डूबेंगे तो कुछ को तो अपने साथ ले जाएंगे. हमारे देश में जिस तरह चीज़ें कार्य करती हैं, ऐसे में एक बार यह सिलसिला रुकने के बाद भी शायद राजनेताओं से ज़्यादा बैंकरों को नुक़सान पहुँचता हैं.

जेम्स क्रैबट्री ने अपनी हालिया किताब द बिलियनेयर राज में माल्या का एक दुखद चित्र प्रस्तुत किया है, वह लंदन के अपने सोने से आच्छादित विशाल आवास में अकेले पड़े हैं. यह निर्वासन का अकेलापन है. आज कौन सा राजनेता होगा जो उनका फोन उठाने का साहस करेगा? आज वह किस बैंकर को याद कर सकते हैं? इसके बावजूद वह खुद को मासूम साबित करने में लगे हैं. वह खुद को पीडि़त पक्ष बताते हैं जो असंभव को संभव करके बैंकों की राशि चुकता करेगा.


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उनके बहुत अधिक दुश्मन नहीं हैं (इसके बावजूद वह अच्छे समय के राजा थे). इसलिए उनके दुर्भाग्य से बहुत ज़्यादा लोग प्रसन्न भी नहीं होंगे. आखिर में दिक्कत शायद यही रही होगी कि माल्या कभी परिपक्व हुए ही नहीं. उन्होंने चीज़ों को हमेशा मनोरंजन और खेल समझा. कारोबार का खत्म होना फिल्मों की तरह होता है जहां खून का एक कतरा भी नहीं बहता और लोग मारे जाते हैं. अब शायद उनके लिए जागने का वक्त आ गया है.

बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ विशेष व्यवस्था द्वारा।

Read in English : The real problem with Vijay Mallya is that he never really grew up

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