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Friday, 26 April, 2024
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कश्मीर प्रशासन कह रहा है यहां सब शांति है, लेकिन पांच पैलेट से पीड़ित मरीज भी हैं

श्रीनगर के सौरा में शुक्रवार को नमाज अदा करने निकले कुछ लोगों जब प्रशासन ने रोका तो वहां प्रदर्शन हुए. उसमें से दिप्रिंट पांच लोगों से मिलने में कामयाब रहा जिन्हें गंभीर चोंटे आई हैं.

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श्रीनगर: चौदह वर्षीय असरार वानी शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) की गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में जीवन के लिए जूझ रहा है. उनकी बाईं आंख, दोनों पैर, कॉलर बोन और पेट पर गंभीर चोटें आई हैं. वह लाइफ सपोर्ट पर हैं.

राज्य पुलिस से लेकर सरकारी अस्पताल प्राधिकरण तक का पूरा जम्मू-कश्मीर प्रशासकीय तंत्र यह बता रहा है कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले के बाद यहां काफी शांति है. कश्मीर में शांति है यहां कोई भी पीड़ित पीड़ित है और न ही विरोध प्रदर्शन ही हुए हैं.

जम्मू-कश्मीर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वयं प्रकाश पाणि ने कह रहे हैं कि घाटी में पुलिस गोलीबारी की कोई घटना नहीं हुई है, जबकि अस्पताल के अधिकारियों की सभी समान प्रतिक्रिया है. वे भी कह रहे हैं, ‘यहां पैलेट से पीड़ित कोई मरीज नहीं है.’

अस्पताल में पैलेट से पीड़ित मरीज़ भी नहीं हैं और न ही कोई रिकॉर्ड ही मौजूद है.

लेकिन 14 वर्षीय वानी उन पांच मामलों में से एक है, जिसे दिप्रिंट खोजने में कामयाब रहा है जिन्हें शुक्रवार को श्रीनगर शहर में एक बड़े विरोध प्रदर्शन के दौरान गंभीर रूप से गोली से घायल किया गया है.

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Asrar-Wani
असरार वानी/ अस्पताल में इलाज के दौरान/ फोटो- अनन्या भारद्वाज/ दिप्रिंट

शुक्रवार को सौरा में चले पैलेट गन

अन्य चार पीड़ितों की तरह वानी भी श्रीनगर के सौरा में शुक्रवार की प्रार्थना के लिए जा रहा था, जब उसे सेना के जवानों ने रोका. वानी की देखरेख कर रहे अटेंडेंट ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर बताया, सुरक्षा बलों ने नमाज अदा करने जा रहे लोगों को रोका. जिसके बाद सौरा में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसके बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया, सुरक्षा बलों ने इन्हें काबू करने के लिए कथित रूप से आंसू गैस के गोले और पेलेट गन का सहारा लिया.

अटेंडेंट ने कहा कि वह महज एक 14 साल का लड़का है, जिसे सुरक्षाबलों ने निर्दयता से पीटा और गोली मार दी गई.

‘उसकी गलती बस इतनी है कि उसने भारतीय राज्य के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की हिम्मत की और नमाज अदा करना चाहता था.’

अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि वानी को पैलेट लगी थी. ” कंट्रोल रूम ने आपको चाहें जो भी बताया हो, लेकिन इस लड़के के शरीर पर गोलियां लगी हैं,’ नर्स का कहना है कि वानी को भर्ती करना पड़ा क्योंकि उसकी हालत गंभीर थी.

नर्स ने यह भी कहा कि उसकी हालत नाजुक थी इसलिए शनिवार को उसका ऑपरेशन भी किया गया है.

आसिफ मोहम्मद 21 साल के हैं और वह बीएड के स्टूडेंट हैं, उनके भी पैरों और हाथ में गोलियां लगी हैं.

आसिफ ने बताया कि शुक्रवार को हमलोगों में कुछ लोग ईदगाह पर एकत्रित हुए थे, यह एक शांत प्रदर्शन था. लेकिन जैसे ही हमलोग जोहरा पहुंचे वहां सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने हमें रोका. जैसे ही हमलोगों ने इसका विरोध करना शुरू किया उनलोगों ने हमें मारना और हमपर गोलियां चलानी शुरू कर दी.

अशरफ ने आगे बताया कि उसके पैरों और बांह में गोलियां लगी हैं. उसने यह भी कहा कि यहां कि स्थिति दिन ब दिन खराब हो रही है, लेकिन वो नहीं चाहते कि यह खबर यहां से बाहर जा पाए.

 

आसिफ मोहम्मद/फोटो- प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

इनायत की जांघों में भी गहरा घाव है वह चल फिर नहीं सकता है. वह भी उसी प्रदर्शन का हिस्सा था.

