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Friday, 29 March, 2024
होमदेशLSTV और RSTV का क्यों संसद TV में विलय हुआ, कैसे काम करेगा नया चैनल

LSTV और RSTV का क्यों संसद TV में विलय हुआ, कैसे काम करेगा नया चैनल

1986 बैच के आईएएस अधिकारी रवि कपूर को एक साल के लिए संसद टीवी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया है.

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नई दिल्ली: राज्य सभा और लोकसभा की कार्यवाहियों को प्रसारित करने वाले राज्य सभा और लोकसभा चैनल का एकीकरण (मर्जर) कर दिया गया. इस नए चैनल का नाम ‘संसद टेलीविज़न’ रखा गया.

1 मार्च 2021 को नए चैनल द्वारा जारी किए गए एक आदेश के मुताबिक यह फैसला राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया. 1986 बैच के आईएएस अधिकारी रवि कपूर को एक साल के लिए इसका मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी कि सीईओ नियुक्त किया गया है.

कपूर ने इससे पहले वाणिज्य, टेक्सटाइल और पेट्रोलियम मंत्रालयों में काम किया है. पहले लोकसभा और राज्य सभा टीवी में काम करने वाले अधिकारियों ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि आर्थिक बोझ को कम करने और दोनों चैनलों के बीच ‘संसाधनों की बर्बादी रोकने’ के लिए ऐसा किया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि मर्जर की वजह से नौकरियों के जाने की संभावना काफी कम है.

कुछ सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अन्य कारणों के साथ-साथ संसद टीवी के अंतर्गत दो चैनल हो सकते हैं ताकि दोनों सदनों की कार्यवाही को बराबरी का महत्त्व दिया जा सके.

सोमवार को जारी किए गए एक आदेश में राज्य सभा सचिवालय ने चैनल के सीईओ मनोज कुमार पांडेय की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. वे वर्ष 2019 में मर्जर से संबंधित गाइडलाइन्स की रुपरेखा तैयार करने वाले पैनल के सदस्य थे.

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वहीं आईआरएस अधिकारी मनोज के अरोड़ा पिछले साल नवंबर से लोकसभा टीवी के अंतरिम एडिटर-इन-चीफ और मुख्य कार्यकारी के रूप में काम कर रहे हैं.


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क्यों लिया गया यह फैसला

लोकसभा टीवी को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा वर्ष 2006 में लॉन्च किया गया था जबकि राज्य सभा टीवी का प्रसारण वर्ष 2011 से शुरू हुआ था. इन चैनलों से दोनों सदनों की कार्यवाहियों के प्रसारण के अलावा चैनल पर चर्चा-परिचर्चा व अन्य कई तरह के प्रोग्राम भी प्रसारित किए जाते थे. दोनों चैनलों के सूत्रों के मुताबिक दोनों सदनों के सचिवों ने मर्जर के लिए वर्ष 2017 से ही प्रयास शुरू कर दिए थे.

इसके बाद 7 नवंबर 2019 को मर्जर की रुपरेखा तैयार करने व संसाधनों और टेक्नोलॉजी को मिलाने को लेकर गाइडलाइन्स बनाने के लिए एक कमेटी बनाई गई. इस पैनल के अध्यक्ष प्रसार भारती के पूर्व चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश थे जबकि राज्य सभा के अतिरिक्त सचिव एए राव, लोकसभा सचिव गणपित भट्ट, राज्य सभा टीवी की आर्थिक सलाहकार शिखा दरबारी, मनोज कुमार पांडेय और लोकसभा टीवी के पूर्व सीईओ डॉ आशीष जोशी पैनल के सदस्यों में शामिल थे. कमेटी ने अलग-अलग पार्टियों के सांसदों के साथ बातचीत की.

लोकसभा टीवी से जुड़े हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले साल सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में पैनल ने संसद के लिए एक ही एकीकृत चैनल होने की सिफारिश की थी.

अधिकारी ने बताया कि दो चैनलों की वजह से संसाधनों और ऊर्जा की बर्बादी हो रही थी जिसकी वजह से अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा था. इसी की वजह से मर्जर किया गया है.

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया, ‘राज्यसभा टीवी ने तालकटोरा स्टेडियम में जो जगह किराए पर ले रखी थी उसका किराया 30 करोड़ रुपये था, जो कि बाद में घटाकर 16 करोड़ रुपये कर दिया गया था. हालांकि, ये भी काफी ज्यादा था.’ नई संसद टीवी दिल्ली के महादेव रोड पर स्थित लोकसभा टीवी की जगह से ही काम करेगी.

पैनल के चेयरमैन सूर्य प्रकाश ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया जो कि संसद के प्रसारित किए जाने वाले कंटेंट के प्रति एकीकृत नज़रिया विकसित करेगा.

उन्होंने कहा, ‘आर्थिक संसाधनों को मिला देने से आर्थिक बोझ कम होगा. इसके जरिए संसद की कार्यवाही को एकीकृत तरीके से प्रसारित किया जाएगा. इस चैनल की किसी भी प्राइवेट चैनल से कोई प्रतियोगिता नहीं होगी.’

लोकसभा टीवी के पूर्व एडिटर-इन-चीफ और सीईओ जोशी ने भी ऐसी ही बात कही. उन्होंने भी कहा कि इस कदम से संसद के कंटेट को एकीकृत करके आर्थिक बोझ को कम किया जा सकेगा.


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क्या मिलेगा इस कदम से

चैनल में मौजूद सूत्रों ने कहा कि मर्जर पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ससंद टीवी के अंतर्गत दो अलग-अलग चैनल- संसद-1 और संसद-2 होना चाहिए. इससे दो उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकेगा. जब संसद की कार्यवाही चल रही हो तो दोनों सदनों की कार्यवाही को एक साथ प्रसारित किया जा सकता है और जब संसद का सत्र न चल रहा हो तो इसके जरिए हिंदी और इंग्लिश की दर्शकों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है.

इस रिपोर्ट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संसद 1 लोकसभा कार्यवाही और संसद 2 राज्य सभा की कार्यवाही के लिए रखा गया. जब संसद की कार्यवाही नहीं चल रही हो तब पहला चैनल हिंदी में और दूसरा चैनल अंग्रेज़ी में सामग्री उपलब्ध करा सकता है. पैनल ने ये सिफारिश की थी.

अधिकारी ने बताया, ‘संसद टीवी का हेड कोई एक व्यक्ति होगा. हालांकि, दोनों चैनलों के एडिटोरियल हेड अलग-अलग हो सकते हैं. पैनल की सिफारिशों के मुताबिक दोनों सदनों की कार्यवाही को साथ-साथ प्रसारित किया जा सकेगा.’

राज्य सभा टीवी में काफी सारे कार्यक्रम अंग्रेज़ी में थे. दोनों चैनलों के अलग-अलग संपादकीय प्रमुख होने की संभावना है.

कुछ सूत्रों के मुताबिक राज्य सभा टीवी के कार्यवाहियों के प्रसारण के लिए दूरदर्शन का भी उपयोग किया जा सकता है. हालांकि, उक्त अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में मानव संसाधन और फंड को सुव्यवस्थित करने की ज़रूरत है.

सूत्रों के मुताबिक संसद की कार्यवाही के प्रसारण के साथ-साथ संसद टीवी पर कई तरह के दैनिक और साप्ताहिक कार्यक्रमों व न्यूज़ और करेंट अफेयर्स- संविधान और उसके बारे में जागरूकता को लेकर भी प्रसारित किया जाएगा. जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होगा उस वक्त चैनल के द्वारा बहुत से कॉमन कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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