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Wednesday, 24 April, 2024
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राफेल मामले में सीएजी की रिपोर्ट हुई पूरी, 2-3 दिन में संसद में हो सकती है पेश

राफेल फाइटर जेट की खरीद पर हुए इंटर गवरमेंटल समझौते की बहुप्रतिक्षित सीएजी रिपोर्ट तैयार है और उसको अगले ' दो या तीन दिन में' संसद में पेश किया जा सकता है.

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नई दिल्ली: भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच 2016 में 36 राफेल फाइटर जेट की खरीद पर हुए इंटर गवरमेंटल समझौते की बहुप्रतिक्षित सीएजी रिपोर्ट तैयार है और उसको अगले ‘ दो या तीन दिन में’ संसद में पेश किया जा सकता है.
सीएजी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सीएजी और संबंध पार्टियों तथा रक्षा मंत्रालय के बीच इस बात पर विचार हो गया है. जिसके बाद लेखा अधिकारी ने रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया है.

सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट केवल राफेल के बारे में नही हैं, इसमें रक्षा से जुड़े कुछ और सौदों की भी चर्चा की गई है. ऐसे संकेत हैं कि रिपोर्ट को मौजूदा बजट सत्र के अंतिम दिनों में यानी 12 या 13 फरवरी को संसद पटल पर रखा जायेगा.

एक सूत्र ने बताया की ‘ सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई है और ये रिपोर्ट संसद को अगले दो तीन दिनों में भेज दी जायेगी.’ ‘ एक बार ये संसद में पेश हो जायेगी तो इसे संसद के पटल में रखा जायेगी और फिर इसे जांच के पब्लिक अकाउंट्स कमिटी को सौंपा जायेगा.’

हालांकि, संसद का मौजूदा कार्यकाल अगले तीन महीने में खत्म हो जायेगा. पीएसी जिसके मौजूदा अध्यक्ष कांग्रेस के सांसद, मल्लिकार्जुन खड़गे है, के पास रिपोर्ट को पढ़ने के लिए शायद पर्याप्त समय न होगा. एक वरिष्ठ संसदीय कार्यकर्ता का कहना है कि ‘मौजूदा पीएसी के कई सदस्य शायद आगामी चुनाव में फिर लड़े, खासकर सत्ताधारी गठबंधन के सदस्य, वे शायद पीएसी की बैठकों में भाग लेने के लिए उतना तत्पर न हो. ‘

सीएजी रिपोर्ट का महत्व

सीएजी रिपोर्ट का तब से बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है जब से कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार पर करोड़ों रुपये के राफेल सौदे में कथित धांधली के आरोप लगाए हैं. अगर रिपोर्ट में प्रक्रिया संबंधी या कीमत संबंधी गड़बड़ बताई जाती है तो विपक्ष के नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मुहीम को आगामी लोक सभा चुनाव के पहले नई ऊर्जा मिलेगी. अगर रिपोर्ट सरकार को पाक-साफ बताती है तो कांग्रेस के हाथ से एक प्रमुख चुनावी मुद्दा निकल जायेगा.

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व्याकरण में गड़बड़ी

पिछले साल दिसंबर में सीएजी की रिपोर्ट ने उस समय सुर्खियां बटोरी जब नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट में ग्रामैटिकल एरर की बात स्वीकारी थी. इस सौदे की जांच की मांग की जा रही थी और दस्तावेज पेश किए दाने के दौरान दलील दी गई थी कि पीएसी द्वारा इसकी जांच की गई थी.

इस मामले की सुनवाई भार के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की संवैधानिक पीठ कर रही है ने बताया कि रिपोर्ट की जांच पीएसी द्वारा किया गया है और इसका महज एक हिस्सा संसद के सामने रखा गया है और अब वह सार्वजनिक क्षेत्र में है. सरकार ने इस मामले में पहले ही शीर्ष न्यायालय को एक आवेदन कर दिया है जिसमें तथ्यात्मक सुधार की बात कही गई है. बता दें कि आवेदन पर सुनवाई होनी अभी बाकी है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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