scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होममत-विमतमध्य प्रदेश में अर्जुन सिंह परिवार की कलह, तेजी से कांग्रेस-भाजपा युद्ध में बदल रही है

मध्य प्रदेश में अर्जुन सिंह परिवार की कलह, तेजी से कांग्रेस-भाजपा युद्ध में बदल रही है

Text Size:

स्व. अर्जुन सिंह की पत्नी ने अपने बेटे अजय सिंह, जो कि एक कांग्रेस नेता हैं, पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया है।

राजनीतिक राजवंशों में पारिवारिक विवाद अक्सर एक मजेदार बॉलीवुड की स्क्रिप्ट के लिए फिट होते हैं। लेकिन भोपाल में, कांग्रेस नेता स्व. अर्जुन सिंह के परिवार में चल रहा कुचक्र बिल्कुल असली है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, अर्जुन सिंह की 83 वर्षीय पत्नी ने अपने दो बेटों अजय और अभिमन्यु पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए भोपाल में एक स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

आरोपों ने तुरंत राजनीतिक छाया को न्यौता दिया क्योंकि उनके बेटे अजय सिंह मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।

दूसरी तरफ, अजय सिंह अपनी बहन वीणा पर ‘राजनीति करने’ और मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के आदेश पर कार्य करने का आरोप लगाते हैं।

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

अजय का दावा है कि उनकी माँ की याचिका की टाइमिंग राजनीतिक रूप से प्रेरित है क्योंकि वह 25 जून से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा में शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दर्ज करने की प्रक्रिया में हैं। राज्य विधानसभा चुनाव नवंबर 2018 में होने हैं।

निश्चित रूप से भाजपा की राज्य इकाई और मुख्यमंत्री चौहान दोनों परिवार के विवाद में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं।

चौहान ने स्थानीय संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अजय सिंह को कुछ सलाह भी दी थी जो इस तरह थी: “इस दुनिया में कोई भी संपत्ति माँ की तुलना में बड़ी नहीं है। माँ भगवान की तरह होती है। वह (सरोज सिंह) एक राष्ट्रीय नेता स्व. अर्जुन सिंह की पत्नी हैं और 83 साल की हैं। क्या वह किसी सरकार के आदेश पर ऐसा करेंगी? यह आरोप पूरी तरह से घटिया है”।

फिर उन्होंने संवाददाताओं को बताया: “अजय सिंह, कुछ ऐसा करके जिससे उनकी माँ उनके खिलाफ हो गयीं, सरकार को दोषी कैसे ठहरा सकते हैं? यह घटिया व्यवहार की इन्तेहाँ है”।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने भी अजय सिंह पर एक बेटे के रूप में अपने कर्तव्यों में विफल होने का आरोप लगाया।

अपनी याचिका में सरोज सिंह ने आरोप लगाते हुए अदालत से राहत मांगी है कि उन्हें भोपाल के बाहरी इलाके में “केरवा कोठी” में रहने की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पुत्र उन्हें घर में प्रवेश नहीं दे रहे थे।

माँ ने अपनी शिकायत में लिखा था, “मेरे बेटे अभिमन्यु सिंह और विपक्षी नेता अजय सिंह मेरे खिलाफ घरेलू हिंसा में शामिल थे और मुझे मेरे ही घर से निकालने के लिए जोर-जबरदस्ती की थी। उन्होंने मेरे भरण-पोषण की देखभाल करने से भी मना किया जिसने मुझे अदालत से संपर्क करने के लिए मजबूर किया।”

सरोज सिंह या ‘रानी साहिबा’ एक कमजोर और बीमार महिला नहीं हैं। वह मध्य प्रदेश में एक महान हस्ती हैं, जिन्हें अपने पति के राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का श्रेय दिया जाता है जैसा कि उनके पति न तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल,  केन्द्रीय मंत्री और एआईसीसी उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।

अदालत ने सरोज सिंह की याचिका को 19 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया है।

केरवा कोठी, जहाँ से एक बाँध का मनोहर प्राकृतिक दृश्य दिखाई देता है और इसे ‘देवश्री’ के नाम से भी जाना जाता है, के पास विवादों का अपना हिस्सा रहा है। 1989 में हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने करवा कोठी के बारे में एक प्रभावपूर्ण पर्यवेक्षण किया था: “… अर्जुन सिंह राष्ट्र को स्पष्टीकरण देने के उत्तरदायी हैं कि कितनी लागत पर उन्होंने करवा बाँध पर अपनी हवेली को प्राप्त किया है और इसका निर्माण किया है एवं उन्हें इसके लिए धन कहाँ से और कैसे मिला”।

करवा कोठी वर्तमान में अजय सिंह के कब्जे में है। रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है कि संपत्ति उनके नाम कर दी गयी थी जब फरवरी 2011 में अर्जुन सिंह बीमार हुए थे। अजय सिंह और उनकी बहन वीणा भी आतंरिक-पारिवारिक प्रतिद्वंदिता का इतिहास रखते हैं। दोनों वर्षों से बातचीत वाले नज़रिए में नहीं रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान, जब अर्जुन सिंह जीवित थे, उन्होंने पारिवारिक मैदान सिधी से एक विद्रोही के रूप में चुनाव लड़ा था जबकि अजय ने आधिकारिक कांग्रेस उम्मीदवार के लिए कड़ी मेहनत से प्रचार किया था। दोनों ही उम्मीदवार हार गए और कांग्रेस पार्टी ने अर्जुन सिंह को अपनी बेटी को चुनाव लड़ने से रोकने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया था। कई लोग मानते हैं कि यह उन कारणों में से एक था कि क्यों अर्जुन सिंह को 2009 में यूपीए के सत्ता में वापसी करने पर मनमोहन सिंह के अंतर्गत मंत्री नहीं बनाया गया था।

भाई बहन ने अपने पिता की “ए ग्रेन ऑफ़ सैंड इन द ओसियन ऑफ़ टाइम” नामक शीर्षक की आत्मकथा के अधिकारों पर भी कड़वाहट से लड़ा था। इसे मार्च 2011 में इनकी मौत के तुरंत बाद प्रकाशित किया गया था।

रशीद किदवई एक ओआरएफ सदस्य, लेखक और पत्रकार हैं। यहां व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं।

Read in English :Feud in Arjun Singh’s family in Madhya Pradesh is fast turning into a Congress-BJP battle

share & View comments