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Friday, 5 September, 2025
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नवीन प्रौद्योगिकी का उपयोग वाक् और श्रवण संबंधी अक्षमताओं को दूर करने में मददगार साबित होगा: मुर्मू

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मैसुरु, एक सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग वाक् और श्रवण विकलांगताओं से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने ऐसे उपकरणों के विकास और देश में ही इनके निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि आम जनता को ये आसानी से उपलब्ध हो सकें।

उन्होंने यहां ‘ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग’ (एआईआईएसएच) के हीरक जयंती समारोह में कहा, “बोलने व सुनने संबंधी समस्याओं के लक्षणों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान और उनके निदान के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। समाज को जागरूक होना चाहिए और बोलने व सुनने की समस्याओं से पीड़ित लोगों के प्रति सहयोग व सहानुभूति का भाव रखना चाहिए। ”

राष्ट्रपति ने कहा कि एक अखिल भारतीय संस्थान के रूप में एआईआईएसएच को भारत और विदेश के संस्थानों के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित होने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एआईआईएसएच द्वारा स्थापित ‘समावेशी थेरेपी पार्क’ भारत और विदेश में एक आदर्श के रूप में कार्य कर रहा है, जिसे संचार विकारों से प्रभावित बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है।

मुर्मू ने संचार विकारों और उनकी शीघ्र पहचान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू की गई अनूठी पहल ‘एआईआईएसएच आरोग्य वाणी’ की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि देश का एक अग्रणी संस्थान होने के नाते एआईआईएसएच संचार विकारों से संबंधित राष्ट्रीय नीति-निर्माण में भी सलाह दे सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा, “आज, प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। नवीनतम तकनीकों का उपयोग वाणी और श्रवण संबंधी अक्षमताओं को दूर करने में बहुत मददगार साबित होगा। लेकिन नवीनतम प्रौद्योगिकी और उपकरणों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए, देश में उनका विकास और निर्माण आवश्यक है।”

उन्होंने दोहराया, “उदाहरण के लिए ‘कॉक्लियर इम्प्लांट’ जैसे उपकरणों को कम लागत पर उपलब्ध कराने के लिए हमें उनके निर्माण में आत्मनिर्भर बनना होगा। एआईआईएसएच जैसे संस्थानों को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।”

मुर्मू ने कहा, “इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देकर एआईआईएसएच राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान को और मजबूत कर सकता है। यह संस्थान देश के जाने-माने अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग कर सकता है।”

उन्होंने कहा कि एआईआईएसएच जैसे संस्थानों से अपेक्षा की जाती है कि वे नवाचार की भावना व संवेदना के साथ काम करें और ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित करें, जो वाणी और श्रवण बाधित लोगों को न केवल सामान्य जीवन जीने में सक्षम बनाएं, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था में भी अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकें।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार विभिन्न कल्याणकारी पहलों के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए एक बाधा-मुक्त वातावरण तैयार कर रही है, ताकि वे बिना किसी कठिनाई के अपने जीवन में प्रगति कर सकें।

उन्होंने कहा कि ‘सुगम्य भारत अभियान’ के अंतर्गत, दिव्यांगजनों को प्रगति और विकास के समान अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

मुर्मू ने कहा, “सार्वजनिक स्थानों, सुविधाओं और सूचना के स्रोतों को दिव्यांगजन-अनुकूल बनाकर हम न केवल दिव्यांगजनों को सुविधा प्रदान करेंगे, बल्कि उन्हें यह भी महसूस कराएंगे कि समाज उनकी भी चिंता करता है।”

भाषा जितेंद्र दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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