उसके पिता ने बताया कि पहले हमने इनायत को एसकेआईएमएस अस्पताल में भी भर्ती कराया था लेकिन अस्पताल वालों ने इसकी ड्रेसिंग की और इसे डिस्चार्ज कर दिया. पैलेट गन से पीड़ित लोगों को अस्पताल अपने पास नहीं रखना चाहता है.

इनायत के पिता अब्दुल राशिद ने कहा, ‘उसे गहरी चोटें आई हैं.’ यह पैलेट से लगी चोटें हैं लेकिन अस्पताल इसे वहां रखने को तैयार नहीं है, उनलोगों ने ड्रेसिंग के बाद हमें कहा कि इसे घर ले जाओ.

दो और पीड़ितों ने नाम न जाहिर करने की इच्छा व्यक्त करते हुए बताया, हालांकि इन दोनों ने दिप्रिंट ने वीडियो पर उनके बयान दर्ज किए हैं. इनदोनों में से एक के हाथ और आंख पर और दूसरे की आंख पर चोट के निशान मौजूद थे.
पीड़ितों को जबरदस्ती घर भेज दिया गया है और कहा गया है कि वह घर के अंदर ही रहें.

जबकि पेलेट पीड़ितों में से दो ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें अस्पताल के अधिकारियों द्वारा बलपूर्वक छुट्टी दे दी गई थी और उन्हें अपनी कहानी किसी को न बताने के साथ घर के अंदर रहने की हिदायत भी दी गई थी. उन दो लोगों ने जिन्होंने अपना नाम नहीं बताया कहा, कि हमलोग अस्पताल छोड़ कर चले आए क्योंकि हमें डर था कि सीआईडी वाले कहीं हमें उठा कर न ले जाएं.

अशरफ ने कहा, मैं पहले अस्पताल गया था लेकिन ड्रेसिंग के बाद मैं घर आ गया. मैं यहीं स्थानीय डॉक्टर से अपना इलाज करा रहा हूं, मैं डर गया था कि कहीं पुलिस मुझे अपने साथ न ले जाए.

उसने यह भी बताया कि पुलिस सादी वर्दी में घूम रही है, और उन लोगों को तलाश रही है जिन्हें पैलेट से चोट लगी है. वह नहीं चाहते कि यह बातें यहां से बाहर जाएं. इसलिए वह अस्पतालों से भी लोगों को उठाकर ले जा रहे हैं. आसिफ ने आगे कहा कि इसीलिए हमलोग घर के अंदर रह रहे हैं.

पीड़ित जिसे पैलेट से आंख और हाथ पर चोटें आईं हैं उसने बताया कि अस्पताल के कर्मचारी ने उसकी काफी मदद की.

पीड़ित ने बताया कि उसने मुझे अस्पताल से जाने के लिए कहा और यह भी कहा कि घर पर आराम करो. वह नहीं चाहता था कि मेरी गिरफ्तारी हो. अस्पताल में कोई भी पैलेट पीड़ित को नहीं रखा जा रहा है क्योंकि वह लोग नहीं चाहते कि मीडिया हम तक पहुंचे. वह चाहते हैं कि हमारी बातें इस सूबे से बाहर न जाए.

जब दिप्रिंट स्थानीय लोगों की मदद से पीड़ितों से मिलने अस्पताल पहुंची तो संवाददाता को भी न केवल अस्पताल प्रशासन ने बल्कि अस्पताल प्रशासन बीच में आया भी.

जब अस्पताल प्रशासन को यह पता चला कि दिप्रिंट के पास पैलेट से पीड़ित और चोट लगे हुए लोगों की बातचीत, वीडियो और फोटो है तो उनलोगों ने रिपोर्टर से यह कर दवाब बनाया कि इस फुटेज को फोने से मिटा दें, वर्ना वह दूसरी परेशानियों के लिए तैयार रहें.

अस्पताल का एक कर्मचारी लगभग फोन पर हाथ रखते हुए पूछ रहा था, तुम्हें यहां तक आने की अनुमति किसने दी? यह बाहरी लोगों और किसी का भी यहां आना वर्जित है. यह जानकारी किसी भी हालत में यहां से बाहर नहीं जा सकती है, हमें ऊपर के अधिकारियों द्वारा यह आदेश जारी किया गया है.

जब संवाददाता ने फोन देने से मना कर दिया तो उस अधिकारी ने कुछ और लोगों को बुलाया. तुम यहां से बाहर नहीं जा सकतीं जबकि उनमें से एक ने हाथापाई भी की.

वह स्थानीय लोग जो रिपोर्टर को मरीजों तक ले गए और उन्होंने ही किसी तरह से संवाददाता को अस्पताल से बाहर निकाला.

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