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Monday, 18 November, 2024
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पालघर लिंचिंग मामले में पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने से विश्व हिंदू परिषद नाखुश, कार्रवाई को आईवॉश बताया

वीएचपी के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि ये असली अपराधियों को बचाने के लिए किया गया है. असल में जो अपराधी हैं उन पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र स्थित पालघर में भीड़ द्वारा दो साधुओं समेत ​तीन लोगों की पीटकर हत्या करने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.

पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) संतुष्ट नहीं है.

वीएचपी के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये कार्रवाई केवल आईवॉश है. ये असली अपराधियों को बचाने के लिए किया गया है. असल में जो अपराधी हैं उन पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.’

जैन ने कहा, ‘जिन पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया गया है उन्हें पीछे से किसे से आदेश मिला होगा कि इस मामले को शांत करना है या हत्यारों के साथ रहना है.’

उन्होंने कहा, ‘पालघर में पहले से ही मिशनरी और वामपंथियों का षड्यंत्र चलता रहा है. इस तरह का हमला पहली बार नहीं हुआ है. इसके पहले भी हिंदू संगठन और संतों पर हमले होते आए हैं. इस तरह के मामले में बच्चा चोरी की तो केवल अफवाह मात्र फैलाई जाती है. हमारा आरोप शुरू से है और क्षेत्रवासी भी शुरू से कह रहे हैं कि ईसाई मिशनरी और वापमपंथी शक्तियां इस सब में शामिल हैं.’

बता दें कि वीएचपी शुरू से ही मामले की सीबीआई जांच की मांग करती रही है.

रविवार को महाराष्ट्र सरकार ने सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई) आनंदराव काले समेत सहायक पुलिस निरीक्षक रवि सांलुके और कांस्टेबल नरेश धोडी को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया. आनंदराव काले 16 अप्रैल को हुई घटना के समय पालघर के कासा पुलिस थाने के प्रभारी थे.

गौरतलब है कि पालघर के गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल को दो साधुओं और उनके वाहन चालक की भीड़ ने बच्चा चोर होने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. वे लोग सूरत जा रहे थे.

पुलिस ने बताया कि इस मामले में करीब 154 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 11 किशोरों को हिरासत में लिया गया. मामले की जांच महाराष्ट्र सीआईडी को सौंपी गई थी जिसने अदालत में तीन आरोपपत्र दाखिल किये हैं. महाराष्ट्र सरकार ने पालघर जिला पुलिस प्रमुख गौरव सिंह को भी अवकाश पर भेज दिया था.


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