ऋषिकेश, 22 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के मसूरी वन प्रभाग में लगे 7,375 सीमा स्तंभों के गायब होने के मामले में बड़े पैमाने पर वन भूमि के अतिक्रमण की आशंका व्यक्त करते हुए वरिष्ठ वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने इस प्रकरण की एसआईटी जांच अथवा न्यायालय की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की आवश्यकता जतायी है।
उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख को इस संबंध में लिखे एक पत्र में मुख्य वन संरक्षक (कार्य योजना) चतुर्वेदी ने कहा कि मसूरी वन प्रभाग की पुनरीक्षणाधीन कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान वहां लगाए गए 7,375 सीमा स्तंभ मौके पर नहीं मिले जबकि प्रभाग के मानचित्र में वे मौजूद हैं।
इतनी बड़ी संख्या में सीमा स्तंभों के गायब होने को ‘असामान्य’ बताते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि यह अपराध अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत तथा उच्च राजनीतिक संरक्षण के बिना होना संभव नहीं है।
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा, ”इन सीमा स्तंभों को षड्यंत्रवश गायब करवा कर बड़े पैमाने पर वन भूमि पर अतिक्रमण कर निहित स्वार्थों तथा आपराधिक प्रवृत्ति के तत्वों द्वारा गैर वानिकी कार्यों के लिए वन भूमि का दुरुपयोग किया गया होगा।”
इस संबंध में उन्होंने मसूरी वन प्रभाग की रायपुर रेंज के खलंगा में सामने आए वन भूमि के अतिक्रमण के मामलों का भी जिक्र किया।
वन भूमि पर हुए अतिक्रमण को राज्य की पारिस्थितिकीय सुरक्षा के साथ ही राजकीय संपदा के प्रति आपराधिक विश्वासघात बताते हुए चतुर्वेदी ने इस मामले में चरणबद्ध तरीके से उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जरुरत बतायी है जो मसूरी वन प्रभाग में तैनात रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की जाए या न्यायालय की निगरानी में इसकी सीबीआई जांच करायी जाए।
इस संबंध में पूछे जाने पर मसूरी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी अमित कंवर ने बताया कि कार्य योजना की समीक्षा के समय यह तथ्य उजागर हुआ था और इसकी जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट से पता चलेगा कि वस्तुस्थिति क्या है और उसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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सं, दीप्ति, रवि कांत
रवि कांत
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